
ताइपे अमेरिका और ताइवान की सेना के बीच बढ़ती नजदीकी से चीनी ड्रैगन टेंशन में आ गया है। वहीं चीनी विश्लेषकों ने आरोप लगाया है कि अमेरिका ताइवान का इस्तेमाल चीन के खिलाफ सुसाइड बॉम्बर के रूप में कर रहा है। चीन ने यह आरोप ऐसे समय पर लगाया है जब ताइवान ने पहली बार स्वीकार किया है कि अमेरिकी सैनिक उसकी सेना को प्रशिक्षण दे रहे हैं। इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने ताइवान की लोकतांत्रिक सफलता को देखते हुए उसे संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनाए जाने की सिफारिश की है। अमेरिकी सेना के प्रशिक्षण और संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए सिफारिश के बाद चीन भड़क गया है। वहीं चीनी विश्लेषकों ने आरोप लगाया है कि अमेरिका ताइवान का इस्तेमाल चीन के खिलाफ आत्मघाती बम हमलावर के रूप में कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिकी कार्रवाई से दोनों पक्ष पूर्ण युद्ध की ओर बढ़ सकते हैं। चीनी इतिहासकार निआल फर्गुसन ने ट्वीट किया कि अमेरिका ने ताइवान की रक्षा का प्रण ऐसे समय पर लिया है जब चीन के खिलाफ उसकी सैन्य ताकत कमजोर हुई है। चीन ताइवान पर कब्जा कर सकता है, सता रहा डर निआल ने कहा कि अमेरिका को चीन के मुकाबले में खड़ा होने के लिए अभी समय लगेगा। चीन ताइवान को अपने कब्जे में लेने के लिए आगे बढ़ रहा है। उन्होंने यह टिप्पणी उन खबरों के बाद की जिसमें कहा जा रहा है कि ताइवान के खिलाफ अमेरिका के गठबंधन बनाने से पहले चीन ताइवान पर कब्जा कर सकता है। अमेरिका के ताइवान में मौजूदगी बढ़ने का संकेत उस समय मिला जब ताइवान की राष्ट्रपति ने पहली बार स्वीकार किया कि ताइवानी सुरक्षा बलों को अमेरिका प्रशिक्षण दे रहा है। इससे पहले अमेरिका ने वर्ष 1979 में अपने आखिरी आधिकारिक सैन्य ठिकाने को हटा लिया था। इसी समय अमेरिका ने चीन को मान्यता दी थी। इस बीच ताइवान को संयुक्त राष्ट्र से निकालने के 4 दशक बाद अमेरिका चीन के साथ तनाव को देखते हुए एक बार फिर से उसे इस वैश्विक संस्था में शामिल किए जाने के लिए तेजी से प्रयास कर रहा है। चीन इसे उकसावे वाली कार्रवाई मान रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने पिछले सप्ताह कहा था, 'ताइवान अमेरिका का महत्वपूर्ण सहयोगी है और लोकतांत्रिक रूप से सफल देश है। ताइवान को संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था में सार्थक भागीदारी दी जानी चाहिए। खासतौर पर तब जब हम अप्रत्याशित वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिका भले ही ताइवान को संयुक्त राष्ट्र में शामिल किए जाने की मांग कर रहा है लेकिन उसने संकेत दिया है कि वह तब तक एक चीन नीति का पालन करेगा जब तक कि ड्रैगन ताइवान को जबरन कब्जे का प्रयास नहीं करता है। ताइवान को खुद की रक्षा अवश्य करनी होग: रक्षामंत्री इस बीच ताइवान के रक्षा मंत्री ने गुरुवार को कहा कि देश को खुद की रक्षा अवश्य करनी होगी और अगर चीन हमला करता है तो पूरी तरह दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना होगा। हालांकि ताइवान की राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि अमेरिका उनके देश की रक्षा करेगा। मंत्री चिऊ कुओ चेंग ने कहा, ‘देश को खुद पर भरोसा करना चाहिए और अगर कोई दोस्त या अन्य समूह हमारी सहायता कर सकते हैं तो जैसा कि मैंने पहले कहा कि हमें इससे खुशी होगी, लेकिन हम इस पर पूरी तरह निर्भर नहीं हो सकते हैं।’ ताइवान और चीन के बीच तनाव काफी बढ़ गया है और चीन प्रायद्वीप से लगते अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में काफी संख्या में लड़ाकू विमान भेज रहा है और सैन्य उत्पीड़न के कदमों में बढ़ोतरी हुई है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि चीन के पास 2025 तक प्रायद्वीप में घुसने की ‘व्यापक’ क्षमता होगी। चीन ताइवान को अपने राष्ट्रीय क्षेत्र का हिस्सा बताता है, जबकि लंबे गृह युद्ध के बाद 1949 में कम्युनिस्ट शासित चीन से अलग होने के बाद से यह स्वशासित देश रहा है। चिऊ ने कहा कि यह पिछले 40 वर्षों में चीन और ताइवान के बीच सबसे ‘गंभीर’ तनाव है। चीन ने हमला किया तो अमेरिका करेगा मदद: ताइवान ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने ‘सीएनएन’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि उन्हें विश्वास है कि अगर चीन प्रायद्वीप के खिलाफ कोई कदम उठाता है तो उन्हें विश्वास है कि अमेरिका ताइवान की रक्षा करेगा। साई ने कहा, ‘अमेरिका के साथ हमारे लंबे समय से रिश्तों और अमेरिका के लोगों तथा वहां की कांग्रेस के सहयोग को देखते हुए मुझे पूरा विश्वास है।’ साई ने कम संख्या में अमेरिकी सैनिकों की प्रायद्वीप पर मौजूदगी की पुष्टि की ताकि वे ताइवान के सैनिकों के प्रशिक्षण में मदद कर सकें। अमेरिका का ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है, लेकिन अनधिकारिक रूप से इसके संबंध काफी मजबूत हैं। ट्रम्प शासन के तहत अमेरिका ने ताइवान को हथियारों की बिक्री काफी बढ़ा दी थी।
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