Sunday 25 July 2021

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मॉस्को रूस ने आज 325वें नौसना दिवस के अवसर पर आयोजित परेड के जरिए पूरी दुनिया को अपनी नौसैनिक ताकत दिखाई है। सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित इस नौसैनिक परेड में के युद्धपोत आईएनएस तबर ने भी हिस्सा लिया। इस परेड के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें भारतीय नौसेना के चीफ एडमिरल करमबीर सिंह भी शामिल हुए हैं। भारतीय युद्धपोत ने दुनियाभर के कई देशों के जंगी जहाजों के साथ फिनलैंड की खाड़ी में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। रूसी नौसेना के साथ युद्धाभ्यास भी करेगा भारत रूसी नौसैनिक परेड में में भारतीय नौसेना के एक बैंड ने भी हिस्सा लिया। इस परेड के बाद सेंट पीटर्सबर्ग में आईएनएस तबर के चालक दल के सदस्य रूसी नौसेना के साथ कई तरह के द्विपक्षीय चर्चाओं में शामिल होंगे। इसके बाद भारत और रूस की नौसेना साझा युद्धाभ्यास भी करेंगी। इस युद्धाभ्यास का नाम इंद्र 2021 होगा। इसका मकसद समुद्री खतरों से निपटने के लिए संयुक्त अभियान को बढ़ावा देना और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना है। कितना शक्तिशाली है आईएनएस तबर आईएनएस तबर भारतीय नौसेना के तलवार क्लास का तीसरा फ्रिगेट है। आईएनएस तबर रूस में ही बना हुआ युद्धपोत है। इसे भारतीय नौसेना में 19 अप्रैल 2004 को रूस के कलिनिनग्राद में शामिल किया गया था। इस युद्धपोत का संचालन भारतीय नौसेना की वेस्टर्न कमांड करती है। 3620 टन डिस्प्लेसमेंट वाले इस युद्धपोत की लंबाई 124.8 मीटर है। इसके पिछले हिस्से पर हेलिकॉप्टर डेक भी बना हुआ है। आईएनएस तबर पर तैनात हैं ये हथियार आईएनएस तबर की टॉप स्पीड 56 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस युद्धपोत पर 18 ऑफिसर्स सहित 180 क्रू मेंबर तैनात होते हैं। इस युद्धपोत पर 24 की संख्या में Buk मिसाइल सिस्टम का नेवल वर्जन Shtil-1 तैनात है। Shtil-1 मीडियम रेंज की एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल है। इसके अलावा 8 की संख्या में इग्ला मैन पोर्टेबर एंटी एयर मिसाइल सिस्टम भी तैनात हैं। क्लब क्लास की एंटी शिप क्रूज मिसाइलों को फायर करने के लिए इसमें आठ वर्टिकल लॉन्चिंग ट्यूब भी लगे हुए हैं। दुश्मन के जमीनी और कम उंचाई पर उड़ने वाले हवाई निशानों को मारने के लिए इसमें A-190E नाम का 100 एमएम का मेन गन लगा हुआ है। सेंट पीटर्सबर्ग में क्यों ताकत दिखा रहा रूस सेंट पीटर्सबर्ग रूस के सबसे बड़े औद्योगिक शहरों में से एक है। यहीं पर रूसी नौसेना की उत्तरी फ्लीट तैनात रहती है, जो यूरोप से लेकर आर्कटिक तक सुरक्षा का जिम्मा संभालती है। रूस का ज्यादातर व्यापार भी सेंट पीटर्सबर्ग स्थित शिपयॉर्ड से ही किया जाता है। फिनलैंड की खाड़ी आगे जाकर बाल्टिक सागर से मिलती है। इसके किनारे स्थित पोलैंड और जर्मनी में अमेरिकी सेना तैनात है। जिसके कारण रूस की टेंशन बनी रहती है। नाटो के युद्धाभ्यास से चिढ़ा हुआ है रूस काला सागर के उत्तर पश्चिम हिस्से में अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो के वार्षिक युद्धाभ्यास सी ब्रिज से रूस चिढ़ा हुआ है। नाटो देश जानबूझकर रूस को उकसाने के लिए हर साल इसी इलाके में युद्धाभ्यास करते हैं। रूसी नौसेना के युद्धपोतों ने भी इस सैन्य अभ्यास पर करीबी निगाह रखी। इसमें रूस के विरोधी गुट के 32 देशों के लगभग 5,000 सैनिक और 32 युद्धपोत शामिल हुए थे।


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