Sunday, 18 July 2021

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ब्रिटेन की रॉयल नेवी का एयरक्राफ्ट कैरियर एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ अपने स्ट्राइक ग्रुप के साथ हिंद महासागर में दाखिल हो चुका है। ब्रिटिश एयरक्राफ्ट कैरियर के साथ डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट, पनडुब्बी और माइन स्वीपर जहाजों का पूरा बेड़ा मौजूद है। ऐसा पहली बार हुआ है जब ब्रिटेन ने हिंद महासागर में अपने सबसे बड़े युद्धपोत की रणनीतिक तैनाती की है। बताया जा रहा है कि यह एयरक्राफ्ट कैरियर भारतीय नौसेना के साथ इस इलाके में युद्धाभ्यास भी करेगा। इतना ही नहीं, यह एयरक्राफ्ट कैरियर चीन को चिढ़ाने के लिए दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी और जापानी नौसेना के साथ भी युद्धाभ्यास में हिस्सा लेगा। इस एयरक्राफ्ट कैरियर के हिंद महासागर में आने से सबसे ज्यादा चीन की परेशानी बढ़ गई है। इस इलाके में चीन तेजी से अपनी नौसैनिक ताकत बढ़ाना चाहता है। यही कारण है कि श्रीलंका, लाओस, मालदीव सहित कई देशों में चीन सैन्य अड्डा बनाने की कोशिश कर रहा है।

चीन से तनाव के बीच ब्रिटिश एयरक्राफ्ट कैरियर एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ हिंद महासागर में दाखिल हो गया है। 65 विमानों से लैस इस एयरक्राफ्ट कैरियर का यहां से चीन की नाक के नीचे साउथ चाइना सी में जाने का कार्यक्रम भी है।


F-35, चिनूक, अपाचे लेकर हिंद महासागर पहुंचा HMS क्वीन एलिजाबेथ, ब्रिटेन की मंशा क्या है?

ब्रिटेन की रॉयल नेवी का एयरक्राफ्ट कैरियर एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ अपने स्ट्राइक ग्रुप के साथ हिंद महासागर में दाखिल हो चुका है। ब्रिटिश एयरक्राफ्ट कैरियर के साथ डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट, पनडुब्बी और माइन स्वीपर जहाजों का पूरा बेड़ा मौजूद है। ऐसा पहली बार हुआ है जब ब्रिटेन ने हिंद महासागर में अपने सबसे बड़े युद्धपोत की रणनीतिक तैनाती की है। बताया जा रहा है कि यह एयरक्राफ्ट कैरियर भारतीय नौसेना के साथ इस इलाके में युद्धाभ्यास भी करेगा। इतना ही नहीं, यह एयरक्राफ्ट कैरियर चीन को चिढ़ाने के लिए दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी और जापानी नौसेना के साथ भी युद्धाभ्यास में हिस्सा लेगा। इस एयरक्राफ्ट कैरियर के हिंद महासागर में आने से सबसे ज्यादा चीन की परेशानी बढ़ गई है। इस इलाके में चीन तेजी से अपनी नौसैनिक ताकत बढ़ाना चाहता है। यही कारण है कि श्रीलंका, लाओस, मालदीव सहित कई देशों में चीन सैन्य अड्डा बनाने की कोशिश कर रहा है।



एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात हैं ये जंगी हथियार
एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात हैं ये जंगी हथियार

इस स्टाइकर समूह में एफ-35बी लाइटनिंग फाइटर जेट के दो स्क्वाड्रन तैनात हैं, जिनकी संख्या 36 है। यह लड़ाकू विमान स्टील्थ तकनीकी से लैस है। इसे दुनिया के सबसे घातक लड़ाकू विमानों में गिना जाता है। इसके अलावा समुद्र में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए 14 हेलिकाप्टर भी तैनात रहते हैं। इसमें हैवी ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर चिनूक, अटैक हेलिकॉप्टर अपाचे भी शामिल हैं। एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ एयरक्राफ्ट कैरियर एक बार में 65 से ज्यादा विमानों को लेकर सफर कर सकता है। इसमें फ्लाइट डेक के नीचे कुल नौ डेक हैं। जिनमें लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर्स और दूसरे हथियारों को रखा जाता है। इन जहाजों को फ्लाइट डेक पर लाने के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर में दो लिफ्ट लगी हुई हैं।



