Saturday 13 November 2021

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पेइचिंगचीन वैश्विक व्यापार पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। इसके लिए वह लगातार अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ा रहा है और साउथ चाइना सी पर अपना दावा कर रहा है। ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो चीन के पास अपनी भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में छोटी सेना है। लेकिन आज का चीन 'इतिहास' को बदल रहा है। जमीन के बाद चीन की प्राथमिकता समुद्र पर कब्जे की है, इसके लिए उसने अपने दर्जनों वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ एक 'नरम युद्ध' छेड़ रखा है। चीन की मंशा साउथ चाइना सी पर कब्जे की है। प्रशांत महासागर का यह छोटा-सा टुकड़ा चीन और वैश्विक व्यापार के एक बड़े हिस्से के लिए बेहद अहम है। साउथ चाइना सी की सीमाएं दक्षिणी चीन, वियतनाम, फिलीपींस, थाईलैंड, ताइवान, मलेशिया, इंडोनेशिया और ब्रुनेई से लगती हैं। इस पानी की रणनीतिक अहमियत इसे इतना ज्यादा महत्वपूर्ण बनाती है। क्यों इतना खास है साउथ चाइना सी?साउथ चाइना सी एशिया का सबसे अधिक मांग वाला समुद्री मार्ग है। इसके माध्यम से दुनिया के प्राकृतिक गैस व्यापार का 40 फीसदी हिस्सा गुजरता है। करीब 3.5 ट्रिलियन डॉलर का सामान्य व्यापार मूल्य हर साल समुद्र के इस हिस्से से होकर प्रवाहित होता है। अमेरिका भले ही यहां से दूर है लेकिन करीब 6 फीसदी अमेरिकी व्यापार का हित साउथ चाइना सी में निहित है। कम से कम 26 देश साउथ चाइना सी की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को बनाए रखने में प्रत्यक्ष आर्थिक हित का दावा करते हैं। वहीं चीन का दावा है कि इसके साथ उसका ऐतिहासिक संबंध है और इसलिए उसका इस पर विशेषाधिकार है। फिलीपींस इस समुद्री मार्ग पर अपने नियंत्रण के दावे को मजबूत करने के लिए इसे 'पश्चिम फिलीपींस सागर' के रूप में देखता है। अलग-अलग देशों के दावे यह साबित करने के लिए काफी हैं कि साउथ चाइना सी कितना अहम है। बाकी देशों से आगे निकला चीनइस रेस में चीन बाकी सभी से आगे है। उसने पानी के बड़े हिस्से पर अपना दावा मजबूत करने के लिए कृत्रिम द्वीप का निर्माण किया है। पेइचिंग ने स्प्रैटली द्वीप क्षेत्र में मानव निर्मित रेत के टीलों पर दर्जनों सरकारी भवन, रनवे, एयरक्राफ्ट हैंगर और मिसाइल लॉन्चपैड बनाए हैं। 2018 और 2020 के बीच 3,200 एकड़ के प्रयोग करने योग्य एक विशालकाय क्षेत्र का निर्माण किया गया। कहा जा रहा है कि यहां न्यूक्लियर लॉन्चपैड भी बनाए गए हैं लेकिन यह किसी को नहीं पता कि ये कभी इस्तेमाल किए जाएंगे या नहीं। हालांकि चीन की मंशा काफी स्पष्ट है। क्या होगा अगर चीन ने कर लिया कब्जा?अगर चीन साउथ चाइना सी पर नियंत्रण हासिल कर लेता है तो वैश्विक व्यापार का एक मुख्य मार्ग और अमेरिका की अर्थव्यवस्था उसकी मुठ्ठी में होगी। इस बीच ताइवान के आसपास चीन की ओर से सैन्य विस्तार और आक्रमण अभ्यास पर भी चर्चा तेज हुई है। स्पष्ट है कि साउथ चाइना सी अब 'दुनिया के सबसे बड़े देश' की आर्थिक महत्वाकांक्षा का एक हिस्सा बन चुका है, जिसे वह किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहता है।


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