इस्लामाबाद पाकिस्तान के सैकड़ों बच्चों और सैनिकों की हत्या करने वाले आतंकी संगठन तहरीक-ए- तालिबान पाकिस्तान के साथ बातचीत करके पाकिस्तान के पीएम इमरान खान बुरी तरह से घिर गए हैं। हक्कानी नेटवर्क के समर्थन से हो रही इस बातचीत पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाते हुए इमरान खान को अदालत में तलब करके उन्हें कड़ी फटकार लगाई है। पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला करके 132 मासूम बच्चों की जान लेने वाले टीटीपी पर कोर्ट ने इमरान खान से सवाल किया कि नरसंहार के दोषियों के साथ बातचीत क्यों कर रहे हैं। पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने इमरान खान से सवाल किया, 'क्या हम आतंकियों के आगे फिर से आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं?' हम उनके खिलाफ ऐक्शन लेने की बजाय उनके साथ बातचीत कर रहे हैं। वह भी तब जब हमारे पास दुनिया की 6वीं सबसे बड़ी सेना है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को बुधवार को इस तरह के कई सवालों का सामना करना पड़ा। अदालत ने सरकार को उस भीषण हमले में सुरक्षा विफलता की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक महीने का समय दिया है जिसमें 16 दिसंबर, 2014 को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों ने पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला कर 147 लोगों की जान ले ली थी। 'आप सत्ता में हैं, सरकार भी आपकी है, आपने क्या किया?' पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश गुलज़ार अहमद की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने खान को तलब किया था। पीठ में न्यायमूर्ति काजी मोहम्मद अमीन अहमद और न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन भी शामिल हैं। इस हमले की जांच एक विशेष आयोग ने की थी। विशेष आयोग की रिपोर्ट पिछले हफ्ते अदालत में पेश की गयी थी। आयोग ने कहा था कि हमले के लिए सुरक्षा विफलता जिम्मेदार थी। पीठ ने इस संबंध में की गई कार्रवाई के बारे में इमरान से सवाल किये। प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति अहसन ने कहा कि स्कूल पर हमले में अपने बच्चों को खोने वाले अभिभावकों की संतुष्टि आवश्यक है। पीठ ने सुरक्षा विफलता के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय टीटीपी के साथ बातचीत करने के लिए भी सरकार को आड़े हाथों लिया। न्यायमूर्ति अमीन ने प्रधानमंत्री से कहा, 'अगर सरकार इन बच्चों के हत्यारों के साथ हार के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने जा रही थी ... क्या हम एक बार फिर आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं?' प्रधान न्यायाधीश अहमद ने इमरान से कहा, 'आप सत्ता में हैं। सरकार भी आपकी है। आपने क्या किया? आप दोषियों को बातचीत की मेज पर ले आए।' इमरान ने अपने जवाब में कहा कि हमले के समय उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी खैबर-पख्तूनख्वा में शासन में थी और यह केवल मुआवजा मुहैया करा सकती थी जो उसने पीड़ितों के परिवारों को आर्थिक सहायता देकर किया था। 'प्रधानमंत्री पीड़ितों के घावों पर नमक छिड़क रहे हैं' इमरान खान के इस जवाब से नाराज प्रधान न्यायाधीश अहमद ने टिप्पणी की कि प्रधानमंत्री पीड़ितों के घावों पर नमक छिड़क रहे हैं। डॉन अखबार ने उनके हवाले से कहा, 'अभिभावक पूछ रहे हैं कि (उस दिन) सुरक्षा व्यवस्था कहां थी? हमारे व्यापक आदेशों के बावजूद, कुछ भी नहीं किया गया।' इसके बाद, इमरान ने कहा कि अगर अदालत कहती है तो उनकी सरकार किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा, 'कोई भी पवित्र गाय नहीं है और अदालत के आदेश के परिदृश्य में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।' सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने सुनवाई के बाद मीडियाकर्मियों को बताया कि अदालत ने उन लोगों के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की है जिनकी हमले को रोकने की नैतिक जिम्मेदारी थी, लेकिन वे ऐसा करने में विफल रहे। चौधरी ने कहा कि सरकार निर्देशों का पालन करेगी। इमरान ने पीठ को आश्वासन दिया कि सरकार न्याय की आवश्यकताओं को पूरा करेगी। पीठ ने प्रधानमंत्री को उसके 20 अक्टूबर के फैसले का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। इमरान ने पीठ से कहा कि वह पहले भी मृत बच्चों के अभिभावकों से मिल चुके हैं और भविष्य में भी ऐसा करेंगे। जियो न्यूज ने इमरान के हवाले से कहा, 'पता लगाएं कि 80,000 लोग क्यों मारे गए। साथ ही यह भी पता करें कि पाकिस्तान में 480 ड्रोन हमलों के लिए कौन जिम्मेदार है।' इसके जवाब में प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'इन चीजों के बारे में पता लगाना आपका काम है, आप प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री होने के नाते, आपके पास इन सवालों का जवाब होना चाहिए ... आप प्रधानमंत्री हैं, आपके पास जवाब होना चाहिए।' 'नरसंहार के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो' इमरान ने न्यायाधीशों से कहा कि वे आर्मी पब्लिक स्कूल हादसे पर उच्च स्तरीय आयोग गठित कर सकते हैं। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम पहले ही एक आयोग गठित कर चुके हैं और उसने अपनी रिपोर्ट भी दे दी है। हमारे 20 अक्टूबर के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सरकार को उन लोगों का पता लगाना चाहिए जो इस नरसंहार के लिए जिम्मेदार हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश ने इमरान खां को याद दिलाया कि इस 16 दिसंबर, 2014 को हुए नरसंहार को सात साल बीत चुके हैं।
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