ओस्लो दक्षिणी नार्वे में एक विशाल उल्कापिंड आग के गोले की तरह से जलते हुए धरती पर गिरा है। बताया जा रहा है कि अगर इस उल्कापिंड को पाने में लोग सफल होते हैं तो यह उन्हें 5 करोड़ रुपये दिलवा सकता है। उल्कापिंड की तलाश नार्वे में जोर-शोर से जारी है। इस असामान्य विशाल उल्कापिंड के गिरने से नार्वे का आकाश जगमगा उठा और तेज आवाज भी सुनाई दी। बताया जा रहा कि उल्कापिंड के टुकड़े आकाश में बिखर गए थे। नार्वे की राजधानी ओस्लो के विशेषज्ञों का कहना है कि उल्कापिंड का एक टुकड़ा शहर से ज्यादा दूर नहीं गिरा है। अलसुबह उल्कापात से किसी के घायल होने या नुकसान की कोई सूचना नहीं है। खबरों के मुताबिक यह उल्कापिंड रात को करीब एक बजे धरती की ओर आना शुरू हुआ। देखें वीडियो.... उल्कापिंड की खोज में लग जाएंगे 10 साल दक्षिणी ओस्लो के होलमेस्ट्रैंड के एक वेब कैमरा ने उल्कापिंड के धरती पर गिरने को अपने कैमरे में कैद कर लिया। इस दौरान आकाश में तेज प्रकाश देखने को मिला। नार्वे के उल्कापिंड नेटवर्क ने वीडियो और अन्य आंकड़ों का विश्लेषण किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि उल्कापिंड ठीक-ठीक कहां पर गिरा और उसका स्रोत क्या है। प्राथमिक आंकड़ों से पता चला है कि यह उल्कापिंड 60 किमी के जंगली इलाके में गिरा है। इसे फिन्नेमार्का के नाम से जाना जाता है जो ओस्लो के पश्चिम में स्थित है। इस उल्कापिंड को देखने वाले मोर्टेन बिलेट कहते हैं कि यह पागलपन की तरह से है। उन्होंने कहा कि अभी कोई मलबा नहीं मिला है और इतने बड़े इलाके में तलाश चल रही है कि उसे पूरा करने में करीब 10 साल लग सकता है। यह उल्कापिंड 15 से 20 किमी प्रति सेकंड की दर से धरती की ओर आया और रात के समय पांच से छह सेकंड के लिए जल उठा।
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