Thursday 22 July 2021

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एथेंस तुर्की से तनाव के बीच ग्रीस की वायु सेना को फ्रांस से पहला राफेल विमान मिल गया है। डसॉल्ट एविएशन फ्लाइट टेस्ट सेंटर में आयोजित हैंडओवर सेरेमनी में ग्रीस के रक्षा मंत्री निकोलाओस पनागियोटोपोलोस और डसॉल्ट एविएशन के प्रेसिडेंट और सीईओ एरिक ट्रैपियर भी मौजूद रहे। ये विमान यहां से उड़ान भरकर सीधे ग्रीस पहुंचेंगे। छह महीने पहले ही ग्रीस ने डसॉल्ट एविएशन के साथ 18 राफेल विमानों की खरीद को लेकर करार किया था। इनमें से 10 राफेल के F3-R वैरियंट होंगे, जबकि शेष 8 सेकेंड हेंड जेट होंगे, जिसके लिए ग्रीस को कोई भी पैसा नहीं देना होगा। तनाग्रा वायु सेना बेस पर तैनात होंगे राफेल ग्रीस को मिलने वाले अगले पांच राफेल विमान फ्रांसीसी वायु सेना से लिए जाएंगे। इन विमानों को ओवरहॉल कर इससे ग्रीस के हेलेनिक एयरफोर्स के पायलटों और तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया जाएगा। हेलेनिक एयरफोर्स इन राफेल विमानों को तनाग्रा वायु सेना बेस पर तैनात करने की प्लानिंग कर रही है। यहां से तुर्की के एफ-16 लड़ाकू विमानों पर करीबी नजर रखी जा सकती है। तुर्की और ग्रीस दोनों के पास एफ-16 लड़ाकू विमान भूमध्य सागर में अपनी दादागिरी चलाने का ख्वाब देख रहा तुर्की ग्रीस एयरफोर्स में शामिल होने वाले राफेल विमानों से डरा हुआ है। वर्तमान में तुर्की और ग्रीस दोनों देशों के पास अमेरिका का एफ-16 फाइटर जेट है। लेकिन ग्रीस के पास राफेल आ जाने से हवा में तुर्की की ताकत कम हो जाएगी। वहीं, फ्रांस ने खुलकर ग्रीस का साथ देने का ऐलान कर दिया है। तुर्की और ग्रीस में क्या है विवाद दरअसल, पिछले साल से तुर्की का समुद्री तेल खोजी शिप ओरुक रीस ग्रीस के द्वीप कस्तेलोरिज़ो के नजदीक रिसर्च गतिविधि को अंजाम दे रहा है। ग्रीस का दावा है कि तुर्की का शिप उसके जलक्षेत्र में ऑपरेट कर रहा है। जबकि, तुर्की ने ग्रीस के दावे को नकारते हुए उस समुद्री हिस्से को अपना बताया है। तुर्की इस इलाके में ऑफ-शोर ड्रिलिंग को आगे बढ़ाने पर अड़ा है जबकि फ्रांस ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर तुर्की ने विवादित क्षेत्र में ऐसी कोई गतिविधि शुरू की तो वह मूक दर्शक नहीं बना रहेगा। विवाद की जड़ पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्र में साढ़े तीन ट्रिलियन क्यूबिक मीटर (टीसीएम) गैस है, जिसमें 2.3 टीसीएम स्पष्ट रूप से इजिप्ट, इजरायल और साइप्रस के इकनॉमिक इंट्रेस्ट जोन में है। तुर्की के पास है S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम वहीं तुर्की के पास S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के एयरक्राफ्ट को आसमान से गिरा सकता है। S-400 को रूस का सबसे अडवांस लॉन्ग रेंज सर्फेस-टु-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है। यह दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम रूस के ही S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है। इस मिसाइल सिस्टम को अल्माज-आंते ने तैयार किया है, जो रूस में 2007 के बाद से ही सेवा में है।


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