वॉशिंगटन अंतरिक्ष में स्थित हबल स्पेस टेलिस्कोप के बाद अब अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA उसका उत्तराधिकारी लॉन्च करने की तैयारी में है। बहुप्रतीक्षित James Webb Space Telescope इस साल अक्टूबर तक लॉन्च किया जा सकता है। 10 अरब डॉलर यानी करीब 75 हजार करोड़ रुपये की कीमत से बनने वाले इस टेलिस्कोप की मदद से धरती से 63 प्रकाशवर्ष दूर स्थित ग्रहों के एक सिस्टम को स्टडी किया जाने का प्लान भी बना लिया गया है। इस Beta Pictoris सिस्टम में कम से कम दो ग्रह हैं। इसके अलावा कई दूसरे चट्टानी ऑब्जेक्ट्स हैं और एक धूल की डिस्क भी है। इस स्टडी के जरिए धूल को समझने की कोशिश की जाएगी। इसके रास्ते आकाशगंगा को भी समझने की उम्मीद है क्योंकि इसमें भी धूमकेतु, ऐस्टरॉइड, अलग-अलग आकार की चट्टानें और धूल हो सकती है जो सितारे का चक्कर काट रही है। मलबे को किया जाएगा स्टडी NASA के गॉडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के क्रिस स्टार्क के मुताबिक रिसर्चर्स इस प्लैनेटरी सिस्टम को समझने के लिए उत्सुक हैं। स्टार्क और उनकी टीम James Webb के कोरोनाग्राफ को स्टडी करेगी जिससे सितारे की रोशनी को ब्लॉक कर मलबे से बनी डिस्क को स्टडी किया जा सकेगा। इससे निकलने वाले टुकड़ों के कारण ऐक्टिविटी की संभावना है। स्टार्क ने बताया है कि Beta Pictoris में कम से कम दो विशाल ग्रह हैं और दूर ये छोटी-छोटी चट्टानी चीजें हैं लेकिन इनके बीच में क्या है और यह हमारे सोलर सिस्टम की तुलना में कैसा है? इस तरह के सवालों के जवाब James Webb के ऑब्जर्वेशन से मिलने की उम्मीद है। हमारे सूरज से ज्यादा युवा Beta Pictoris का द्रव्यमान सूरज का दोगुना है लेकिन उसकी उम्र कम है। हमारा सूरज जहां 4.6 अरब साल का है, Beta Pictoris सिर्फ 2 करोड़ साल का है। James Webb अभी तक बने किसी भी स्पेस टेलिस्कोप से ज्यादा सेंसिटिव है और इसकी मदद से सबूतों की खोज की जा सकती है और जहां गैस हो वहां भाप को डिटेक्ट कर सकता है।
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