इस्लामाबाद पाकिस्तान में हिंदू और सिख जैसे अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार होता रहता है। कभी हिंदू मंदिरों के तोड़े जाने की खबर आती है तो कभी सिख अल्पसंख्यकों की हत्या कर दी जाती है। इस तरह की तमाम घटनाओं पर पाकिस्तान की इमरान सरकार अपनी आंखे मूंदे रहती है। इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान करतारपुर कॉरिडोर की दूसरी वर्षगांठ पर पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों के प्रति अपनी सरकारी की कथित 'प्रतिबद्धताओं' का राग अलाप रहे हैं। इमरान खान ने ट्विटर पर लिखा, 'आज करतारपुर कॉरिडोर की दूसरी वर्षगांठ है। यह अंतरधार्मिक सद्भाव का एक गलियारा है जो भारत के सिख समुदाय को उनके सबसे पवित्र स्थलों में से एक तक विशेष पहुंच की अनुमति देता है। करतारपुर कॉरिडोर अल्पसंख्यक अधिकारों और अंतरधार्मिक सद्भाव के लिए मेरी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।' करतारपुर कॉरिडोर सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के अंतिम विश्राम स्थल पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब को गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक मंदिर से जोड़ता है। भारत सरकार पर साधा निशानाउन्होंने कहा, 'हमारी प्रतिबद्धता ऐसे समय में आई है जब हम भारत की वैचारिक हिंदुत्व भाजपा सरकार कश्मीरियों, भारतीय मुसलमान और अन्य अल्पसंख्यकों का व्यवस्थित उत्पीड़न कर रही है। भारत सरकार की यह मानसिकता आज हमारे क्षेत्र में शांति की राह में सबसे बड़ी बाधा है।' इमरान खान सिखों के प्रति हमदर्दी जता रहे हैं लेकिन पाकिस्तान में सिखों की वास्तविक स्थिति क्या है इसका पता सितंबर में हुई एक बर्बर हत्या से चलता है। पेशावर में सिख डॉक्टर की हत्यासितंबर में खबर आई थी कि पेशावर में कुछ लोगों ने एक सिख की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतक का नाम सरदार सतनाम सिंह (खालसा) बताया गया था। वह एक सिख हकीम थे जो पेशावर में अपना क्लिनिक चलाते थे। जानकारी के मुताबिक अज्ञात हमलावरों ने उन्हें सरेआम चार गोलियां मार दीं, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। मौके पर पुलिस पहुंची लेकिन हमलावर वहां से फरार हो गए।
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