Monday 30 August 2021

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पेइचिंग अमेरिका और भारत से बढ़ते तनाव के बीच चीन तेजी से अपने परमाणु शस्त्रागारों को बढ़ा रहा है। हाल में ही खबर आई थी कि चीन ने तीन अलग अलग ठिकानों पर 250 से अधिक इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल (ICBM) साइलोज को बनाया है। इनमें एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक परमाणु हमला करने में सक्षम मिसाइलों को रखा गया है। इसके अलावा चीन की 60 से अधिक पनडुब्बियां अगल-अलग ठिकानों पर परमाणु मिसाइलों के साथ गश्त लगा रही हैं। इस बीच चीन के एच-20 स्ट्रैटजिक बॉम्बर की तैनाती से चीन को जमीन और पानी के अलावा हवा से भी परमाणु हमला करने की ताकत मिल गई है। एच-20 के बारे में जानकारी छिपा रहा चीन चीन के एच-20 बमवर्षक के बारे में बहुत ही कम जानकारी सार्वजनिक प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद है। हालांकि, अटकलें हैं कि चीन इस विमान से जुड़ी डिलेट को जल्द ही साझा कर सकता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अफगानिस्तान, चेचन्या, खाड़ी युद्ध, इराक, कोरिया, लीबिया, सीरिया, वियतनाम और यूगोस्लाविया जैसे संघर्षों में अलग-अलग देशों ने बमवर्षक विमानों का व्यापक रूप से उपयोग किया। हालांकि, शीत युद्ध की समाप्ति के बाद इसकी महंगी प्रॉडक्शन और रखरखाव को देखते हुए कई देशों ने ऐसे विमानों से पल्ला झाड़ लिया। उनके पास विकल्प थे कि इन विमानों की कमी को इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों के जरिए पूरा किया जा सकता है। अमेरिका का बी-2 परमाणु हमला कर सकते हैं ये बॉम्बर यूके में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) में मिलिट्री एयरोस्पेस के सीनियर फेलो डगलस बैरी ने स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स के फायदे बताते हुए कहा कि हैवी बॉम्बर रेंज और पेलोड के मामले में सबसे बेहतरीन होते हैं। जबकि मीडियम बॉम्बर हैवी वाले से थोड़ा कम पेलोड लेकर जा सकते हैं। इसके बावजूद इन विमानों की लागत इतनी ज्यादा है कि दुनिया के चुनिंदा देश ही ऐसे विमानों का इस्तेमाल कर रहे हैं। दुनिया के तीन देशों के पास ही ऐसे विमान दरअसल वर्तमान में केवल तीन देशों की सेना ही स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स विमानों का उपयोग कर रही हैं। ये हैं- अमेरिका, रूस और चीन। गौरतलब है कि तीनों देश पुराने बेड़े को बदलने के लिए नए चोरी-छिपे बमवर्षक विकसित कर रहे हैं। इसके अलावा, बहुत कम संभावना है कि कोई भी अन्य देश जल्द ही इस अमेरिकी-चीनी-रूसी तिकड़ी में शामिल होगा। अमेरिका का बी-21 अमेरिका के बी-21 से चीन के एच-20 का मुकाबला अमेरिका के बी -21 रेडर स्टील्थ बॉम्बर के जवाब में चीन इन दिनों एच -20 बॉम्बर को विकसित कर रहा है। हालांकि इसके बारे में अभी तक बेहद कम जानकारी ही सामने आई है। अभी तक यह पता चला है कि यान एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन (एक्सएसी) एच -20 विकसित कर रहा है। इसकी पहली आधिकारिक पुष्टि सितंबर 2016 में तत्कालीन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (पीएलएएएफ) कमांडर जनरल मा शियाओटियन ने की थी। उन्होंने कहा था कि हम अब एक नई पीढ़ी, लंबी दूरी का स्ट्राइक बॉम्बर विकसित कर रहे हैं जिसे आप भविष्य में कभी भी देखेंगे। स्टील्थ तकनीकी से लैस होगा चीनी एच-20 बैरी ने एच-20 विमान के बारे में बताते हुए कहा कि सिग्नेचर मैनेजमेंट को ध्यान में रखकर इसे फ्लाइंग-विंग डिज़ाइन पर तैयार किया जा रहा है। फ्लाइंग विंग डिजाइन एक ऐसा विमान है जिसकी कोई टेल नहीं होती। इस प्रकार का पहला बमवर्षक अमेरिकी वायु सेना (USAF) का B-2 स्पिरिट था। चीन पहले ही फ्लाइंग विंग यूएवी उड़ा चुका है, जो इस तरह के डिजाइनों के साथ उसकी परिचितता और महारत दोनों का प्रदर्शन करता है। सिग्नेचर मैनेजमेंट का मतलब दुश्मन के रडार से आई तरंगों को यह सीधे जाने दे और खुद को गुप्त रखे। चीन का एच-20 एच-20 पर शेखी बघार रहा चीन द चाइना डेली ने एक सेवानिवृत्त पीएलएएएफ उपकरण विशेषज्ञ फू कियानशाओ के हवाले से एक लेख प्रकाशित किया, जिन्होंने गर्व से दावा किया कि एच -20 अमेरिकी बी -2 से अधिक सक्षम होगा। उन्होंने यह भी शेखी बधारी कि यह विमान भविष्य के बी -21 से अधिक ताकतवर होगा और यह अपने सभी समकक्ष विमानों को पीछे छोड़ देगा। फू ने कहा कि नए बमवर्षक का अनावरण होने के बाद, यह निश्चित रूप से हमारी अनूठी तकनीकों के लिए विश्व-अग्रणी हार्डवेयर होगा। विश्वसनीय इंजनों से लैस होगा। लोगों को केवल चीनी के उदय को देखने के लिए धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करने की आवश्यकता है। स्वदेशी इंजन की कमी से परेशान है चीन हालांकि, फू ने यह नहीं बताया कि इस विमान में किस तरह से इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा। क्योंकि विमान का इंजन बनाने में चीन अभी भी नौसिखिया है। वह WS10 जैसे इंजनों पर काम तो जरूर कर रहा है, लेकिन ऐसे स्टील्थ विमानों को ताकत देने के लिए उसे नए और इससे भी अधिक शक्तिशाली इंजन की जरूरत होगी। चीन अब भी अपने विमानों के लिए रूस से भारी मात्रा में जेट इंजन का आयात कर रहा है। चीन का एच-6 अभी एच-6 पर आश्रित है चीन का परमाणु ट्राएड अभी तक कोई भी सही-सही नहीं जानता है कि चीन के एच-20 स्टील्थ स्ट्रैटजिक बॉम्बस सर्विस में कब कमीशन होंगे। लेकिन, अनुमान लगाया जा रहा है कि 2026-27 तक इस विमान को चीनी वायु सेना में देखा जा सकता है। इसकी तुलना में अमेरिकी बी-21 की पहली उड़ान 2022 में निर्धारित है। पहले बी-21 को 2020 में उड़ान के लिए शेड्यूल किया गया था। ऐसे में चीन अभी परमाणु हमला करने के लिए अपनी नौसेना के H-6 बॉम्बर्स के बेड़े पर निर्भर है। यह विमान सोवियत संघ के जमाने के Tu-16 की कॉपी है।


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