काबुल अफगानिस्तान के 85 फीसदी इलाके पर कब्जा करने का दावा करने वाले तालिबान ने अब अफगान सरकार को शांति का प्रस्ताव दिया है। तालिबान ने कहा कि अगर उसके 7 हजार लड़ाकुओं को अफगान सरकार रिहा करती है तो वे अगले तीन महीने तक शांति बनाए रखेंगे। तालिबान का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद उन्होंने अपने हमले बहुत तेज कर दिए हैं। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि इस शांति के पीछे तालिबान की बड़ी रणनीति छिपी हुई है। इस बीच तालिबान की मांग पर अफगान सरकार की ओर से प्रमुख वार्ताकार नदेर नदेरी ने कहा कि यह एक बहुत बड़ी मांग है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने अपने नेताओं का नाम संयुक्त राष्ट्र की काली सूची से हटाए जाने की भी मांग की है। यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस सीजफायर के ऑफर पर अफगान सरकार क्या जवाब देगी। इससे पहले पिछले साल अफगान अधिकारी इस बात पर सहमत हो गए थे कि शांति वार्ता को दोहा में फिर से शुरू करने के लिए 5 हजार कैदियों को छोड़ा जाएगा। तालिबान की नई मांग के पीछे छिपी हुई है एक चाल ये तालिबानी छोड़े गए लेकिन अभी तक इस मुद्दे का राजनीतिक समाधान नहीं हो सका है। वहीं अब 5 हजार तालिबानी कैदी अफगान सेना पर हमले कर रहे हैं। माना जा रहा है कि तालिबान की इस नई मांग के पीछे उसकी एक चाल छिपी हुई है। दरअसल, तालिबान आतंकियों ने अफगानिस्तान में मारो और भाग जाओ की रणनीति अपना रखा है। उन्होंने अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में कब्जा तो जरूर कर लिया है लेकिन वे अभी इसे बनाए रखने की स्थिति में नहीं हैं। अफगान सेना अब तालिबान के खिलाफ जोरदार ऐक्शन ले रही है। यही नहीं कई जिलों को अफगान सेना ने वापस अपने कब्जे में कर भी लिया है। तालिबान को उम्मीद है कि अगर इसी स्थिति में सीजफायर हो जाता है तो उसका जिन जगहों पर कब्जा है, वहां बना रहेगा। साथ ही जिन 7 हजार तालिबान आतंकियों को छोड़ा जाएगा, उनकी मदद से अपने कब्जे वाली जमीन पर पकड़ को और मजबूत कर लिया जाएगा।
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