काबुल तालिबान के बिजली सप्लाई लाइनों पर किए गए हमले के बाद अफगानिस्तान की राजधानी काबुल अंधेरे में डूब गई है। अफगान ऊर्जा कंपनी डीएबीएस ने मंगलवार को कहा कि काबुल और देश के अन्य हिस्सों को आज ब्लैकआउट का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने बताया कि तालिबान आतंकियों के पूर्वोत्तर प्रांत बगलान में बिजली लाइनों को नुकसान पहुंचाने के बाद यह स्थिति पैदा हुई है। बगलान प्रांत में बिजली लाइनों को हुआ भारी नुकसान बगलान प्रांत के किलिगाई क्षेत्र में क्षतिग्रस्त हुई बिजली लाइन को सुधारने के काम में भी परेशानी आ रही है। इस इलाके में तालिबान और अफगान सेना के बीच जंग जारी है। इनके बीच बिजली कंपनी अपने इंजीनियर और कर्मचारियों को भी नहीं भेज पा रही है। कंपनी ने फेसबुक पर लिखा कि बिजली लाइन को नुकसान पहुंचने के बाद काबुल और कई अन्य क्षेत्रों में बिजली सप्लाई बंद कर दी गई है। अब शहरों की ओर बढ़ रहा तालिबान अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों के देश से हटने के बाद से अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ रही है। तालिबान ने अफगानिस्तान के बड़े ग्रामीण क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है और शहरों पर आक्रमण शुरू कर दिया है। कंधार, गजनी, काबुल सहित देश के कई शहरों में तालिबान और अफगान सेना के बीच झड़पें लगातार जारी हैं। हालांकि, अफगान सेना ने दावा किया है कि उसने तालिबान की बढ़त को रोक दिया है। अफगान सेना ने तालिबान को पीछे ढकेला अफगानिस्तान के उत्तरी जिलों से अफगान सेना की इस स्पेशल टुकड़ी ने तालिबान को पीछे ढकेल दिया है। इतना ही नहीं, अफगान सेना ने उज्बेकिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा कब्जा कर बैठे आतंकियों को भी मार भगाया है। स्थानीय निवासियों से मिल रहे समर्थन के बाद अफगान सेना ने तालिबान को कलदार जिले से बाहर निकाल दिया है। कलदार अफगानिस्तान के उत्तरी सीमा क्षेत्र बल्ख प्रांत का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक एरिया है। इसकी सीमाएं उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान से सटी हुई हैं। अफगानिस्तान के अधिकतर बॉर्डर पर तालिबान का कब्जा तालिबान ने पाकिस्तान, ईरान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को जोड़ने वाले हेरात, फरहा, कंधार, कुंदुज, तखर और बदख्शां प्रांतों में कई बड़े हाईवे और बॉर्डर पोस्ट पर कब्जा कर लिया है। इन रास्तों से 2.9 बिलियन डॉलर का आयात-निर्यात किया जाता है। अफगानिस्तान की अशरफ गनी सरकार अभी नंगरहार, पक्त्या, पक्तिका, खोस्त इन रास्तों से होने वाले व्यापार की कुल कीमत 2 बिलियन डॉलर के आसपास है। आतंकियों के इस सोचे-समझे प्लान से अमेरिका तक हैरान है। खाने-पीने की कमी से जूझने के कगार पर काबुल अफगानिस्तान के जंग पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान रणनीतिक रूप से प्रशासन, युद्ध, ऊर्जा और यहां तक कि भोजन के लिए उपयोग किए जाने वाले अफगान सरकार के संसाधनों को बंद करने पर तेजी से काम कर रहा है। तालिबान के लड़ाके राजधानी काबुल तक पहुंच गए हैं। ईद-उल-अजहा से एक दिन पहले काबुल में राष्ट्रपति की नमाज के दौरान तालिबान ने कई रॉकेट दागे। अति सुरक्षित माने जाने वाले ग्रीन जोन में इन रॉकेट के गिरने से लोगों के मन में तालिबान को लेकर डर बैठ गया है। कुशल रणनीति से सीमा पर कब्जा कर रहा तालिबान विश्लेषकों का मानना है कि अगर तालिबान आक्रामक तरीके से सीमाओं पर कब्जे की कोशिशें जारी रखता है तो राजधानी काबुल और अन्य सरकार-नियंत्रित क्षेत्रों को जल्द ही भोजन और ऊर्जा की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। उनका मानना है कि तालिबान एक कुशल रणनीति के तहत सीमाओं पर कब्जा कर रहा है। इसका उद्देश्य सरकार के वास्तविक आत्मसमर्पण को मजबूर करना है।
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