Sunday 25 July 2021

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लाल रंग की मिट्टी, हल्के भूरे पहाड़ी इलाके, हवा के साथ उड़ती रेत और दूर तक फैलीं चट्टानें। यह नजारा कहां हो सकता है? तस्वीर देखकर किसी को भी कन्फ्यूजन हो सकती है कि कैमरे में कैद यह अद्भुत दुनिया धरती पर ही है या मंगल पर? शायद यही वजह है कि मंगल ग्रह पर जीवन के निशान या संभावना खोज में दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे रहते हैं। माना जाता है कि आज जैसा हमारा ग्रह है, वैसा कभी लाल ग्रह भी हुआ करता था। इसका सबूत मिलता है अंतरिक्ष से ली गईं तस्वीरों में जिनमें पहचानना मुश्किल है कि ये धरती की हैं या मंगल ग्रह की।

Images from Earth or Mars:अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ESO ने इंस्टाग्राम पर ऐसी ही तस्वीरें शेयर की हैं और दोनों ने ही यह सवाल किया है कि ये तस्वीरें कहां की हैं?


ये मंगल है या धरती? इन तस्वीरों को देखकर कोई भी खा जाएगा धोखा, क्या आपके पास है इस सवाल का जवाब?

लाल रंग की मिट्टी, हल्के भूरे पहाड़ी इलाके, हवा के साथ उड़ती रेत और दूर तक फैलीं चट्टानें। यह नजारा कहां हो सकता है? तस्वीर देखकर किसी को भी कन्फ्यूजन हो सकती है कि कैमरे में कैद यह अद्भुत दुनिया धरती पर ही है या मंगल पर? शायद यही वजह है कि मंगल ग्रह पर जीवन के निशान या संभावना खोज में दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे रहते हैं। माना जाता है कि आज जैसा हमारा ग्रह है, वैसा कभी लाल ग्रह भी हुआ करता था। इसका सबूत मिलता है अंतरिक्ष से ली गईं तस्वीरों में जिनमें पहचानना मुश्किल है कि ये धरती की हैं या मंगल ग्रह की।



कहां की हैं तस्वीरें?
कहां की हैं तस्वीरें?

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ESO ने इंस्टाग्राम पर ऐसी ही तस्वीरें शेयर की हैं और दोनों ने ही यह सवाल किया है कि ये तस्वीरें कहां की हैं? अगर आप भी पहचान नहीं पा रहे हैं तो आपको बता दें कि देखने में ये भले ही वीरान मंगल की लगती हैं लेकिन असल में धरती के रेगिस्तानों की ही हैं। NASA ने अफ्रीका के कालाहारी रेगिस्तान की तस्वीर शेयर की है जिसमें रेत के पहाड़, प्राचीन चट्टानें और सोलर पावर प्लांट दिख रहा है। बीच में दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी नदी, ऑरेन्ज रिवर काली धारी से नजर आ रही है। ये तस्वीर इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन में लगे कैमरा सिस्टम से ली गई है।



कालाहारी रेगिस्तान
कालाहारी रेगिस्तान

इस रेगिस्तान में कम आबादी रहती है। तस्वीर में एक झलक छोटे से शहर Groblershoop की दिखती है जबकि सफेद रंग में यहां की सड़कें जरूर दिखाई दे रही हैं। NASA ने बताया है कि नारंगी रंग कुछ लाख साल पुराने रेत के पहाड़ों की वजह से है। इस जगह को Duineveld या 'टीलों का देश' कहते हैं। रेत के बीच में गाढ़े रंग की चट्टानें हैं। ये कभी पहाड़ हुई करती थी जो उन्हीं फोर्सेज से एक अरब साल पहले बने थे जिनसे हिमालय बना था। पहाड़ी चट्टान के टूटते रहने से समय के साथ ये टीलों और मैदानों में तब्दील हो गए।

तस्वीर में Bokpoort सोलर पावर प्लांट भी दिख रहा है जो कालाहारी पर पड़ने वाली असीमित सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करता है। साल 2015 से काम कर रहे इस प्लांट में 2, 40,000 शीशे 0.65 स्क्वेयर किलोमीटर में फैले हुए हैं। फोटोवॉल्टेइक सोलर पैनल्स से अलग ये प्लांट शीशे की मदद से सूरज की ऊर्जा को नमक से भरे स्टोरेज टैंक में स्टोर करता है। सूरज की गर्मी से नमक पिघलता है, जिसकी हीट स्टोरेज क्षमता काफी ज्यादा होती है। इस गर्मी से टरबाइन चलती है और बिजली पैदा होती है।



अंतरिक्ष से दिखते हैं टीले
अंतरिक्ष से दिखते हैं टीले

दूसरी ओर ESA ने भी अफ्रीका के दूसरे रेगिस्तान की तस्वीरें शेयर की हैं। ये तस्वीरें हैं नामीबिया के नामीब रेगिस्तान की। ये तस्वीरें अपने आप में धरती की खूबसूरती बयान करती हैं। यहां बने रेत के टीले इतने विशाल हैं कि अंतरिक्ष से दिखते हैं। इनमें से एक तस्वीर ESA ऐस्ट्रोनॉट थॉमस पिके ने इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन से ली थी। दूसरी तस्वीरें धरती को ऑब्जर्व करने वाली सैटलाइट Sentinel-2, Sentinel-2 और Kompsat-2 ने ली हैं।





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