Friday, 29 October 2021

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दुशांबे अफगानिस्‍तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद अब चीनी ड्रैगन ने तालिबान शासित इस युद्धग्रस्‍त देश पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं। चीन ताजिकिस्‍तान में एक सैन्‍य अड्डे का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में लेने जा रहा है। चीन लंबे समय से चुपचाप इस अड्डे का इस्‍तेमाल कई साल से कर रहा था। यही नहीं चीन ताजिक सेनाओं के लिए एक नया सैन्‍य अड्डा बनाएगा। ताजिकिस्‍तान की संसद ने चीन के पैसे से नए सैन्‍य अड्डे को बनाए जाने को मंजूरी दे दी है। बताया जा रहा है कि चीन ताजिकिस्‍तान के विशेष बलों के लिए इस सैन्‍य अड्डे का निर्माण करेगा। यह सैन्‍य अड्डा ताजिकिस्‍तान के उत्‍तरी गोर्नो-बदख्‍शान प्रांत में बनाया जाएगा जो पामीर के पहाड़ों से घिरा हुआ है। यह इलाका चीन के शिंजियांग और अफगानिस्‍तान के बदख्‍शान इलाके से सटा हुआ है। ताजिक संसद के एक प्रवक्‍ता ने कहा कि इस सैन्‍य अड्डे में कोई भी चीनी सैनिक नहीं रहेगा। तालिबान ने ताजिकिस्‍तान को चेतावनी दी चीन अपना सैन्‍य केंद्र और ताजिकिस्‍तान के लिए नया सैनिक अड्डा ऐसे समय पर बना रहा है जब दुशांबे के साथ अफगानिस्‍तान के नए शासकों तालिबान के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। ताजिक राष्‍ट्रपाति इमोमाली रखमोन ने तालिबान की सरकार को मान्‍यता देने से इनकार कर दिया है। राष्‍ट्रपति इमोमाली का कहना है कि नई सरकार में ताजिक लोगों को व्‍यापक प्रतिनिधित्‍व दिया जाए जो आबादी में दूसरे नंबर पर हैं। उधर, तालिबान ने ताजिकिस्‍तान को चेतावनी दी है कि वह उसके घरेलू मामले में हस्‍तक्षेप नहीं करे। यही नहीं तालिबान ने ताजिकिस्‍तान के आतंकी गुटों के साथ एक गठजोड़ कर लिया है जो राष्‍ट्रपति इमोमाली की सरकार को उखाड़ फेकना चाहते हैं। यही नहीं हाल ही में रूस ने ताजिक सीमा के पास बड़ा सैन्‍य अभ्‍यास किया था। रूस ने तालिबान को यह संदेश दिया था कि वह ताजिकिस्‍तान के साथ पूरी तरह से खड़ा है और करारा जवाब दिया जाएगा। विदेश में यह चीन का दूसरा सैन्‍य अड्डा होगा चीन ताजिकिस्‍तान में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। चीन ने ही ताजिकिस्‍तान की नई संसद का फ्री में निर्माण किया है। ताजिक सेनाओं के लिए बनाए जाने वाले अड्डे पर चीन एक करोड़ डॉलर खर्च करेगा। ताजिकिस्‍तान में तेजी से पकड़ बना रहे चीन की नजर भारत पर भी है जिसका यहां पर एकमात्र विदेशी सैन्‍य अड्डा है। चीन और ताजिकिस्‍तान दोनों ही दावा करते हैं कि पीएलए ताजिक धरती पर मौजूद नहीं है। ताजिकिस्‍तान में चीन को अपने सैन्‍य अड्डे का पूरा नियंत्रण मिलने के बाद यह विदेश में उसका दूसरा सैन्‍य अड्डा होगा। इससे पहले चीन ने अफ्रीकी देश जिबूती में अपना सैन्‍य अड्डा बनाया था। चीन अपने ताजिक सैन्‍य अड्डे से खुफिया निगरानी करता है जो भारत के लिए भी चिंता का विषय बन सकता है। ताजिकिस्‍तान में ही भारत का एकमात्र विदेशी सैन्‍य अड्डा है और कई सैनिक तैनात हैं। भारत का गिस्सार सैन्य एयरोड्रोम या Ayni एयरबेस देश की राजधानी दुशांबे के पास एक गांव में स्थित है। फाइनैंशल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसके विकास में भारत ने 7 करोड़ डॉलर खर्च किए थे। इस पर 3200 मीटर का आधुनिक रनवे, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, नैविगेशन उकरण और मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम बनाया गया है। चीन के सैन्‍य जासूसी करने से भारत की चिंता बढ़ सकती है हालांकि, इसे लेकर दोनों देशों की सरकारों ने सार्वजनिक तौर पर बहुत ज्यादा चर्चा नहीं की है। इसके साथ भारत के जुड़ने को लेकर भी चुप्पी ही साधी जाती रही है। जब अफगानिस्तान संकट के दौरान भारतीय वायुसेना ने इसका इस्तेमाल किया तो यह रोशनी में आया है। अब चीन के सैन्‍य जासूसी करने से भारत की चिंता बढ़ सकती है। माना जाता है कि भारत ने चीन, अफगानिस्‍तान, पाकिस्‍तान पर नजर रखने के लिए इस अड्डे को बनाया था।


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