Sunday 14 November 2021

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दुबई चीन से तनाव के बीच रूस ने आधुनिक ब्रह्मास्‍त्र कहे जाने वाले S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की डिलीवरी भारत को शुरू कर दी है। रूस के फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल कोऑपरेशन के डायरेक्‍टर दिमित्री शुगाएव ने दुबई एयर शो में इसका ऐलान किया है। शुगाएव ने कहा कि भारत को एस-400 सिस्‍टम की आपूर्ति शुरू हो गई है और यह तय समय पर चल रही है। इससे पहले अमेरिका ने कहा था कि अगर भारत इस सबसे आधुनिक रूसी डिफेंस सिस्‍टम की डिलिवरी लेता है तो उसे काट्सा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। भारत से पहले यह डिफेंस सिस्‍टम तुर्की और चीन की सेना में शामिल हो चुका है। यही नहीं चीन ने तो लद्दाख में तनाव को देखते हुए इसे तिब्‍बत में तैनात भी कर रखा है। भारत और रूस ने साल 2018 में एस-400 की आपूर्ति का समझौता किया था। इससे पहले अगस्‍त महीने में रूस की सरकारी हथियार कंपनी रोसोबोरोनएक्‍सपोर्ट के प्रमुख अलेक्‍जेंडर मिखेव ने स्‍पुतनिक न्‍यूज से कहा था कि अफ्रीका और पश्चिम एशिया के 7 और देश इस डिफेंस सिस्‍टम को लेने के लिए बातचीत कर रहे हैं। भारत पर अमेरिकी काट्सा प्रतिबंधों का खतरा मंडराने लगा एस-400 की आपूर्ति के साथ ही अब भारत पर अमेरिकी काट्सा प्रतिबंधों का खतरा मंडराने लगा है। इस बीच अमेरिका में यह मांग तेज हो रही है कि भारत पर यह बैन न लगाया जा जाए। वहीं अमेरिकी रिपोर्ट खुलासा हुआ है कि भारत की रूसी हथियारों और उपकरणों पर निर्भरता में उल्लेखनीय गिरावट आई है, लेकिन भारतीय सेना रूसी आपूर्ति वाले उपकरणों के बिना प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकती है। कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट भविष्य में भारत की रूस की हथियार प्रणालियों पर निर्भरता बनी रहेगी। यह रिपोर्ट बाइडन प्रशासन के उस महत्वपूर्ण फैसले से पहले आई है जिसमें बाइडन प्रशासन को भारत की रूस से सैन्य हथियार की खरीद को सीमित करना होगा। स्वतंत्र निकाय सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट ‘रूसी हथियार बिक्री और रक्षा उद्योग’ में कहा है, ‘भारत और उसके बाहर कई विश्लेषकों का निष्कर्ष है कि भारतीय सेना रूसी उपकरणों के बिना प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकती और निकट भविष्य में रूसी हथियार प्रणालियों पर उसकी निर्भरता जारी रहेगी।’ जानें क्‍या है अमेरिका के काट्सा प्रतिबंध, कितना संकट सीआरएस ने कहा कि 2016 से चल रही रूस निर्मित वायु रक्षा प्रणाली एस-400 को खरीदने की भारत की योजना पर अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) की धारा 231 के तहत अमेरिकी रोक लग सकती है। इस कानून के तहत अमेरिका अपने सभी सहयोगियों और साझेदारों से, रूस से किसी भी प्रकार के सैन्य लेन-देन को तत्काल रोकने का आग्रह करता है और ऐसा न होने पर इन देशों को अमेरिका द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरोध हेतु बनाए गए दंडात्मक सीएएटीएसए का सामना करना पड़ सकता है। एस-400 सिस्‍टम से अमेरिका को सता रहा यह बड़ा डर अमेरिका चाहता है कि भारत एस-400 की जगह पर उसका एयर डिफेंस स‍िस्‍टम पेट्रियाट खरीदे। विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिकी सिस्‍टम एस-400 के सामने कहीं नहीं ठहरता है। यही वजह है कि भारत की मोदी सरकार ने अमेरिका को दो टूक बता दिया था कि वह इस सिस्‍टम को खरीदने से पीछे नहीं हटेगी और रूस के साथ अपनी डील पर आगे बढ़ेगा। भारत के इस रुख से अब अमेरिकी काट्सा प्रतिबंधों का खतरा मंडराने लगा है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन रूस को अमेरिका का सबसे बड़ा शत्रु बता चुके हैं और वे तुर्की के एस-400 खरीदने का विरोध कर चुके हैं जो नाटो का सदस्‍य देश है। दरअसल, अमेरिका को डर है कि एस-400 के जरिए रूस अमेरिकी हथियारों से जुड़े राज जान सकता है। एमआईटी में राजनीति विज्ञान के प्रफेसर विपिन नारंग कहते हैं कि असलियत यह है कि नाटो सदस्‍य देश तुर्की भी अमेरिकी प्रतिबंधों से नहीं बच सका, इससे पता चलता है कि अमेरिका एस-400 को लेकर कितना चिंतित है। यह संभवत: केवल कूड़ा नहीं है। भारत का एस-400 लेने पर जोर बाइडेन प्रशासन को भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर मजबूर कर सकता है। जानें क्या है रूस का S-400 डिफेंस सिस्टम यह एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के एयरक्राफ्ट को आसमान से गिरा सकता है। S-400 को रूस का सबसे अडवांस लॉन्ग रेंज सर्फेस-टु-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है। यह दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम रूस के ही S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है। इस मिसाइल सिस्टम को अल्माज-आंते ने तैयार किया है, जो रूस में 2007 के बाद से ही सेवा में है। यह एक ही राउंड में 36 वार करने में सक्षम है।


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