इस्लामाबाद पाकिस्तान के बहकावे में आए (OIC) ने एक बार फिर कश्मीर पर जहर उगला है। विशेष दूत युसेफ एल्डोबे ने कहा है कि ओआईसी कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करना जारी रखेगा। एल्डोबे ने यह भी कहा कि वह ओआईसी की अगली मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान क्षेत्र की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और उसे पेश करेंगे। उन्होंने रविवार को पाकिस्तान में ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) के प्रतिनिधियों के साथ कश्मीर की स्थिति पर चर्चा भी की। पाकिस्तान परस्त अलगाववादियों से मिले दूत ओआईसी के विशेष दूत से बैठक में पाकिस्तानी पिट्ठू ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अल्ताफ वानी, गुलाम मोहम्मद सफी, फैज नक्शबंदी और शेख अब्दुल मतीन शामिल हुए थे। दूसरी बार पाकिस्ताान दौरे पर आए ओआईसी के इस विशेष दूत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का भी दौरा किया। उन्होंने पाकिस्तान परस्त इन अलगाववादी नेताओं के सामने डींगे हांकते हुए कहा कि ओआईसी कश्मीर के लिए समर्थन देना जारी रखेगा। पाकिस्तान को खुश करते हुए खूब की बयानबाजी ओआईसी के इस विशेष दूत ने पाकिस्तान को खुश करते हुए कहा कि ओआईसी लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों के अनुसार जम्मू और कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन कर रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी चुनावी फायदे के लिए कश्मीरियों को आत्मनिर्णय के अधिकारों का समर्थन किया था। हालांकि सच्चाई से पूरी दुनिया परिचित है कि पूरा जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इसमें पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला क्षेत्र भी शामिल है। मुसलमान मुल्कों का रहनुमा होने का दावा दुनियाभर के मुसलमान मुल्कों का रहनुमा होने का दावा करता है। 25 सितंबर 1969 में बने इस संगठन का पाकिस्तान संस्थापक सदस्य है। दुनिया में मुसलमानों की दूसरी सबसे ज्यादा आबादी वाला भारत इस संगठन का सदस्य नहीं है। पाकिस्तान शुरू से ही इस संगठन का उपयोग भारत के खिलाफ करता आया है। खासकर कश्मीर मुद्दे पर कई बार ओआईसी ने भारत के खिलाफ बयान दिया है। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से इस संगठन के तेवर भारत को लेकर काफी नरम देखने को मिले हैं। ओआईसी को बरगला रहा पाकिस्तान पाकिस्तान का एकसूत्रीय एजेंडा कश्मीर को लेकर ओआईसी को गुमराह करने का है। वह लगातार मुस्लिम देशों के इस मंच का इस्तेमाल अपने निजी हितों को साधने में करता आया है। यही कारण है कि हर बार भारत ने ओआईसी के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इसके बावजूद इस्लामिक देशों के इस संगठन ने भारत के खिलाफ बयानबाजी जारी रखी है। बहुसंख्यक मुसलमानों का एजेंडा चला रहा ओआईसी दरअसल ओआईसी को दुनिया में सिर्फ भारत में ही मुसलमाओं पर अत्याचार दिखाई देता है। चीन, पाकिस्तान, सीरिया, अफगानिस्तान और ईराक में मुसलमानों की दुर्दशा के सवाल पर इस संगठन के मुंह पर चुप्पी छा जाती है। आजतक इस संगठन ने चीन में उइगुर मुसलानों के ऊपर हो रहे अत्याचारों की एक बार भी निंदा नहीं की है। सुन्नी बहुल देशों का संगठन ओआईसी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों पर भी चुप्पी साधे हुए है।
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