Monday 30 August 2021

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इस्लामाबाद पाकिस्तान में हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हो रहे हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब धर्म परिवर्तन के लिए बदनाम सिंध के खिप्रो में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा कर रहे हिंदुओं पर हमला हुआ है। कट्टरपंथियों की भीड़ ने न केवल पूजा कर रहे लोगों को मारपीट कर भगा दिया, बल्कि भगवान के मूर्ति को भी क्षतिग्रस्त किया। जिसके बाद से सोशल मीडिया पर इस घटना की तस्वीरें शेयर की जा रही हैं। पाकिस्तानी एक्टिविस्ट ने बताया सच पाकिस्तानी एक्टिविस्ट और वकील राहत ऑस्टिन ने ट्वीट कर बताया कि सिंध के खिप्रो में एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गई है। हिंदू भगवान का अपमान किया गया है, क्योंकि वे भगवान कृष्ण का जन्मदिन (जन्माष्टमी) मना रहे थे। पाकिस्तान में इस्लाम के खिलाफ ईशनिंदा के झूठे आरोप में भी मॉब लिंचिंग या मौत की सजा दी जाती है, लेकिन गैर-मुस्लिम देवताओं के खिलाफ अपराध में कोई सजा नहीं होती है। जुलाई में भी गणेश मंदिर पर हुआ था हमला वहीं, एनजीओ न्यूज ऑर्गनाइजेशन द राइज न्यूज की एडिटर और पत्रकार वींगास ने ट्वीट कर लिखा कि खिप्रो में जन्माष्टमी पर कुछ लोगों ने तोड़-फोड़ की - क्या दोषियों को सजा मिलेगी? पाकिस्तान में आए दिन हिंदुओं के मंदिरों पर हमला होता रहता है। इससे पहले जुलाई के अंतिम हफ्ते में पंजाब सूबे के रहीम यार खान के पास स्थित भोंग में गणेशजी के मंदिर में धार्मिक अतिवादियों ने तोड़फोड़ की थी। मंदिरों पर हमले के लिए बदनाम है सिंध सूबा पाकिस्तान का सिंध सूबा मंदिरों पर हमले और धर्म परिवर्तन के लिए बदनाम है। इस राज्य में लगातार मंदिरों पर हमले होते रहे हैं, जबकि हिंदू लड़कियों को अगवा कर उनका धर्म परिवर्तन भी करवाया जाता है। अक्टूबर 2020 में सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में स्थित नागारपारकर में धार्मिक अतिवादियों ने दुर्गा माता की मूर्ति को खंडित कर दिया गया था। इसके अलावा सितंबर 2020 में सिंध प्रांत के बादिन जिले में एक मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी। पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा लड़कियों का धर्म परिवर्तन मानवाधिकार संस्था मूवमेंट फॉर सॉलिडैरिटी एंड पीस (MSP) के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा ईसाई और हिंदू महिलाओं या लड़कियों का अपहरण किया जाता है। जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवा कर इस्लामिक रीति रिवाज से निकाह करवा दिया जाता है। पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 12 साल से 25 साल के बीच में होती है। आंकड़े ज्यादा हो सकते हैं मानवाधिकार संस्था ने यह भी कहा कि आंकड़े इससे ज्यादा भी हो सकते हैं क्योंकि ज्यादातर मामलों को पुलिस दर्ज नहीं करती है। अगवा होने वाली लड़कियों में से अधिकतर गरीब तबसे से जुड़ी होती हैं। जिनकी कोई खोज-खबर लेने वाला नहीं होता है। इस कारण प्रशासनिक स्तर पर भी लापरवाही दिखाई जाती है। पहले भी सामने आए हैं कई मामले बता दें कि इससे पहले पंजाब के डेरा गाजी खान से 14 साल की एक ईसाई लड़की हुमा यूसूफ का अपहरण हो चुका है। जिसका धर्म परिवर्तन करवा कर एक मुस्लिम लड़के से निकाह करवा दिया गया था। इसके अलावा सना जॉन, महविश, फरजाना और सेहरिश नाम की लड़कियों के साथ भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।


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