पेइचिंग भारत और अमेरिका के साथ जारी तनाव के बीच चीन ने एक अदृश्य हथियार का टेस्ट किया है। यह हथियार पल भर में दुश्मन के किसी भी अनमैंड एरियल वीकल (ड्रोन या यूएवी) को जमीन पर गिरा सकता है। यह हथियार एक शक्तिशाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स (ईएमपी) है। इससे दुश्मन के ड्रोन को मिलने वाले कमांड सिग्नल को जाम किया जा सकता है। ऐसे में ड्रोन का कंट्रोल दुश्मन देशों के कमांड सेंटर से टूट जाएगा और वह निष्क्रिय होकर जमीन पर गिर जाएगा। 1500 मीटर ऊपर उड़ रहे ड्रोन को गिराया बताया जा रहा है कि चीन ने अपने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स हथियार का एक सफल परीक्षण भी किया है। इस हथियार को दागकर समुद्र तल से 1,500 मीटर (4,920 फीट) ऊपर उड़ रहे एक ड्रोन को सफलतापूर्वक नीचे गिरा दिया गया। बताया जा रहा है कि इस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स हथियार को चीन की रक्षा कंपनी चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप (सीईटीसी) ने बनाया है। चीन ने पहली बार किया फील्ड ट्रायल इस टेस्ट को चीन के पहले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स वेपन का फील्ड ट्रायल कहा जा रहा है। परीक्षण में इस्तेमाल किया गया ईएमपी हथियार एक नैरो बैंड के भीतर काम करता है। जिसका अर्थ है कि इसके द्वारा पैदा की गई माइक्रोवेव बीम को लंबी फायरिंग रेंज के लिए डिज़ाइन किया गया है। ऐसे में यह काफी लंबे क्षेत्र को दुश्मन के ड्रोन और यूएवी से सुरक्षित रख सकता है। EMP फायर करने के बाद क्या हुआ शोधकर्ताओं ने बताया कि पल्स हथियार दागे जाने के बाद निशाना बनाए गए ड्रोन की उड़ान नियंत्रण प्रणाली खराब हो गई थी। चीनी जर्नल इलेक्ट्रॉनिक इंफॉर्मेशन वारफेयर टेक्नोलॉजी के एक पेपर के मुताबिक, इस प्रयोग में ड्रोन तुरंत नहीं गिरा बल्कि अप्रत्याशित रूप से एक तरफ से दूसरी तरफ घूम गया। बाद में कुछ दूर उड़ान भरने के बाद वह नीचे गिर गया। ड्रोन के दूसरी तरफ घूमने की यह थी वजह! सीईटीसी इंजीनियर वेन युनपेंग और उनके सहयोगियों ने कहा कि ड्रोन के व्यवहार के लिए एक संभावित स्पष्टीकरण यह है कि उड़ान नियंत्रण प्रणाली खराब होने से ड्रोन ने एक एरर कंट्रोल कमांड जारी किया होगा। रिसर्च पेपर में इस हथियार के प्रयोग की तारीख और स्थान, या ईएमपी हथियार और लक्ष्य के बीच की दूरी के बारे में विवरण नहीं दिया गया है। ईएमपी कैसे काम करता है? ईएमपी या इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स वेपन्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स कैनन से निकली तरंगों का इस्तेमाल करता है। यह ऊर्जा की एक केंद्रित किरण उत्पन्न करने के लिए एक सुपर-शक्तिशाली माइक्रोवेव सिस्टम का उपयोग करता है। ईएमपी से निकली ऊर्जा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे ड्रोन में वोल्टेज वृद्धि का कारण बनती है। इससे पहले कि ड्रोन या कोई दूसरा इलेक्ट्रानिक उपकरण अपने तापमान को नियंत्रित कर सके, यह वेपन उसे बेकार बना देता है।
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