
वॉशिंगटन इंसान का दिमाग उसकी जिंदगी से जुड़ी हर चीज को याद रखता है। इंसान जो कुछ भी अपने अनुभवों से सीखता है इंसानी दिमाग उसे सुरक्षित कर लेता है लेकिन अब शोधकर्ताओं ने इसको लेकर नई आशंका जताई है। शोधकर्ता सोचते हैं कि इंसानी दिमाग के 'फिल्टर' होने की संभावना है यानी वह सब कुछ भूल जाना जो याद रखने के लिए जरूरी नहीं है। विज्ञान पत्रकार और अमेरिकी नौसेना में काम कर चुके Tristan Greene का मानना है कि बस एक मामूली बदलाव पूरी तरह से मानव सभ्यता के भविष्य को बदल सकता है। बच्चों के दिमाग के हिसाब से बना AIयह दावा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को बच्चों और युवाओं के दिमाग को ध्यान में रखकर बनाया गया है। एआई किसी भी चीज को जल्द सीखने लेकिन स्वतंत्र रूप से बदलाव करने में सक्षम होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि दिमाग के अपने 'कोड' होते हैं इसलिए एआई इंसानी दिमाग से कुछ भी कॉपी नहीं कर सकता। ये कोड तब नोट होते हैं जब दिमाग विकसित हो रहा होता है। मानव जीवन को कर सकता है प्रभावित एमआईटी के वैज्ञानिकों ने कुछ साल पहले बताया था कि दिमाग की basal ganglia समय के साथ खुद सीखती हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि एआई कितना एडवांस है यह इंसानों की तरह सूंघ, देख, स्वाद, महसूस और सुख नहीं सकता। इसके बावजूद अगर इंसान एआई को विकसित होने में इसी तरह मदद करता रहेगा तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव जीवन को तेजी से प्रभावित कर सकता है। इंसानी दिमाग पर कर सकता है कब्जारिसर्च के लेखक के अनुसार अगर हम क्वांटम एआई सिस्टम विकसित करते हैं जो इंसानी दिमाग की और ज्यादा सटीकता के साथ नकल कर सकता है तो यह कार्बनिक पदार्थ से संवेदना विकसित करने की दिशा में तकनीक की खोज के लिए लंबा सफर तय कर सकता है। शोधकर्ता के मुताबिक मजबूत ब्रेन-कंप्यूटर-इंटरफेस एक दिन इंसानी दिमाग की भाषा बोलने में सक्षम हो सकता है। एक ऐसी परिस्थिति जिसमें कंप्यूटर हमारी इंद्रियों पर कब्जा कर सकते हैं और हमारे दिमाग में सीधे इनपुट भेज सकते हैं।
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