काबुल/वॉशिंगटन अमेरिका ने साल 2017 में अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में आतंकी संगठन आईएसआईएस की गुफा पर 'मदर ऑफ ऑल बॉम्स' यानी 'सभी बमों की मां' को गिराकर भयानक तबाही मचाई थी। परमाणु बम के बाद सबसे खतरनाक माने जाने वाले GBU-43/B मैसिव ऑर्डनंस एयर ब्लास्ट (MOAB) को गिराने के बाद अमेरिका ने दावा किया था कि आईएस का खात्मा हो गया है। अमेरिका के इस दावे के उलट चार साल बाद आईएसआईएस ने काबुल एयरपोर्ट पर 13 सैनिकों की निर्मम हत्या करके अपना बदला ले लिया है। आईएसआईएस का आत्मघाती हमलावर अब्दुल रहमान अल लोगारी तालिबान की कथित सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए काबुल एयरपोर्ट के गेट के पास पहुंच गया। उसने अमेरिकी और ब्रिटिश सैनिकों से 5 मीटर की दूरी पर पहुंचकर जोरदार विस्फोट कर दिया। इस हमले में अब तक 85 लोग मारे गए हैं और 150 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। इसमें 13 अमेरिकी सैनिक शामिल हैं। उधर, तालिबान का दावा है कि उसके भी 28 लड़ाके मारे गए हैं। अफगानिस्तान में 8 साल बाद सबसे ज्यादा सैनिकों की मौत इस हमले की भयानकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2011 के बाद अफगानिस्तान में एक दिन में सबसे ज्यादा अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई है। इससे पहले अगस्त 2013 में चिनूक हेलिकॉप्टर पर हुए हमले में 30 सैनिक मारे गए थे। इस बीच तालिबान के चंगुल से निकल भागने के लिए परेशान अफगान लोगों को निकालने में लगे अमेरिकी सैनिकों को डर सता रहा है कि आने वाले दिनों में और हमले हो सकते हैं। आईएसआईएस ने अपने बयान में कहा है कि उसके आत्मघाती हमलावर ने अमेरिका की मदद करने वाले ट्रांसलेटरों और सहयोगियों तथा अमेरिकी सेना को निशाना बनाया है। इस बीच गुस्साए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ऐलान किया है कि हम आतंकियों को माफ नहीं करेंगे, उन्हें ढूंढेंगे और इसकी सजा देंगे। काबुल के हमलावरों को चेतावनी देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा- 'हम माफ नहीं करेंगे। हम नहीं भूलेंगे। हम आपको ढूंढेंगे, मारेंगे और आपके किए की सजा देंगे।' आईएस ने लिया 'मदर ऑफ ऑल बॉम्स' का बदला काबुल एयरपोर्ट पर इस भीषण हमले के बाद कई विशेषज्ञ आईएस के अमेरिका के 'मदर ऑफ ऑल बॉम्स' गिराने का बदला लेने की कार्रवाई के रूप में देख रहे हैं। अमेरिका ने वर्ष अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में ISIS को निशाना बनाते हुए GBU-43/B मैसिव ऑर्डनंस एयर ब्लास्ट (MOAB) बम गिराया था। इस बम को 'मदर ऑफ ऑल बॉम्स' यानी 'सभी बमों की मां' भी कहा जाता है। अफगानिस्तान में आईएस की सुरंगों और टनल को निशाना बनाकर 'सबसे बड़ा गैर-परमाणु बम' गिराया गया था। इस कार्रवाई के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था कि यह सफल अभियान रहा और हमें सेना पर गर्व है। अफगानिस्तान के नंगरहार के जिस इलाके में बम को गिराया गया था वहां 300 मीटर का गड्ढा हो गया था। MOAB के जालीदार पंख होते हैं जो गिराए जाने के बाद हवा में इसके वजन को कंट्रोल करते हैं। यह इतना बड़ा है कि इसे केवल एक बड़े विमान से ही गिराया जा सकता है। इस बम को पैलिट (पट्टी के आकार का स्टैंड) पर रखा जाता है। बम को विमान से बाहर निकालने के लिए पैलिट को पैरशूट की मदद से गिराया जाता है। पैरशूट द्वारा पैलिट को खींचे जाने से बम उससे अलग हो जाता है अपने टारगेट पर जाकर गिरता है। यह तेजी से आगे बढ़ता है और सैटलाइट की मदद से इसे आंशिक रूप से निर्देशित किया जाता है। इसमें जमीन से छह फीट ऊपर धमाका किया जाता है ताकि धमाके से होने वाली तबाही का दायरा ज्यादा से ज्यादा हो। हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से ज्यादा वजनी इसका धमाका 11 टीएनटी बमों के धमाके के बराबर होता है। दूसरे विश्वयुद्ध में जापान के हिरोशिमा पर जो न्यूक्लियर बम गिराया गया था उसमें 15 टन टीएनटी विस्फोटक था। इस बम को गिराने का मकसद बड़े लक्ष्यों को तबाह करना या जमीन पर बड़ी सैन्य शक्ति या हथियारों के बेड़े को नुकसान पहुंचाना होता है। साल 2003 में इराक युद्ध के दौरान अमेरिका ने MOAB बम का टेस्ट किया था, लेकिन इसे किसी देश पर पहली बार इस्तेमाल किया गया। बाद में रूस ने इससे चार गुना शक्तिशाली बम बनाया जिसे उसने 'फादर ऑफ ऑल बॉम्स' (सब बमों का बाप) का नाम दिया था। MOAB बम 30 फीट लंबा और 40 इंच चौड़ा होता है और इसका वजन 9500 किलो होता है। यह वजन हिरोशिमा पर गिराए गए बम के वजन से ज्यादा है।
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