वॉशिंगटन पिछले साल 1 दिसंबर को ऐस्टरॉइड धरती के बेहद करीब से गुजर गया। यह ऑब्जेक्ट धरती और चांद की दूरी से भी नजदीक से गुजरा और इस दौरान यह धरती की कक्षा में चक्कर काटने लगा। इसलिए इसे '' () कहा गया। हालांकि, अब यह धरती की कक्षा से बाहर निकलने को तैयार है। धरती को अलविदा कहने से पहले यह 1 फरवरी को बेहद करीब आएगा। मार्च में धरती को कहेगा अलविदा दिसंबर में चर्चा में आने के बाद NASA के अनैलेसिस में पाया गया था कि यह 'ऐस्टरॉइड' दरअसल, 1966 में लॉन्च किया गया Surveyor 2 रॉकेट बूस्टर था। यह कई बार धरती का चक्कर लगा चुका है और इस बार दो महीने से यह ऐसा कर रहा है। वर्चुअल टेलिस्कोप प्रॉजेक्ट के मुताबिक इस बार यह बेहद करीब आकर चला जाएगा। मार्च में धरती के गुरुत्वाकर्षण से आजाद होने के बाद के बाद यह सूरज का चक्कर काटने लगेगा। NASA रखता है नजर NASA के मुताबिक 2020 SO पिछले साल 1 दिसंबर को धरती के करीब आया और इसके बाद धरती के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र 'हिल स्फीयर' में रहा। NASA से जुड़े टेलिस्कोप आसमान में धरती को खतरे की आशंका वाले ऐस्टरॉइड्स पर नजर रखते हैं। यह इसलिए भी खास है क्योंकि प्राकृतिक और आर्टिफिशल बॉडीज में अंतर किया जाना जरूरी है। बेहद कम थी इसकी गति 2020 SO का सच पता लगने से पहले ही एक्सपर्ट्स ने इस नए 'चांद' को लेकर कुछ अजीब सी बात भी नोटिस की थी। इसकी गति किसी दूसरे स्पेस रॉक से काफी कम थी। इससे यह संभावना जताई गई थी कि यह कोई मानव निर्मित ऑब्जेक्ट ही हो और वही निकला। औसतन किसी स्पेस रॉक की गति 11 किमी प्रति सेकंड से 72 किमी प्रति सेकंड होती है जबकि 2020 SO की गति सिर्फ 0.6 किमी प्रति सेकंड थी।
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