वॉशिंगटन भारत और पाकिस्तान इन दिनों वायु प्रदूषण के गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं। नई दिल्ली और आसपास के इलाकों में पिछले 5 दिनों से हवा का स्तर लगातार खतरनाक बना हुआ है। प्रदूषण के मामले में पाकिस्तान के हालात भी भारत से बेहतर नहीं हैं। यूएस ने हाल में ही जारी रिपोर्ट में लाहौर को दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर करार दिया है। इस बीच अमेरिका में हुए अपनी तरह के पहले अनुसंधान में पता चला है कि वायु प्रदूषण के कारण उन स्वस्थ लोगों के अवसादग्रस्त होने की प्रबल आशंका होती है। रिसर्च के डेटा से मिले चौंकाने वाले नतीजे ‘पीएनएएस’ नामक पत्रिका में सोमवार को प्रकाशित एक अनुसंधान के तहत दुनिया के 40 से ज्यादा देशों से प्राप्त वायु प्रदूषण संबंधी वैज्ञानिक आकंड़ों, न्यूरोइमेजिंग, मस्तिष्क संबंधी जीन के विवरण और अन्य आंकड़ों का संयोजन किया गया। अमेरिका के ‘लिबर इंस्टीट्यूट फॉर ब्रेन डेवलपमेंट’ (एलआईबीडी) के हाओ यांग टान ने बताया कि इस अध्ययन का प्रमुख बिंदु यह है कि वायु प्रदूषण से मस्तिष्क की संज्ञान लेने और भावनात्मक क्षमता पर असर पड़ता है। अवसाद का कारण माने जााने वाले जीन में परिवर्तन हो रहा उन्होंने कहा कि प्रदूषण से अवसाद के कारक माने जाने वाले जीन में परिवर्तन हो सकता है। हाओ ने कहा कि ऐसा अध्ययन पहले कभी नहीं किया गया। चीन के पेकिंग विश्वविद्यालय के सहयोग से हुए अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले हाओ ने कहा, “अधिक प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के अवसाद से ग्रस्त होने का खतरा अधिक होता है, क्योंकि उनके जीन और पर्यावरण में मौजूद प्रदूषण इस खतरे का स्तर बढ़ा सकते हैं। 50 के भीतर एक्यूआई है सुरक्षित अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी 50 के भीतर एक्यूआई को संतोषजनक मानती है। लाहौर में 181 पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) रेटिंग दर्ज की गई है, जबकि कराची में यह 163 पर पहुंचने की खबर है। खाद्य और कृषि संगठन की पूर्व की रिपोर्ट और पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक भारत और पाकिस्तान में पराली जलाने, परिवहन और उद्योगों के कारण साल भर प्रदूषण होता है। कई ईंट भट्ठों का पुराने तरीके से संचालन हो रहा है। पिछले दिनों सरकार ने ऐसे ईंट भट्ठों को बंद करने का आदेश भी दिया लेकिन कुछ का संचालन अभी भी हो रहा है। (एजेंसी के इनपुट के साथ)
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