मास्को/नई दिल्ली रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अगले महीने की 6 तारीख को भारत आ सकते हैं। पुतिन के भारत दौरे की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह इस साल रूसी राष्ट्रपति का दूसरा विदेश दौरा होगा। कोरोना वायरस के खतरे के कारण पुतिन विदेश यात्रा से परहेज कर रहे हैं। अपनी एक दिवसीय यात्रा के दौरान पुतिन और पीएम मोदी मुलाकात करेंगे और कई अहम रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकता है। इससे पहले पुतिन ने साल 2018 में भारत की यात्रा की थी। पुतिन का यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है कि जब भारत को इस साल के आखिर तक एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम मिलने जा रहा है। भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे के बाद भी साफ कर दिया है कि वह रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम लेगा। इस साल यह पुतिन की दूसरी विदेश यात्रा है। इससे पहले वह जिनेवा में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलने के लिए गए थे। भारतीय नौसेना को आर्कटिक में उपस्थिति दर्ज कराने का मौका पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कई बार पुतिन को बुला चुके हैं लेकिन अभी तक रूसी राष्ट्रपति ने अरमानों पर पानी ही फेरा है। पुतिन की इस यात्रा के ऐलान से यह साबित हो गया है कि रूस के लिए भारत के साथ रिश्ते कितने महत्वपूर्ण हैं। इस दौरे पर रूस और भारत के बीच एक समझौता हो सकता है जिसके तहत भारतीय नौसेना को आर्कटिक इलाके में उपस्थिति दर्ज कराने का मौका मिल जाएगा। माना जाता है कि हिंद प्रशांत के बाद आर्कटिक ही दुनिया का अगला जंग का मैदान बनने जा रहा है। भारत और रूस अब तक 20 वार्षिक शिखर बैठक कर चुके हैं। इससे पहले साल 2019 में पीएम मोदी रूस के व्लादिवोस्तक शहर गए थे। भारत ने रूस के इलाके में निवेश को बढ़ावा देने के लिए बड़ा ऐलान किया था। रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा भागीदार देश है। भारत रूस से अत्याधुनिक AK-203 राइफल, युद्धपोत, फाइटर जेट और अन्य घातक हथियार ले रहा है। माना जा रहा है कि इस दौरे पर भी कई अहम रक्षा समझौते हो सकते हैं।
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