
इस्लामाबाद अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान के साथ अपनी साठ-गांठ का सबूत आखिरकार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने खुद ही दे दिया है। एक इंटरव्यू के दौरान इमरान ने माना है कि देश में आतंक मचाने वाले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के साथ सरकार की बातचीत चल रही है और इसमें अफगान तालिबान मदद कर रहा है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के निकलने के साथ ही तालिबान की तेज होती रफ्तार को पाकिस्तान की साजिश बताया जा रहा था लेकिन दोनों पक्ष इसका खंडन करते रहे। TTP से सुलह की बात TRT वर्ल्ड को दिए इंटरव्यू के दौरान इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तानी तालिबानी समूह हमारी सरकार से शांति और समझौते के बारे में बात करना चाहते हैं। हम उनमें से कुछ से बात कर रहे हैं। जब उनसे सवाल किया गया कि क्या वह तहरीक-ए-तालिबान से बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि TTP के कई हिस्से हैं और उनमें से कुछ के साथ बात की जा रही है। उन्होंने यह नहीं बताया कि आत्मसमर्पण की बात की जा रही है या नहीं लेकिन कहा कि सुलह की बात चल रही है। तालिबान कर रहा है मदद इंटरव्यूअर ने सवाल किया कि क्या अफगान तालिबान इसमें मदद कर रहा है? इस पर इमरान ने साफ कहा कि बातचीत अफगानिस्तान में हो रही है, तो उस आधार पर तालिबान मदद कर रहा है। उनसे सवाल किया गया कि टीटीपी के कुछ समूहों से बात चल रही है कि वे अपने हथियार डाल दें, इस पर इमरान ने आगे जोड़ा कि फिर हम उन्हें माफ कर देंगे और वे आम नागरिक हो जाएंगे। उम्मीद है कि समझौता होगा। पाकिस्तान ने लगाई 'आग'? अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने की प्रक्रिया के दौरान ही तालिबान तेजी से एक-एक प्रांत पर कब्जा कर रहा था। आरोप लगते रहे कि इसके लिए रणनीति बनाने से लेकर आतंकी पहुंचाने तक में पाकिस्तान की भूमिका रही। आईएसआई और पाकिस्तानी सेना के अधिकारी अफगान सेना को घेरने का प्लान बना रहे थे तो लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी जमीन पर तालिबानी लड़ाकों के साथ मिलकर जंग लड़ रहे थे। पंजशीर जीतने को हुई डील? पाकिस्तान और तालिबान की दोस्ती उस वक्त और भी ज्यादा जाहिर हो गई जब आईएसआई चीफ फैज हमीद काबुल जा पहुंचे। इसके बाद पंजशीर पर हमला हुआ और अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह के देश छोड़ने की खबरें आने लगीं। दावा किया जाता है कि पाकिस्तान की इंटेलिजेंस की मदद से पंजशीर पर हमला किया गया था और इसके बदले में तालिबान ने पाकिस्तान से TTP को काबू में करने का वादा किया। दरअसल, तालिबान ने पहले इस मुद्दे से अपना पल्ला झाड़ा था लेकिन पंजशीर हमले के बाद माना कि पाकिस्तान की समस्या जायज है और उसकी चिंता का ख्याल रखा जाएगा। टीटीपी ने पाकिस्तानी सेना को कई बार अपना निशाना बनाया है कि पाकिस्तान तालिबान से अपील कर रहा था कि वह इसके आतंकियों पर नकेल कसे।
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