बीजिंग चीन ने भारत से जारी तनाव के बीच अपने सबसे आधुनिक J-16D लड़ाकू विमान को युद्धाभ्यास में उतार दिया है। यह लड़ाकू विमान इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में माहिर बताया जा रहा है। चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने बताया है कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) वायु सेना का जे -16 डी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर विमान युद्ध की ट्रेनिंग कर रहा है। चीन का इरादा जे -16 डी को जे-20 लड़ाकू विमान के साथ जंग के मैदान में उतारने का है। चीन ने हाल में ही इस लड़ाकू विमान को ग्वांगडोंग प्रांत के झुहाई में आयोजित एयरशो चाइना 2021 में प्रदर्शित किया था। वास्तविक युद्धाभ्यास कर रहा जे-16डी जेट चाइना सेंट्रल टेलीविजन (सीसीटीवी) ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस लड़ाकू विमान को पहली बार वास्तविक युद्धाभ्यास के लिए तैनात किया गया है। ग्लोबल टाइम्स ने एक अनाम चीनी एक्सपर्ट के हवाले से बताया कि वास्तविक युद्धाभ्यास का मतलब जे-20डी लड़ाकू विमान की युद्धक क्षमताओं का साबित करने से है। इससे चीनी वायु सेना भी इस नए लड़ाकू विमान की ताकत और कमजोरियों से अच्छी तरह से परिचित हो सकेगी। जे-16 को अपग्रेड कर बनाया गया है जे-16डी विमान चीनी विशेषज्ञ ने दावा किया कि जे-16डी लड़ाकू विमान अगर इस समय युद्ध के लिए तैयार नहीं है तो आगे आने वाले दिनों में यह हो जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के लिए चीन ने इस लड़ाकू विमान को अपने पुराने जे-16 लड़ाकू विमान को अपग्रेड कर बनाया है। जे-16डी लड़ाकू विमान से चीनी वायु सेना की युद्धक क्षमताओं में काफी इजाफा होने की उम्मीद है। हालांकि अभी तक यह लड़ाकू विमान पूरी तरह से चीनी वायु सेना में तैनात नहीं हो सका है। जे-16डी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में है माहिर जे-16डी लड़ाकू विमान को जे-16 को अपग्रेड कर तैयार किया गया है। यह एक ट्विन सीटर, ट्विन इंजन वाला हैवी फाइटर जेट है। चीन ने दावा किया है कि उसने इस लड़ाकू विमान को स्वदेशी तकनीक के आधार पर विकसित किया है। इस मल्टीरोल फाइटर जेट का इस्तेमाल हमलावर और रक्षात्मक दोनों तरह की भूमिकाओं में किया जा सकता है। यह लड़ाकू विमान चीनी वायु सेना में अभी तक कमीशन किए गए दूसरे विमानों की तुलना में अधिक अडवांस है। इसमें चीन के दूसरे लड़ाकू विमानों की तुलना में फायर कंट्रोल सिस्टम, रडार और ऑपरेशन सिस्टम्स को उन्नत किया गया है। दुश्मनों के रडार जाम कर सकता है यह लड़ाकू विमान सीसीटीवी ने सैन्य विशेषज्ञ वांग मिंगझी के हवाले से बताया कि J-16D और मूल J-16 के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि नया वाला जे-16डी कई तरह के आधुनिक उपकरणों की एक विस्तृत सीरीज को लेकर उड़ान भर सकता है। इस लड़ाकू विमान के पंखों के नीचे छोटे उपकरण, जबकि बीच वाले हिस्से में भारी उपकरणों को लगाया जा सकता है। इस विमान में इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस, कम्यूनिकेशन डिस्ट्रप्शन और रडार जाम करने वाले उपकरण लगे हुए हैं। इसके अलावा इसमें हवा से हवा में मार करने वाली कई आधुनिक मिसाइलें भी लगी हैं। कम्यूनिकेशन और सर्विलांस सिस्टम को कर सकता है खराब बीजिंग स्थित एयरोस्पेस नॉलेज मैगजीन के मुख्य संपादक वांग यानान ने बताया कि वास्तविक युद्ध की स्थिति में यह लड़ाकू विमान अपने इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर से दुश्मन में खलबली मचा सकता है। इससे दुश्मन के कम्यूनिकेशन और सर्विलांस सिस्टम काम करना बंद कर सकते हैं। J-16D इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जेट दूसरे लड़ाकू विमानों के साथ जंग के मैदान में कहर बरपा सकता है। जे-16डी को जे-20 के साथ युद्ध पर भेजने की तैयारी उन्होंने कहा कि चीनी वायु सेना का जे-16 डी विमान जे-20 के साथ मिलकर दुश्मनों पर भारी पड़ेगा। एक लड़ाकू विमान दुश्मन के अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को बंद कर देगा और रडार को जाम कर देगा, जबकि जे-20 खुद ही स्टील्थ तकनीक से लैस है। ऐसी स्थिति में वह दुश्मन के ऊपर सटीक हमला कर सकता है। ऐसे में दुश्मन को जवाबी कार्रवाई का मौका भी नहीं मिलेगा। भारत से ताकतवर नहीं चीनी वायुसेना बेलफर सेंटर के मार्च में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, भारत के पास लगभग 270 लड़ाकू विमान और 68 ग्राउंड अटैक फाइटर जेट हैं। वहीं, भारत ने पिछले कुछ दशकों में चीन से लगी सीमा पर कई हवाई पट्टियों का निर्माण किया है जहां से ये फाइटर जेट आसानी से उड़ान भर सकते हैं। वहीं, इस स्टडी के अनुसार, चीन के पास 157 फाइटर जेट्स और एक छोटा ड्रोन का बेड़ा भी है। इस स्टडी में बताया गया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स भारत से लगी सीमा क्षेत्र में आठ ठिकानों का उपयोग करती है, लेकिन इनमें से अधिकांश नागरिक हवाई क्षेत्र हैं। भारतीय लड़ाकू विमान चीन के मुकाबले ज्यादा प्रभावी बेलफर सेंटर की इस स्टडी के अनुसार, भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 और सुखोई एसयू 30 लड़ाकू विमान को चीन के जे-10, जे-11 और एसयू-27 लड़ाकू विमानों पर बढ़त हासिल है। चीन ने भारत से लगी सीमा पर इन्हीं विमानों को तैनात किया है। भारतीय मिराज 2000 और एसयू -30 जेट्स ऑल-वेदर, मल्टी-रोल विमान हैं जबकि चीन का जे-10 ही ऐसी योग्यता रखता है। बेलफर की स्टडी बताती है कि चीन ने अपने पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों को अमेरिका के कथित खतरे से बचाने के लिए मजबूत किया है। इस कारण पश्चिमी क्षेत्र में उसके चार एयरफील्ड कमजोर हुए हैं। तिब्बत में चीनी लड़ाकू विमानों को यह घाटा अध्ययन में दावा किया गया है कि तिब्बत और शिनजियांग में चीनी हवाई ठिकानों की अधिक ऊंचाई, क्षेत्र में आम तौर पर कठिन भौगोलिक और मौसम की स्थिति के कारण चीनी लड़ाकू विमान अपने आधे पेलोड और ईंधन के साथ ही उड़ान भर सकते हैं। जबकि, भारतीय लड़ाकू विमान पूरी क्षमता के साथ हमला कर सकते हैं। चीन के एरियल रिफ्यूलिंग कैपसिटी मतलब हवा में ईंधन भरने की क्षमता भी कम है। उसके पास पर्याप्त संख्या में एरियल टैंकर नहीं हैं।
from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3BX0HQC
via IFTTT
No comments:
Post a Comment