पेइचिंग लद्दाख में शांति का राग अलाप रहा चीन अरुणाचल प्रदेश से लेकर हिमाचल प्रदेश तक अपनी धोखेबाजी वाली हरकतों से बाज नहीं आ रहा। कुछ दिनों पहले शी जिनपिंग ने तिब्बत का अचानक दौरा किया था। तब कहा गया था कि उनका दौरा बौद्ध धर्म के साथ बाकी चीन को जोड़ने और बौद्ध संस्कृति की संरक्षण के लिए आयोजित किया गया था। लेकिन, अब खुद चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने शी जिनपिंग के दौरे की असली वजह दुनिया के सामने रख दी है। तिब्बत में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के नाम पर चीन भारतीय सीमा पर तीन नए एयरपोर्ट को स्थापित करने जा रहा है। इस परियोजना को मंजूरी जिनपिंग ने तिब्बत दौरे के बीच में दी थी। चीन की नीयत पर क्यों उठ रहे सवाल? चीन की मंशा पर सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि जिन इलाकों में इन तीन एयरपोर्ट का निर्माण किया जाना है, वहां लोगों की आबादी एकदम कम है। दूसरी बात यह है कि दशकों से चीन के सताए हुए ये लोग आर्थिक रूप से इतने मजबूत भी नहीं हैं कि हवाई सफर जैसे महंगे विकल्प का प्रयोग कर पाएं। ये तीनों जगह भारतीय सीमा से एकदम करीब है। ऐसे में युद्ध के समय चीन इन एयरपोर्ट का इस्तेमाल एयरबेस के तौर पर कर सकता है। वर्षों से यह इलाका विकास के चीनी दावे से बिलकुल अछूता था। ऐसे में भारत से तनाव के बीच ऐसा क्या हुआ, जिसके कारण चीन तेजी से परिवहन प्रणाली को विकसित कर रहा है। किन इलाकों में नए एयरपोर्ट बना रहा चीन चीन तिब्बत के जिन तीन नए इलाकों में एयरपोर्ट बनाने जा रहा है उनके नाम लुंज़े काउंटी, टिंगरी काउंटी और बुरांग काउंटी है। बड़ी बात यह है कि चीन इन क्षेत्रों में बनने वाले एयरपोर्ट को 2025 के अंत तक शुरू करने जा रहा है। चीन इन एयरपोर्ट्स को मिलिट्री हितों को ध्यान में रखकर डिजाइन करेगा। यहां कॉमर्शियल फ्लाइट के अलावा चीनी वायु सेना के लड़ाकू विमान, अवॉक्स विमान, एरियल रिफ्यूलर विमान तैनात होंगे। इसके अलावा चीन ल्हासा में गोंगगर हवाई अड्डे को इस क्षेत्र के सबसे बड़े हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने जा रहा है। तिब्बत में रेल नेटवर्क भी बढ़ा रहा चीन ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि चीन तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में हवाई अड्डों से लेकर हाई-स्पीड रेल तक के परिवहन प्रणाली को तेजी से विकसित कर रहा है। चीन का दावा है कि तिब्बत के आर्थिक विकास न केवल इस क्षेत्र के लोगों के जीवन में खुशहाली लाएगा बल्कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल नेपाल के लिए भी प्रगति के रास्ते खोलेगा। चीन अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास 435 किलोमीटर की लंबाई वाले ल्हासा-न्यिंगची रेल नेटवर्क को भी शुरू कर चुका है। इस ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनों की औसत गति 160 किलोमीटर प्रतिघंटे तक है। जिनपिंग ने तिब्बत में अपनाई आक्रामक नीति शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद से चीन ने तिब्बत के बुनियादी ढांचों में निवेश काफी बढ़ा दिया है। लगभग 35 लाख की आबादी वाले तिब्बत में चीन ने कुल 130 नए हवाई मार्ग शुरू किए हैं। चीन का दावा है कि तिब्बत के 61 छोटे-बड़े शहर अब हवाई नेटवर्क से जुड़ गए हैं। सिंघुआ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने दावा किया कि तिब्बत में परिवहन के क्षेत्र में चीन के निवेश से नेपाल के साथ भी कनेक्टिविटी बढ़ेगी। भारत सीमा के नजदीक चीन के कौन-कौन से एयरबेस ऐक्टिव
एयरबेस | समुद्रतल से ऊंचाई | तैनात विमान |
कासी एयरबेस | 4529 फीट | जे-11, जेएच-7, यूएवी |
तास्कुरगन एयरबेस | 10633 फीट | निर्माणाधीन |
होटान एयरबेस | 4672 फीट | जे-8, जे-7, अवाक्स, यूएवी |
सेतुला हेलीपैड | 12017 फीट | जानकारी नहीं |
तेनसुहाई हेलीपैड | 14980 फीट | निर्माणाधीन |
रुतांग काउंटी हेलीपैड | 14881 फीट | निर्माणाधीन |
शिक्वान्हें हेलीपैड | 14064 फीट | जानकारी नहीं |
नगारी एयरबेस | 14022 फीट | जे-11, यूएवी |
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