बेंगलुरु भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नहीं, तीन महाविशाल ब्लैक होल खोजे हैं। ये सभी आपस में जुड़ीं गैलेक्सीज में पाए गए हैं। यह एक दुर्लभ घटना होती है और ताजा स्टडी से यह साफ हुआ है कि इस तरह आपस में विलय के बाद बने गैलेक्सी समूह में इन्हें देखे जाने की संभावना ज्यादा है। डिपार्टमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नॉलजी ने बताया कि महाविशाल ब्लैक होल डिटेक्ट करना मुश्किल होता है क्योंकि इनसे कोई रोशनी नहीं निकलती है लेकिन आसपास के ब्रह्मांड पर इनके असर से इन्हें डिटेक्ट किया जा सकता है। विभाग ने अपने बयान में बताया है कि जब महाविशाल ब्लैक होल धूल और गैस को निगलता है तो उससे ऊर्जा और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन निकलता है। इसे ऐक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियाई (AGN) कहते हैं। इनके आयनाइज्ड पार्टिकल और एनर्जी गैलेक्सी में रिलीज होती है। इनसे गैलेक्सी का विस्तार होता है। गैलेक्सीज में मिला कुछ अलग इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ऐस्ट्रोफिजिक्स के रिसर्चर्स की टीम ने फ्रांस के रिसर्चर्स के साथ मिलकर यह स्टडी की। भारत की ओर से इसमें ज्योति यादव, मौसुमी दास और सुधांशु बार्वे शामिल थे। वे NGC 7733 और NGC 7734 को स्टडी कर रहे थे जब उन्हें NGC7734 के केंद्र से कुछ अजीब उत्सर्जित होता दिखा।ऐसा ही कुछ NGC7733 के आर्म के पास चमकीला सा नजर आया। इसकी गति गैलेक्सी से अलग थी। तीसरी गैलेक्सी छिपी थी पीछे वैज्ञानिकों ने माना कि यह एक छोटी गैलेक्सी थी जिसे NGC7733N नाम दिया गया। ऐस्ट्रॉनमी ऐंड ऐस्ट्रोफिजिक्स में छपी स्टडी में भारत की पहली स्पेस ऑब्जर्वेटरी ASTROSAT पर लगे Ultra Violet Imaging Telescope का डेटा इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा चिली के वेरी लार्ज टेलिस्कोप में लगे MUSE टेलिस्कोप और दक्षिण अफ्रीका में लगे ऑप्टिकल टेलिस्कोप से मिलीं इन्फ्रारेड तस्वीरों को भी स्टडी किया। पहली बार मिले 3 ब्लैकहोल इन गैलेक्सीज के केंद्र में महाविशाल ब्लैक होल भी हैं। दो गैलेक्सीज के विलय के साथ ही इनमें मौजूद ब्लैक होल भी एक-दूसरे के करीब आ जाते हैं लेकिन इनका विलय नहीं हो पाता। किसी तीसरे ब्लैक होल की मौजूदगी में ये अपनी ऊर्जा उसे ट्रांसफर करते हैं और आपस में मिल जाते हैं। इस तरह की गैलेक्सीज में दो ब्लैक होल तो देखे गए हैं लेकिन पहली बार 3 महाविशाल ब्लैक होल पाए गए हैं।
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