Thursday, 15 July 2021

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पेइचिंग लद्दाख में पिछले एक साल से जारी तनाव के बीच चीन शिनजियांग प्रांत में स्थित अपने सीक्रेट एयरबेस को तेजी से विकसित कर रहा है। सैटेलाइट इमेज में चीन के पर एक विशाल हैंगर बना हुआ दिखाई दे रहा है। आम तौर पर किसी भी देश के एयरफोर्स बेस पर इतने बड़े हैंगर नहीं बनाए जाते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन इस इस एयरबेस का इस्तेमाल स्पेस मिलिट्री रिसर्च, डेवलपमेंट और टेस्टिंग के लिए कर रहा है। इतना ही नहीं, आशंका तो यहां तक जताई जा रही है कि इस एयरबेस पर चीन ने एंटी-सैटेलाइट लेजर सिस्टम या हाई पावर वाले माइक्रोवेब हथियारों को तैनात किया है। 1150 फीट लंबा है यह हैंगर वॉर जोन नाम की डिफेंस वेबसाइट ने प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर बताया है कि यह हैंगर लगभग 1150 फीट लंबा और 450 फीट चौड़ा है। चीन के मालन एयरबेस पर बना यह हैंगर शिनजियांग स्वायत्त क्षेत्र की सबसे बड़ी झील, बोस्टेन झील के दक्षिण में पांच मील की दूरी पर स्थित है। इस हैंगर के पास ही एयर डिफेंस मिसाइल साइट भी दिखाई दे रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि चीन सैन्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लिए इस एयरबेस का प्रयोग कर रहा है। एयरबेस पर चीनी सेना के कई वाहन भी दिखे ऐप्पल मैप्स से मिली सैटेलाइट तस्वीरों से इस एयरबेस पर कई वाहनों और यूएवी के होने का भी पता चला है। तस्वीरों में इस हैंगर को हरे रंग में दिखाया गया है। जिसके पास चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के ट्रक और दूसरे वाहन खड़े दिखाई दे रहे हैं। हैंगर के पास एक रनवे जैसे दिखने वाले ट्रैक को सुधारा जा रहा है। यह रनवे 8000 फीट लंबा है जहां कोई बड़ा मिलिट्री प्लेन भी उतर सकता है। एंटी-सैटेलाइट लेजर सिस्टम की टेस्टिंग साइट होने का शक इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि चीनी एयरफोर्स के मालन एयरबेस पर बना विशाल एयरशिप हैंगर जमीन आधारित एंटी-सैटेलाइट लेजर सिस्टम या हाई पावर वाले माइक्रोवेब हथियारों का टेस्टिंग सेंटर हो सकता है। इस एयरबेस के दक्षिण में एक बड़ा टावर भी है, जो हैंगर से लगभग साढ़े चार मील दूर है। इसके अलावा इस एयरबेस पर कई बंकर और बिल्डिंग्स का निर्माण भी दिखाई दे रहा है। माना जा रहा है कि इस टॉवरों में यहां काम करने वाले के इंजिनियर और कर्मचारी रहेंगे। मालन में ही यूएवी की भीड़ के बीच दिखा था लड़ाकू विमान पिछले साल के अंत में इसी एयरबेस पर यूएवी के बीच एक लड़ाकू विमान की तस्वीर ने काफी सुर्खियां बटोरी थी। बाद में विशेषज्ञों ने बताया था कि चीन दरअसल लड़ाकू विमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की टेस्टिंग कर रहा था। अगर यह प्रयोग सफल हो जाता है तो आने वाले दिनों में J-16 लड़ाकू विमान को किसी अनमैंड एरियल व्हीकल के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। इससे युद्ध के दौरान पायटलों के जान की रिस्क कम होगी और हवाई क्षमता में भी भारी बढ़ोत्तरी होगी।


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