हाईटेक रडार हैं इस एयरक्राफ्ट की सबसे बड़ी ताकत
हाईटेक रडार हैं इस एयरक्राफ्ट की सबसे बड़ी ताकत

65 हजार टन वजनी यह एयरक्राफ्ट कैरियर 280 मीटर लंबा है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर इतना भारी होते हुए भी 59 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल सकता है। एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ पर 1600 नौसैनिकों को तैनात किया जा सकता है, जिसमें 250 कमांडो शामिल हैं। इसमें बीई का S1850M लॉन्ग रेंज रडार लगा हुआ है, जो 400 किलोमीटर की दूरी से ही दुश्मनों के जहाजों का पता लगा सकता है। इसमें मीडियम रेंज के लिए Type 997 Artisan radar लगा हुआ है, जो 200 किलोमीटर की दूरी तक एक बार में 900 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है। इतना ही नहीं, यह 3डी रडार 3 मैक की स्पीड से उड़ने वाले चिड़िया या टेनिस बॉल के आकार के लक्ष्य को भी पहचान सकता है।



अकेला नहीं आया ब्रिटिश एयरक्राफ्ट कैरियर
अकेला नहीं आया ब्रिटिश एयरक्राफ्ट कैरियर

इस एयरक्राफ्ट कैरियर के स्ट्राइक ग्रुप में दो टाइप 45 श्रेणी के डिस्ट्रॉयर, दो टाइप 23 फिग्रेट, दो टैंकर और हेलिकॉप्टर्स का बेड़ा शामिल है। माना जा रहा है कि इसके चीन के नजदीक युद्धाभ्यास करने से दोनों देशों के बीच तनाव और गहरा सकता है। वहीं, चर्चा है कि इस युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया और कनाडा को भी आमंत्रित किया जा सकता है। इन दोनों देशों से भी चीन के संबंध निचले स्तर पर हैं। ब्रिटेन के विदेश सचिव डॉमिनिक रॉब ने कहा कि इस स्ट्राइक ग्रुप की तैनाती भारत और इंडो पैसिफिक में सहयोगियों के साथ रक्षा संबंध के एक नए युग की शुरुआत है। ब्रिटेन ने कहा कि एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ की तैनाती भारत के साथ और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में गहरे राजनयिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधों के लिए देश की प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करती है।



ब्रिटिश एयरक्राफ्ट कैरियर से चीन का चिढ़ना तय
ब्रिटिश एयरक्राफ्ट कैरियर से चीन का चिढ़ना तय

ब्रिटेन और चीन के बीच हॉन्ग कॉन्ग को लेकर सबसे ज्यादा तनाव है। हॉन्ग कॉन्ग पहले ब्रिटेन की कॉलोनी थी। बाद में ब्रिटेन ने इसे शर्तों के साथ एक निश्चित समय के लिए चीन को सौंप दिया था। चीन ने इन शर्तों का उल्लंघन करते हुए चीन के सभी कानून जबरदस्ती हॉन्ग कॉन्ग पर डाल दिए। जिसके जवाब में ब्रिटेन ने यहां से भी निवासियों को अपने देश की नागरिकता देने का ऐलान किया हुआ है। इसके अलावा उइगुरों के मानवाधिकारों का दमन, दक्षिण चीन सागर में दादागिरी, ताइवान पर कब्जे की कोशिश जैसे मुद्दों को लेकर भी ब्रिटेन और चीन में तनाव चरम पर हैं।





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