इस्लामाबादपाकिस्तान भयंकर आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। कभी पाकिस्तानी पीएम अरब देशों के आगे हाथ फैलाए नजर आते हैं तो कभी अधिकारी पैसों के बदले बेजुबान जानवरों की जिंदगी का सौदा करते हैं। शुक्रवार को वन्यजीव विभाग ने बताया कि खैबर पख्तूनख्वा खेल रिजर्व में पाकिस्तान के राष्ट्रीय पशु चित्राल के मार्कहोर के टॉफी शिकार के लिए 160,250 डॉलर में एक परमिट नीलाम हुई। वन्यजीव विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि यह जानवर के टॉफी शिकार के लिए अब तक की सबसे ऊंची बोली है। बयान में कहा गया है कि साल 2021-2022 के लिए चार परमिट बेचे गए हैं। जिससे पाकिस्तान को कुल 575,500 डॉलर मिलेंगे। दूसरे नंबर पर रही बोली की रकम 155,100 डॉलर थी। वहीं तीसरे स्थान पर परमिट 135,150 डॉलर और चौथे स्थान पर 125,100 डॉलर में बेचा गया। द न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया कि गिलगित-बाल्टिस्तान, चित्राल और कोहिस्तान समेत कई जिलों में शिकार के लिए हर साल परमिट जारी किए जाते हैं। सिर्फ बूढ़े जानवरों को बनाया जाता है निशानाजियो न्यूज की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ट्रॉफी शिकार मार्कहोर की आबादी में बढ़ोत्तरी हुई है। 2001 में 1500-2000 की तुलना मं अब देश में मार्कहोर की आबादी बढ़कर 3500-4000 हो गई है। टॉफी शिकार कार्यक्रम के तहत स्थानीय समुदायों को लाइसेंस शुल्क का 80 फीसदी प्राप्त होता है। जबकि बाकी राशि सरकार अपने आप रखती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्राफी शिकार में केवल बूढ़े नर मार्कहोर को ही गोली मारी जाती है। जिनकी पहचान उनके सींग, चाल और शरीर की संरचना से होती है। दुबई के शासकों को शिकार का लाइसेंस बांटती इमरान सरकारकंगाली से जूझ रही पाकिस्तान सरकार अक्सर दुबई के शेखों और शहजादों को खुश करने में जुटी रहती है। साल की शुरुआत में खाड़ी देश से छुट्टियां मनाने पाकिस्तान पहुंचे दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल-मख्तूम और शाही परिवार के छह अन्य सदस्यों को इमरान खान ने 2020-21 के शिकार के मौसम के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित पक्षी हुबारा बस्टर्ड का शिकार करने की विशेष अनुमति दी थी। यही इमरान खान विपक्ष में रहने के दौरान अरब के शाही परिवारों को इन बेजुबान पक्षियों के शिकार की अनुमति दिए जाने का विरोध करते रहे हैं।
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