Thursday 22 July 2021

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बीजिंग भारत के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बीच चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्‍बत का अप्रत्‍याशित दौरा किया है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2011 में सत्‍ता संभालने के बाद यह शी जिनपिंग का पहला तिब्‍बत दौरा है। चीन की सरकारी संवाद एजेंसी शिन्‍हुआ के मुताबिक शी जिनपिंग ने भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्‍य से सटे चीन के न्यिंगची शहर का दौरा किया जो तिब्‍बत का हिस्‍सा है। यही नहीं शी जिनपिंग ब्रह्मपुत्र नदी को भी देखने गए जिस पर चीन दुनिया का सबसे विशाल बांध बना रहा है और भारत इसका विरोध कर रहा है। शिन्‍हुआ ने बताया कि बुधवार को राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग न्यिंगची के एयरपोर्ट पहुंचे जहां उनका स्‍थानीय लोगों ने गर्मजोशी से स्‍वागत किया। इसके बाद चीनी राष्‍ट्रपति ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक नदी के घाटी का निरीक्षण किया। बताया जा रहा है कि चीनी राष्‍ट्रपति इस समय तिब्‍बत की राजधानी ल्‍हासा पहुंच गए हैं। चीनी राष्‍ट्रपति ने अरुणाचल सीमा का दौरा ऐसे समय पर किया है जब हाल ही में चीन ने पहली बार पूरी तरह बिजली से चालित बुलेट ट्रेन का परिचालन शुरू किया है। यह बुलेट ट्रेन राजधानी ल्‍हासा और न्यिंगची को जोड़ेगी। इसकी रफ्तार 160 क‍िमी प्रतिघंटा है। बुलेट रेल लाइन सीमा स्थिरता को सुरक्षित रखेगी: शी चीनी राष्‍ट्रपति शी ने कुछ समय पहले ही कहा था कि नयी बुलेट रेल लाइन सीमा स्थिरता को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएगी। उनका इशारा भारत से लगी अरुणाचल सीमा की ओर था। न्यिंगची अरुणाचल के करीब स्थित तिब्बत का सीमाई नगर है। सिचुआन-तिब्बत रेलवे के 435.5 किलोमीटर लंबे ल्‍हासा-न्यिंगची खंड का एक जुलाई को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के शताब्दी समारोहों से पहले उद्घाटन किया गया था। ‘शिन्हुआ’ के मुताबिक तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में पहली बिजली से चलने वाली रेलवे की शुरुआत हुई जो ल्‍हासा से न्यिंगची तक गई जहां 'फूक्सिंग' बुलेट ट्रेनों का पठारी क्षेत्र में आधिकारिक परिचालन शुरू हुआ। सिचुआन-तिब्बत रेलवे किंगहाई-तिब्बत रेलवे के बाद तिब्बत में दूसरी रेलवे होगी। यह किंगहाई-तिब्बत पठार के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र से होकर गुजरेगी जो विश्व के भूगर्भीय रूप से सबसे सक्रिय क्षेत्रों में से एक है। पिछले साल नवंबर में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अधिकारियों को सिचुआन प्रांत को तिब्बत में न्यिंगची से जोड़ने वाली नयी रेलवे परियोजना का काम तेज गति से करने का निर्देश दिया था। सिचुआन-तिब्बत रेलवे की शुरुआत सिचुआन प्रांत की राजधानी, चेंगदू से होगी और यान से गुजरते हुए कामदो के जरिए तिब्बत में प्रवेश करेगी जिससे चेंगदू से ल्‍हासा की यात्रा 48 घंटे से कम होकर 13 घंटे रह जाएगी। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर बना रहा विश्‍व का सबसे बड़ा बांध चीन ने रेल के साथ-साथ सड़क मार्ग को भी दुरुस्‍त किया है। उसने हाल ही में ब्रह्मपुत्र नदी घाटी के बीच से एक रणनीतिक रूप से बेहद अहम हाइवे का निर्माण किया है। यह हाइवे मेडोग काउंटी को जोड़ता है जिसकी सीमा अरुणाचल प्रदेश से लगती है। यही नहीं लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारतीय सरजमीं पर नजरें गड़ाए बैठा चीन अब भारतीय जलसंपदा पर 'कब्‍जा' करने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है। चीन तिब्‍बत से लेकर भारत तक बेहद पवित्र मानी जाने वाली यारलुंग त्‍सांग्‍पो या ब्रह्मपुत्र नदी पर 60 गीगावाट का महाकाय बांध बनाने की योजना में लग गया है। यह बांध तिब्‍बत स्‍वायत्‍त क्षेत्र के उस प्राचीन इलाके में इलाके में बनाया जा रहा है जहां पर तिब्‍बत का पहला साम्राज्‍य पनपा था। चीन का लक्ष्‍य वर्ष 2060 कार्बन तटस्‍थता हासिल करने का है जिसके लिए वह तिब्‍बत में हाइड्रोपावर प्रॉजेक्‍ट पर पूरा जोर लगा रहा है। वह भी तब जब पूरे बांध का तिब्‍बत के लोग और पर्यावरणविद विरोध कर रहे हैं। समुद्र तल से करीब 16404 फुट की ऊंचाई पर पश्चिम तिब्‍बत के ग्‍लेशियर से निकलने वाली यारलुंग त्‍सांग्‍पो या ब्रह्मपुत्र नदी दुनिया की सबसे ऊंची नदी है। ब्रह्मपुत्र नदी हिमालय के सीने को चीरते हुए पूर्वोत्‍तर भारत के रास्‍ते बांग्‍लादेश तक जाती है। थ्री जॉर्ज डैम से तीन गुना ज्‍यादा बिजली पैदा करेगा ब्रह्मपुत्र बांध विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के थ्री जॉर्ज डैम की तुलना में यह ब्रह्मपुत्र पर बन रहा बांध तीन गुना ज्‍यादा बिजली पैदा कर सकता है। थ्री जॉर्ज डैम के बनने के बाद करीब 14 लाख लोगों को अपने घर को छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ा था। ब्रह्मपुत्र के आसपास चीन में बहुत कम आबादी निवास करती है लेकिन अब तक 2 हजार लोगों को दूसरी स्‍थान पर ले जाना पड़ा है। इस बांध को मेडोग काउंटी में बनाया जाएगा जिसकी आबादी करीब 14 हजार है। करीब 25 लाख वर्ग किलीमीटर में फैला तिब्‍बत का पठार न केवल प्राकृतिक संपदा से भरा है बल्कि कई और देशों से उसकी सीमा जुड़ती है। तीसरा ध्रुव कहे जाने वाले तिब्‍बत के पठार पर बर्फ पिघलने और जलस्रोतों से चीन, भारत और भूटान की करीब 1.8 अरब की आबादी की प्‍यास बुझती है। टेंपा कहते हैं कि तिब्‍बत के प्राकृतिक स्रोतों की वजह से ही चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ने 70 साल पहले तिब्‍बत पर कब्‍जा किया था।


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