डेटा के मुताबिक ऊपरी परत चट्टानी है और उसकी गहराई में अलग-अलग तरह की चट्टानें हो सकती हैं। ETH ज्यूरिक की स्टडी में मंगल की कोर को स्टडी किया गया है। इसके मुताबिक कोर 1140 मील के रेडियस की हो सकती है।
मंगल ग्रह पर जीवन की खोज दशकों से चल रही है और अब पहली बार इसकी अंदरूनी परतों के बारे में गहराई से जानकारी मिली है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के InSight लैंडर ने मंगल की कोर, मैंटल और क्रस्ट के बारे में पता लगाया है। मंगल पर आने वाले ‘भूकंप’ के डेटा की मदद से सतह के 41 मील नीचें की परतों के बारे में सबूत मिले हैं। क्रस्ट की हर परत अलग है और उसके 500 मील नीचे तक मैंटल जाता है। बाकी लोहे और निकेल से बनी कोर है। NASA का InSight लैंडर 2018 से मंगल पर ऑपरेट कर रहा था लेकिन इसी साल फरवरी में उसकी चार्जिंग बंद होने लगी है। मंगल पर उड़ने वाली धूल उसके सोलर पैनल्स पर जमा होने लगी है जिससे वह चार्ज नहीं हो पा रहा।
मंगल की परतों की खोज
InSight के डेटा की मदद से यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोन, कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी और ETH ज्यूरिक ने ये स्टडी की हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोन और NASA JPL की स्टडी के मुताबिक InSight की लैंडिंग साइट के नीचे क्रस्ट 12-24 मील मोटा है। इस स्टडी में Caltech के रिसर्चर्स भी शामिल थे जिन्होंने बताया है कि किसी ग्रह की परतों को स्टडी करने से उसकी उत्पत्ति और विकास के बारे में पता चल सकता है। मंगल को लेकर इस बारे में जानकारी हासिल करना वहां पहले कभी मौजूद रहे जीवन और भविष्य में जीवन की संभावना का पता लगाने के लिए बेहद अहम है।
कैसे की जाती है स्टडी?
इसके अलावा उसमें होने वाली जियोमैग्नेटिक और टेक्टॉनिक गतिविधियों को भी समझा जा सकता है। भूकंप के आने के बाद उठीं तरंगों के आधार पर अंदरूनी परतों को स्टडी किया जा सकता है। स्टडी के लीड रिसर्चर डॉ. नैपमेयर-एंड्रन के मुताबिक सीस्मॉलजी के आधार पर सीसमिक तरंगों की अलग-अलग मटीरियल में गति को स्टडी किया जाता है। इसमें रिफ्लेक्शन और रीफ्रैक्शन को समझा जाता है। स्टडी में पाया गया कि क्रस्ट की ऊपरी परत करीब 5 मील की है। अगली परत 12 मील तक जाती है। इसके बाद मैंटल है।
धरती जैसी?
डेटा के मुताबिक ऊपरी परत चट्टानी है और उसकी गहराई में अलग-अलग तरह की चट्टानें हो सकती हैं। ETH ज्यूरिक की स्टडी में मंगल की कोर को स्टडी किया गया है। इसके मुताबिक कोर 1140 मील के रेडियस की हो सकती है। इसमें संकेत मिले हैं कि मंगल का मैंटल एक परत से बना है न कि धरती की तरह दो परतों से। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भविष्य में मंगल पर आने वाले भूकंप की मदद से और डेटा मिल सकेगा और ज्यादा से ज्यादा जानकारी सामने आ सकेगी।
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