रूस ने पहली बार अपने एस-500 मिसाइल सिस्टम का लाइव वीडियो जारी कर दुनिया में तहलका मचाया हुआ है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह वीडियो दक्षिणी रूस में अस्त्रखान के पास कपुस्टिन यार में शूट किया गया है।
रूस ने पहली बार अपने एस-500 मिसाइल सिस्टम का लाइव वीडियो जारी कर दुनिया में तहलका मचाया हुआ है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह वीडियो दक्षिणी रूस में अस्त्रखान के पास कपुस्टिन यार में शूट किया गया है। इस दौरान एस-500 वायु रक्षा प्रणाली की मिसाइल ने अपने लक्ष्य एक दूसरी बैलिस्टिक मिसाइल को पलक झपकते मार गिराया। एस-500 मिसाइल सिस्टम के लगभग सभी टेस्ट पूरे किए जा चुके हैं और इसे जल्द ही रूसी सेना में कमीशन करने की प्लानिंग की जा रही है। शुरुआत में इसे राजधानी मॉस्को के आसपास हवाई गतिविधियों की निगरानी के लिए तैनात किया जाएगा। मॉस्को के आसपास के आसमान की निगरानी के लिए रूस ने ए-135 एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम को तैनात किया हुआ है। वर्तमान में दुश्मन देशों की बढ़ती क्षमता को देखते हुए रूस लंबे समय से इस डिफेंस सिस्टम को बदलने की तैयारी कर रहा था। बताया जा रहा है कि अब एस-500 मिसाइल सिस्टम को ए-135 एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम के जगह तैनात किया जाएगा।
S-500 के तीन रडार तुरंत बताएंगे दुश्मन का पता
रूस की सरकारी मीडिया आउटलेट आरआईए नोवोस्ती के अनुसार, एस-500 मिसाइल सिस्टम की अधिकमत रेंज 595 किलोमीटर होगी। एस-500 सिस्टम की मिसाइलें फिक्स्ड साइलो में पैक रहती हैं। इस सिस्टम के मिसाइलों को BAZ ट्रक की चेसिस पर 10 x10 ट्रांसपोर्टर-ईरेक्टर-लॉन्चर पर लगाया गया है। इससे इन मिसाइलों को एक जगह से दूसरी जगह आसानी से और कम समय में तैनात किया जा सकता है। एस -500 मिसाइल प्रणाली में वोरोनिश लॉन्ग रेंज अर्ली वॉर्निंग रडार लगाया गया है। लंबी दूरी तक नजर रखने वाला यह अर्ली वॉर्निंग रडार इस मिसाइल रक्षा प्रणाली की रीढ़ है। वोरोनिश फैमिली के तीन रडार बैलिस्टिक मिसाइल और विमान हमलों के खिलाफ रूसी हवाई क्षेत्र की निगरानी करते हैं। इनमें पहला वोरोनिश-एम (मीटर बैंड), दूसरा वोरोनिश-डीएम (डेसीमीटर बैंड), और तीसरा वोरोनिश-एसएम (सेंटीमीटर बैंड) हैं। ये तीनों रडार एक ही प्रणाली पर काम करते हैं जिनका प्रमुख लक्ष्य दुश्मन के टॉरगेट को सटीकता से मापना और उसकी जानकारी ऑपरेटर तक पहुंचाना है।
इसके 77N6 मिसाइल से दुश्मन का बचना नामुमकिन
S-500 डिफेंस सिस्टम को S-400 के आधार पर ही विकसित किया गया है। S-500 डिफेंस सिस्टम में 77N6 मिसाइल सीरीज के अलावा कई अन्य मिसाइलें भी तैनात हैं। इस मिसाइल को दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइल को नष्ट करने के लिए S-400 के नए वर्जन में भी लगाया जाएगा। इस सिस्टम की अधिकतम रेंज 600 किलोमीटर होगी, जो 3 से 4 सेकेंड में प्रतिक्रिया देने में सक्षम होगा। एस-400 की तुलना में इस सिस्टम की मिसाइल 200 किलोमीटर की दूरी 6 सेकेंड कम समय में तय कर लेगी। यह इस बात की ज़िम्मेदारी भी ले सकता है कि दुश्मन की मिसाइल को कौन से फेज़ में गिराना है। लॉन्चिंग के तुरंत बाद, कुछ दूरी पर या करीब आने पर। अगर बूस्ट फेज़ यानी शुरुआत के समय ही मिसाइल ध्वस्त कर दी गई, तो उसके मलबे-राख से भी कोई नुकसान नहीं होगा। इसमें चार तरह की मिसाइल होती हैं। एक मिसाइल 600 किमी की रेंज वाली होती है, दूसरी 250 किमी, तीसरी 120 और चौथी 40 किमी की रेंज वाली होती है।
