मॉस्को/नई दिल्ली रूस ने भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी शुरू कर दी है। इस सिस्टम की पहली यूनिट को इस साल के अंत तक ऑपरेशनल किया जा सकता है। रूस के फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल कोऑपरेशन के डायरेक्टर दिमित्री शुगाएव ने कहा कि हमने भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी शुरू कर दी है और यह तय समय से हो रही है। चीन ने भी रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम को खरीदा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय संधि के कारण उसकी रेंज भारत के सिस्टम की तुलना में कम है। चीन ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस को मजबूत करने के लिए सिस्टम को सौंपा है। ऐसे में एस-400 और चीन के मिसाइल सिस्टम में अंतर जान लें... क्या काम करता है एयर डिफेंस सिस्टम इसका काम देश में होने वाले किसी भी संभावित हवाई हमले का पता लगाना और उसे रोकना है। यह तमाम तरह के रेडार और उपग्रहों की मदद से जानकारी जुटाता है। इस जानकारी के आधार पर यह बता सकता है कि लड़ाकू विमान कहां से हमला कर सकते हैं। इसके अलावा यह एंटी-मिसाइल दागकर दुश्मन विमानों और मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर सकता है। भारत ने अब तक रूस से मारने वाले हथियार ही खरीदे हैं। पहली बार भारत रूस से S-400 डिफेंस सिस्टम खरीद रहा है। पाकिस्तानी सेना में शामिल हुआ चीनी एयर डिफेंस सिस्टम चीन ने अक्टूबर महीने में पाकिस्तान को स्वदेशी तकनीक पर विकसित HQ-9/P HIMADS (हाई टू मिडियम एयर डिफेंस सिस्टम) एयर डिफेंस सिस्टम को सौंपा था। इस सिस्टम में लंबी दूरी तक सतह से हवा (SAM) में मार करने वाली मिसाइलें लगी होती हैं। इस मिसाइल सिस्टम को चाइना चीन प्रेसिजन मशीनरी इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन (CPMIEC) ने विकसित किया है। इसकी लंबाई 6.8 मीटर और वजन करीब 2000 किलोग्राम तक होता है। HQ-9 हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल, हेलीकॉप्टर, विमान, मानव रहित विमान (UAV), गाइडेड बम और टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल जैसे कई खतरों को रोक सकता है। चीनी डिफेंस सिस्टम की रेंज 100 किमी से 300 किमी चीन ने एचक्यू-9 मिसाइल सिस्टम के कई वैरियंट को बनाया है। जिसकी अधिकतम रेंज 100 किमी से 300 किमी तक है। इसको शामिल किए जाने के समारोह में पाकिस्तान ने शेखी बघारते हुए कहा था कि यह सिस्टम काफी मजबूत है और इससे पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा काफी मजबूत हो गई है। उसने यह भी दावा किया था कि यह एयर डिफेंस सिस्टम एक साथ कई लक्ष्यों को इंटरसेप्ट कर सकता है। विशेषज्ञों का दावा है कि चीन ने इस मिसाइल सिस्टम को रूस के एस-300 और अमेरिका के एमआईएम-104 पैट्रियट मिसाइल सिस्टम की तकनीक पर विकसित किया है। इन देशों के पास चीनी एयर डिफेंस सिस्टम चीन ने एचक्यू-9 मिसाइल सिस्टम के अलग-अलग वैरियंट को पाकिस्तान के अलावा अल्जीरिया, ईरान, इराक, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान जैसे देशों को निर्यात किए हैं। इस सिस्टम में लगी मिसाइल टू स्टेज में काम करती है। इसकी मिसाइल अधिकतम 4.2 मैक की स्पीड से उड़ान भर सकती है। यह मिसाइल 180 किग्रा के हाई एक्सप्लोसिव वॉरहेड को 200 किमी की अधिकतम सीमा और 30 किमी की ऊंचाई तक ले जा सकती है। इस मिसाइल सिस्टम की बैटरी में टाइप 120 लो-एल्टीट्यूड एक्विजिशन रडार, टाइप 305A 3D एक्विजिशन रडार, H-200 मोबाइल एंगेजमेंट रडार और टाइप 305B 3D एक्विजिशन रडार शामिल हैं। क्या है S-400 डिफेंस सिस्टम? यह एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के