नई दिल्ली दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों की कंसोर्टियम ने दावा किया है कि दुनियाभर में सरकारें पत्रकारों और ऐक्टिविस्टों की जासूसी करा रही है। रविवार को पब्लिश हुई रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत कई देशों में सरकारों ने करीब 180 पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और ऐक्टिविस्ट्स की जासूसी की। इसके लिए इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के हैकिंग साफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया। इस रिपोर्ट में भारत में कम से कम 38 लोगों के जासूसी का दावा किया गया है। भारत के इन पत्रकारों का नाम शामिल द गार्जियन ने पेगासस स्पाईवेयर साफ्टवेयर के डेटा का अध्ययन कर दावा किया है कि इस सूची में समाचार वेबसाइट द वायर के एक सह-संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन और वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता का नाम शामिल है। ठाकुरता के फोन को 2018 में हैक कर लिया गया था तब वह इस बात की जांच कर रहे थे कि नरेंद्र मोदी की 'हिंदू राष्ट्रवादी सरकार' कैसे फेसबुक का इस्तेमाल करके भारतीय लोगों के बीच ऑनलाइन गलत सूचना फैला रही है। पेगासस सॉफ्टवेयर क्या काम करता है? पेगासस एक मैलवेयर है जो आईफोन और एंड्रॉइड डिवाइस को हैक कर लेता है। इससे मैलवेयर भेजने वाला शख्स उस फोन मे मौजूद मैसेज, फोटो और ईमेल तक को देख सकता है। इतना ही नहीं, यह साफ्टवेयर उस फोन पर आ रही कॉल को रिकॉर्ड भी कर सकता है। इस साफ्टवेयर से फोन के माइक को गुप्त रूप से एक्टिव किया जा सकता है। मीडिया संस्थानों को कैसे मिला यह डेटा दरअसल, यह डेटा सबसे पहले पेरिस स्थित मीडिया एनजीओ फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल के पास शुरू में लीक हुई सूची तक पहुंच थी। बाद में इसे एक रिपोर्टिंग कंसोर्टियम के हिस्से के रूप में बाकी मीडिया संस्थानों के साथ शेयर किया गया। लीक हुए डेटा में 50000 से अधिक फोन नंबरों की सूची है। ऐसा माना जा रहा है कि 2016 से एनएसओ अपने पेगासस साफ्टवेयर के जरिए इन लोगों की जासूसी कर रहा था।
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