काबुल लगभग पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा भले ही कर लिया हो, उसे खुद इस्लामिक स्टेट- खोरासान से डर लगने लगा है। अमेरिकी रक्षा विभाग के एक पूर्व अधिकारी का कहना है कि ISIS-K तालिबान शासन खत्म करना चाहता है। राजधानी काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बम धमाके की जिम्मेदारी लेना इसी का संकेत है। इस हमले में अफगान नागरिकों के साथ-साथ कई अमेरिकी सैनिकों की जान भी गई है। 'शासन ISIS के हाथ' रूस के सरकारी मीडिया पोर्टल RT से बात करते हुए माइकल मलूफ ने कहा है कि ISIS इसकी पहले से तैयारी कर रहा था। उन्होंने कहा है, 'वे तालिबान को बताना चाहते हैं कि वह सरकार भले चला रहा हो, शासन ISIS के हाथ में है। तालिबान और ISIS एक दूसरे से बहुत दूर हैं, वे एक-दूसरे को पसंद नहीं करते हैं। ISIS तालिबान को बता रहा है कि आप यह देश नहीं चला रहे हैं, हम चला रहे हैं, या जल्द ही चलाएंगे।' 'तालिबान और अमेरिका साथ' माइकल का कहना है कि तालिबान ISIS की तुलना में नरम है। तालिबान को वैधता चाहिए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय फंडिंग चाहिए। अमेरिका ने अफगानिस्तान को दी जा रही 10 अरब डॉलर की मदद रोक दी है। तालिबान और अमेरिका के लिए ISIS आम दुश्मन है। काबुल एयरपोर्ट पर हमले से दोनों साथ भी आ सकते हैं। RT की ओर से रिक संशेज ने कहा कि तालिबान से 20 साल से जंग चल रही थी और देश से निकलने के बाद उसके साथ मिलकर दूसरे दुश्मन से लड़ रहे हैं। अमेरिकी दूतावास ने जारी की चेतावनी काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास ने अफगानिस्तान में रह रहे अमेरिकियों के लिए चेतावनी जारी करते हुए उन्हें काबुल एयरपोर्ट की यात्रा करने से बचने के लिए कहा है। दूतावास ने अमेरिकी नागरिकों से अब्बे गेट, पूर्वी गेट, उत्तरी गेट और न्यू मिनिस्ट्री ऑफ इंटीरियर गेट से दूर रहने के लिए कहा है। नागरिकों से सुरक्षा कारणों के चलते अफगानिस्तान की यात्रा न करने के लिए कहा गया है।
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