पेइचिंग अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते हमलों और पूरे देश में फैली अराजकता से चीन काफी परेशान है। रिपोर्ट है कि शिनजियांग में सक्रिय के आतंकवादी बड़ी संख्या में चीन बॉर्डर से 90 किलोमीटर की दूरी पर इकट्ठा हुए हैं। जिसके बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रणनीति बदलते हुए अफगानिस्तान में अपने विशेष दूत को बदल दिया है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से ही चीन ने अपनी राजनयिक सक्रियता बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि विशेष दूत बदलने का कदम भी इसी कवायद का हिस्सा है। शिनजियांग की सुरक्षा को लेकर डरा हुआ है चीन चीन ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का संवेदनशील शिनजियांग प्रांत पर बुरा असर पड़ने का अंदेशा जताया जा रहा है। चीन को उइगुर मुस्लिम उग्रवादियों से शिनजियांग की सुरक्षा को खतरा बना रहता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि अफगानिस्तान में वर्तमान विशेष दूत लियु जियान का स्थान युई शियाओ यांग लेंगे जो कतर, जॉर्डन और आयरलैंड में चीन के राजदूत रह चुके हैं। तालिबान के साथ संपर्क बना रहा चीन लियु अफगानिस्तान, मलेशिया और पाकिस्तान में चीन के राजदूत रह चुके हैं और उन्हें पिछले वर्ष ही अफगानिस्तान में विशेष दूत नियुक्त किया गया था। झाओ ने कहा कि अफगान मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान है, ऐसे में चीन सभी संबंधित पक्षों के साथ संवाद और समन्वय को अधिक महत्व देता है और अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता कायम करने में सकारात्मक भूमिका निभाना जारी रखेगा। चीन ने 90 किमी दूर खड़े हैं शिनजियांग के 'आतंकी' तालिबान ने ईरान, पाकिस्तान और चीन के सीमा बिंदुओं पर कब्जा कर लिया है। ऐसी खबरें हैं कि अलगाववादी समूह ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट के आतंकवादी बड़ी संख्या में अफगानिस्तान के बडाकख्शान प्रांत में एकत्रित हो गए हैं। इस प्रांत की सीमा का 90 किमी का हिस्सा चीन के शिनजियांग प्रांत से लगता है। शिनजियांग प्रांत की सीमा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और ताजिकिस्तान से भी लगती है। चीन को मित्र देश मानता है तालिबान हालांकि, तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा था कि वे चीन को ‘मित्र’ की तरह देखते हैं और शिनजियांग प्रांत के उईगर अलगाववादी लड़ाकों को अफगानिस्तान से गतिविधियां करने की इजाजत नहीं देंगे। लेकिन पर्यवेक्षकों का मानना है कि तालिबान को लेकर चीन का संशय बना हुआ है।
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