एयरक्राफ्ट को आसमान से गिरा सकता है। S-400 को रूस का सबसे अडवांस लॉन्ग रेंज सर्फेस-टु-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है। यह दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम रूस के ही S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है। इस मिसाइल सिस्टम को अल्माज-आंते ने तैयार किया है, जो रूस में 2007 के बाद से ही सेवा में है। यह एक ही राउंड में 36 वार करने में सक्षम है। एक साथ 300 टारगेट को कर सकता है ट्रैक S-400 का जलवा यह है कि इसके रडार 100 से 300 टारगेट ट्रैक कर सकते हैं। 600 किमी तक की रेंज में ट्रैकिंग कर सकता है। इसमें लगी मिसाइलें 30 किमी ऊंचाई और 400 किमी की दूरी में किसी भी टारगेट को भेद सकती हैं। मन करे, तो इससे ज़मीनी ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है। सबसे तगड़ी चीज़ यह कि एक ही समय में यह 400 किमी तक 36 टारगेट को एक साथ मार सकती है। इसमें 12 लॉन्चर होते हैं, यह तीन मिसाइल एक साथ दाग सकता है और इसे तैनात करने में पांच मिनट लगते हैं। दुनिया का सबसे अडवांस डिफेंस सिस्टम यह इस बात की ज़िम्मेदारी भी ले सकता है कि दुश्मन की मिसाइल को कौन से फेज़ में गिराना है। लॉन्चिंग के तुरंत बाद, कुछ दूरी पर या करीब आने पर। अगर बूस्ट फेज़ यानी शुरुआत के समय ही मिसाइल ध्वस्त कर दी गई, तो उसके मलबे-राख से भी कोई नुकसान नहीं होगा। इसमें चार तरह की मिसाइल होती हैं। एक मिसाइल 400 किमी की रेंज वाली होती है, दूसरी 250 किमी, तीसरी 120 और चौथी 40 किमी की रेंज वाली होती है। एस-400 डिफेंस सिस्टम को और घातक बना रहा रूस रूस ने अपने एस-400 और एस-300 मिसाइल सिस्टम को और घातक बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस सिस्टम में रूस नई तरह की कई मिसाइलों को शामिल करने जा रहा है जो दुश्मन के किसी भी मिसाइल को मार गिराने में सक्षम होंगी। रूस का यह हथियार अपनी कैटेगरी में दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता है। रूसी समाचार एजेंसी स्पूतनिक की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी रक्षा मंत्रालय ने एस- 300 और एस- 400s के स्टॉक को लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता को बढ़ाने और अत्यधिक सटीक शॉर्ट-रेंज डिफेंस प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार की मिसाइलों से लैस करने की योजना को मंजूरी दी है। जरूरत के हिसाब से मिसाइल में हो सकेगा बदलाव रूसी सेना के अनुसार, लॉन्च प्लेटफार्मों में इस बदलाव से स्थिति के आधार पर इस्तेमाल की जाने वाली मिसाइलों को तुरंत स्विच करना संभव हो जाएगा। किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम से अपेक्षा की जाती है कि वे घरेलू एयर डिफेंस की क्षमताओं में मौलिक रूप से वृद्धि करें और किसी भी लक्ष्य को नष्ट करने के लिए एक सुरक्षित प्रणाली का निर्माण करें। रूस के पास एस-400 की 125 बटालियन बता दें कि रूस की एयर डिफेंस फोर्स एस- 300 की कम से कम 125 बटालियन (कुल 1,500 लांचर) और एस- 400 की 55 बटालियन (552 लांचर) से लैस हैं। योजना के अनुसार, एस -300 की चार बड़ी लॉन्च ट्यूबों में से एक या अधिक को चार छोटे 9M96 और 9M96M मिसाइलों के साथ बदला जाएगा। इन मिसाइलों की रेंज 30 से 120 किमी की होगी। ये मिसाइलें 20 से 35 किमी की ऊंचाई पर दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम होंगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रूस के एस्ट्राखान क्षेत्र में एयरोस्पेस फोर्सेस के 185वें सेंटर फॉर कॉम्बैट ट्रेनिंग के दौरान इसका सफल ट्रायल भी किया गया है।
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