बीजिंग चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के आदेश पर ड्रैगन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारत को आंखें दिखा रही है। यही नहीं सैटलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश से सटे इलाके में अपने गांव बना रहा है। चीन के हजारों की तादाद में सैनिक और घातक जंगी हथियार भारतीय सीमा पर तैनात हैं। चीन के साथ बेहद तनावपूर्ण हालात के बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की तारीफ करते हुए उसकी उपलब्धियों को प्रेरणादायक करार दिया है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 19वीं केंद्रीय समिति का छठा पूर्ण अधिवेशन अब राजधानी बीजिंग में आयोजित हो रहा है। इसमें प्रमुख रूप से कम्युनिस्ट पार्टी की सौ वर्षों के संघर्ष की प्रमुख उपलब्धियों और ऐतिहासिक अनुभव का अध्ययन किया जाता है। इस मौके पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के साथ इंटरव्यू में कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना से अब तक के सौ वर्षों में प्राप्त महान उपलब्धियां प्रेरणादायक हैं। 'चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का एक गौरवशाली इतिहास है' डी राजा ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना से अब तक की सौ वर्षों में प्राप्त महान उपलब्धियों और विश्व के लिए किए गए योगदान की बड़ी प्रशंसा की। उनका विचार है चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का इतिहास 'एक गौरवशाली इतिहास है।' उन्होंने कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चीनी लोगों को एक महान क्रांति के माध्यम से चीन लोक गणराज्य की स्थापना की, देश के निर्माण और सुधार की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाई। इससे पहले पेंटागन की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा में करीब 4.5 किमी अंदर घुसकर एक गांव बसा लिया है। इसमें 100 घर नजर आ रहे हैं। यह गांव अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले के त्सारी चू गांव में बसा है। उधर, भारतीय सूत्रों का कहना है कि पेंटागन अपनी रिपोर्ट में भारतीय सीमा के अंदर बने जिस कंस्ट्रक्शन को चीनी गांव बता रहा है, दरअसल वह लंबे वक्त से पीएलए का स्थायी सैन्य कैंप बना हुआ है। इस बात की पुष्टि अरुणाचल प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी ने की है। ऊपरी सुबनसिरी के कडुका डिविजन में तैनात अडिशनल डेप्युटी कमिश्नर डीजे बोरा ने बताया कि जब उन्होंने 2020 में सर्वेक्षण किया था तब उस विवादित क्षेत्र में नागरिक बसाव कोसों दूर था। इस क्षेत्र में चीनी सेना (पीएलए) का कब्जा है। बोरा ने बताया, 'हमने सर्वे के दौरान उस क्षेत्र में काफी सारे बड़े घर हैं जो सैन्य उद्देश्यों के लिए बनाए गए प्रतिष्ठानों की तरह लग रहे थे। मुझे बताया गया कि जब चीनी सेना (पीएलए) ने 1962 में इस इलाके में कब्जा किया था, तब यहां उनके छोटे-छोटे पोस्ट थे।' 1962 से पहले वह जगह भारतीय सेना की अंतिम चौकी थी बोरा ने बताया, 'वह पहाड़ी क्षेत्र जहां चीनी सेना ने निर्माण किया है, 1962 के युद्ध तक भारतीय सेना की अंतिम चौकी हुआ करती थी। उस समय, पोस्ट को माजा कैंप कहा जाता था। क्षेत्र को विवादित क्षेत्र घोषित किए जाने के बाद, भारतीय क्षेत्र के 4-5 किमी अंदर मौजूदा सेना शिविर बनाया गया।' चीन ने जिस विवादित जमीन पर कब्जा किया है, वह मूल रूप से टैगिन समुदाय की है। अरुणाचल प्रदेश में, पूर्ण भूमि स्वामित्व 2018 से पहले अधिकाश जमीनों पर समुदाय, जनजाति या कबीलों के लिए विशेषाधिकार हुआ करता था। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (भूमि निपटान और रिकॉर्ड) (संशोधन) ने एक प्रावधान तैयार किया जिसके तहत बिना किसी दूसरे के दावे के लोगों को भूमि के मालिकाना हक का अधिकार प्रदान किया जाता है। 1914 में जब सांकेतिक मैकमोहन रेखा की पहचान ब्रिटिश शासित भारत और तिब्बत के बीच सीमा के रूप में की गई, तो जमीन दो भागों में विभाजित हो गई। परिणामस्वरूप टैगिन भी बंट गए। ठीक उसी तरह जैसे भारत और म्यामांर के भौगोलिक सीमा से नागा समुदाय का बंटवारा हुआ था। रिजिजू ने एंटनी का वीडियो शेयर कर साधा निशाना वहीं कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भारत-चीन सीमा मुद्दे पर सरकार की ‘विश्वसनीयता’ पर सवाल उठाने के लिए विदेशी मीडिया की रिपोर्ट का हवाला देने के लिए कांग्रेस पर रविवार को निशाना साधा। उन्होंने पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी की लोकसभा में चीन पर टिप्पणियों का एक छोटा वीडियो एक बार फिर साझा किया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘प्रिय कांग्रेसियों, चीन सीमा मुद्दे पर बोलने से पहले कांग्रेस सरकार के रक्षा मंत्री की बात सुनें।’ सिलसिलेवार ट्वीट कर रिजिजू ने दावा किया ‘कुछ दुर्भावनापूर्ण मीडिया’ ने लिखा है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के भीतर एक गांव बसा लिया है और फिर उस इलाके का थोड़ा-सा जिक्र किया है जहां चीन ने 1959 में कब्जा जमा लिया था। आपका उद्देश्य क्या है? रिजिजू ने कहा कि ‘ये लोग’ जानबूझकर भारतीय सेना पर यकीन नहीं करते बल्कि राष्ट्र का मनोबल गिराने की दुर्भावनापूर्ण मंशा के साथ हमारी सरकार की विश्वसनीयता और हमारी सेना की ताकत पर सवाल खड़ा करने के लिए एक भ्रामक शीर्षक बनाने के वास्ते एक विदेशी कहानी का तुरंत संदर्भ दे दिया। 6 सितंबर 2013 के वीडियो क्लिप में पूर्व रक्षा मंत्री एंटनी सदन को बता रहे हैं कि स्वंतत्र भारत की कई सालों तक रक्षा नीति रही है कि बॉर्डर को डेवलप नहीं किया जाए। डेवलप बॉर्डरों के बजाय अविकसित बॉर्डर ज्यादा सुरक्षित होता है। पूर्व रक्षा मंत्री ने इस दौरान यह भी कहा था कि दूसरी ओर चीन बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार रहा है।
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