पेइचिंग चीन ने दक्षिण चीन सागर में बनाए गए कृत्रिम द्वीपों को अब हथियारों से पाटना शुरू कर दिया है। हाल में ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में खुलासा हुआ है कि चीन ने इन विवादित द्वीपों पर कई लड़ाकू और गश्ती विमान, हैवी ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर और एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलों को तैनात किया है। इस सैन्य अड्डे के सहारे चीन का सपना पूरे साउथ चाइना सी पर राज करने का है। यही कारण है कि पूरे इलाके को लेकर चीन का ताइवान, वियतनाम, जापान, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई और फिलीपींस के साथ विवाद है। कृत्रिम द्वीप पर सैन्य अड्डा बनाकर तैनात किए ये विमान वॉशिंगटन टाइम्स ने मैक्सार की सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर बताया है कि मई और जून में स्प्रैटली द्वीप समूह में बनाए गए सैन्य अड्डे पर चीन ने केजे-500 एयरबॉर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट को तैनात किया है। दूसरी सैटेलाइट तस्वीरों में सूबी रीफ पर बने एयरबेस पर वाई-9 ट्रांसपोर्ट विमान और जेड-8 हैवी ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर खड़े दिखाई दिए। चीन ने कुछ महीने पहले ही इस द्वीप के नजदीक एक बड़ा नौसैनिक अभ्यास भी किया था। जिसमें चीन के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर लियाओनिंग के साथ उसके कैरियर स्ट्राइक ग्रुप ने भी हिस्सा लिया था। चीन ने स्थायी रूप से की तैनाती अमेरिकी नौसेना के पूर्व नेवल इंटेलिजेंस ऑफिसर माइकल डाहम ने बताया कि सैटेलाइट तस्वीरों को देखने से पता चलता है कि चीन ने इन विमानों को स्थायी रूप से इस द्वीप पर तैनात किया हुआ है। माइकल इन दिनों जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2021 के सैन्य गतिविधि में सबसे बड़ा बदलाव चीनी स्पेशल मिशन के के विमान और हेलीकॉप्टरों की सुबी और मिस्चीफ रीफ्स में उपस्थिति है। आसपास के इलाके में चीन की होगी बादशाहत उन्होंने कहा कि यह तैनाती दर्शाता है कि पीएलए ने उन हवाई क्षेत्रों से नियमित हवाई संचालन शुरू किया है। ऐसे में उस द्वीप के आसपास से गुजरने वाली दूसरे देश की नौसेनाओं के लिए खतरा बढ़ जाएगा। जापानी सरकार ने देश के रक्षा श्वेत पत्र 2020 में कहा था कि चीन स्थानीय समुद्रों में क्षेत्रीय दावे करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। चीन अपने प्रभाव का विस्तार करने और सामरिक वर्चस्व कायम करने के लिए कोरोनो वायरस महामारी का भी उपयोग कर रहा है। नियंत्रण बढ़ाने का प्रयास कर रहा चीन ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स (AIIA) के राष्ट्रीय कार्यकारी निदेशक डॉ ब्रायस वेकफील्ड ने news.com.au को बताया कि इससे पता चलता है कि चीन इस क्षेत्र पर अपना नियंत्रण बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। ये विमान चीन को इस क्षेत्र में संपत्ति का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने की अनुमति देंगे। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि चीन की तथाकथित समुद्री मिलिशिया बिना युद्ध किए ही समुद्री संपत्तियों का भरपूर दोहन कर सकती है। चीन की समुद्री मिलिशिया में लाखों की संख्या में जहाज शामिल हैं। क्या काम करते हैं अवाक्स प्लेन अवाक्स या एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग ऐंड कंट्रोल सिस्टम एयरक्राफ्ट आधुनिक युद्धशैली का बहुत अहम हिस्सा हैं। जब तक ग्राउंड बेस्ड रेडार हमलावर फाइटर प्लेन, क्रूज मिजाइल, और ड्रोन को खोज पाएं ये उनसे पहले ही उन्हें ढूंढ़ लेते हैं। इसके अलावा ये दुश्मन और दोस्त फाइटर प्लेन्स के बीच आसानी से अंतर कर पाते हैं। इनकी मदद से दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखी जा सकती है। दक्षिण चीन सागर में इन देशों से भिड़ा है चीन दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में चीन अपनी सैनिक गतिविधियों को लगातार बढ़ा रहा है। यही कारण है कि उसने इन दोनों सागरों में स्थित कई निर्जन द्वीपों पर अपने सैन्य अड्डों को स्थापित कर लिया है। चीन की जमीन कब्जाने की बढ़ती भूख के कारण उसका ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम के साथ भी विवाद है।
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