यूएवी और हाइपरसोनिक मिसाइल का भी बनेगा काल
रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि S-500 मिसाइल सिस्टम में कोई भी मैनुएल प्रणाली नहीं लगाई गई है। इस मिसाइल सिस्टम को दुश्मन के किसी भी तरह से हथियार, हाइपरसोनिक एयरक्राफ्ट और मिसाइलों को मार गिराने के लिए बनाया गया है। S-500 को शुरू से ही बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ दुश्मनों के लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों सहित सभी प्रकार के हवाई खतरों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है। रूसी वायु सेना के मिसाइल ट्रूप्स के के मेजर जनरल सर्गेई बाबाकोव ने बताया कि S-500 को मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस एंटी एयरक्राफ्ट और एंटी मिसाइल सिस्टम को पूरी तरह से नई पीढ़ी के हथियार के रूप में विकसित किया गया है। अगर, जरूरी हो तो यह सिस्टम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) को उनके उड़ान पथ के अंतिम चरण में नष्ट कर सकता है। इतना ही नहीं, एस-500 हाइपरसोनिक विमान और मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) को नष्ट करने में सक्षम है।
595 किलोमीटर तक है एस-500 मिसाइल सिस्टम की रेंज
एस-400 मिसाइल सिस्टम की तरह एस-500 भी कई तरह की अत्याधुनिक मिसाइलों से लैस है। अपने अलग-अलग तरह की मिसाइलों से यह सिस्टम दुश्मन की तरफ से आए किसी भी हवाई खतरे से निपटने में सक्षम है। अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि एस-500 के परीक्षण के दौरान 77N6 मिसाइल सीरीज का इस्तेमाल किया गया या फिर 40N6E मिसाइल का। यह दोनों ही मिसाइलें बेहद घातक और सटीक हैं। 40N6E मिसाइल की अधिकतम रेंज 400 किलोमीटर है। जो 30 किलोमीटर की ऊंचाई से दुश्मन के लक्ष्य को बर्बाद कर सकती है। ट्विटर पर रूसी रक्षा विशेषज्ञों में से अधिकतर का मानना है कि इस टेस्ट के दौरान 77N6 मिसाइल का उपयोग किया गया। रूसी अखबार इज़वेस्टिया के अनुसार, इस मिसाइल के अलावा एक और मिसाइल भी है जिसका उपयोग एस-500 सिस्टम के टेस्ट के दौरान किया गया। रूसी रक्षा मंत्रालय ने जारी किए गए वीडियो में मिसाइल को जान बूझकर धुंधला दिखाया है, जिससे विशेषज्ञ इस मिसाइल को पहचान नहीं पाए हैं।
एस-500 का नेवल वैरियंट भी बनाएगा रूस
एस-500 के नेवल वैरियंट को भी बनाने की संभावना जताई जा रही है। इस वैरियंट को लिंडर क्लास डिस्ट्रॉयर पर लगाया जाएगा। सर्विस में तैनात होने के बाद काला सागर, फिनलैंड की खाड़ी और बाल्टिक सागर के कई इलाकों में इसे तैनात किया जाएगा। इसे बाल्टिक में कैलिनिनग्राद और काला सागर में क्रीमिया के आसपास तैनात किए जाने की योजना है। रूस के एस-500 मिसाइल सिस्टम को बनाने का काम 2009 में पहली बार शुरू किया गया था। तब रूसी हथियार कंपनी अल्माज-एनेटी कॉर्पोरेशन ने दावा किया था कि वह इस सिस्टम के विकास का काम 2012 तक पूरा कर देगी। हालांकि, समय के साथ इस प्रणाली को बनाने के काम में देरी होती चली गई। नवीनतम एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण से पता चलता है कि एस -500 प्रोग्राम काफी तेज गति से आगे बढ़ रहा है। फिर भी विशेषज्ञों का मानना है कि रूसी सेना में इस मिसाइल के कमीशन होने में कम से कम 4 साल का समय लग सकता है।
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