अदीस अबाबा कोरोना वायरस महासंकट के बीच अफ्रीकी शहरों में एक फैल रहा है जिससे दुनियाभर के वैज्ञानिक टेंशन में आ गए हैं। इस मलेरिया मच्छर का वहां रह रहे लोगों पर विनाशकारी प्रभाव नजर आ रहा है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि भारत में पाए जाने वाले मलेरिया मच्छर का मुख्य रोगाणुवाहक या वेक्टर द लार्वा ऑफ एनाफिलिस स्टिफेंसी अब अफ्रीका के विभिन्न शहरों तक पहुंच गया है। द नीदरलैंड राडबाउड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर और इथोपिया अर्माउएर हानसेन शोध संस्थान के शोधकर्ताओं ने कहा कि वेक्टर एक जिंदा जीव होते हैं जो खतरनाक जीवाणुओं को इंसानों के बीच या पशुओं से इंसानों के बीच संक्रमित कर सकता है। हमलावर मच्छरों की यह प्रजाति कुछ साल पहले ही अफ्रीका में आई थी और अब इथियोपिया के शहरों के जलस्रोतों में पहुंच गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बात की पूरी संभावना है कि यह इस मच्छर का स्थानीय स्ट्रेन है। अफ्रीका में मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के बारे में अब तक माना जाता रहा था कि वे ग्रामीण इलाकों में ही पनपते थे लेकिन अब मलेरिया के नए स्ट्रेन से यह धारणा बदल गई है। इस बीच विशेषज्ञ पहले से ही इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यह खास मच्छर पहले ही इथियोपिया,सूडान, दिजीबूती के शहरी इलाकों में अपनी जड़ जमा चुका है। शोधकर्ताओं ने कहा कि अब अफ्रीका के शहरी इलाकों में भी मलेरिया का खतरा बढ़ गया है। वर्ष 2019 में 4,09,000 लोगों की मलेरिया से मौत मलेरिया का इलाज संभव है और भारत में हर साल इसके लाखों मरीज आते हैं। हालांकि इससे बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हो जाती है। वर्ष 2019 में ही 4,09,000 लोगों की मौत हो गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीकी इलाके में 94 फीसदी मलेरिया के केस आए और मौतें हुईं। शोधकर्ताओं ने यह पता लगाने की कोशिश की कि मच्छरों का यह नया स्ट्रेन स्थानीय मलेरिया पैरासाइट्स के साथ मिलकर स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है या नहीं। संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ तेउन बोउसेमा ने कहा, 'हमारे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब एशियाई मच्छर इथियोपियाई मच्छरों की कॉलोनी की तुलना में स्थानीय मलेरिया पैरासाइट के प्रति ज्यादा ग्रहणशील नजर आया। ऐसा लगता है कि मलेरिया के दो मुख्य प्रजातियों में यह मच्छर बहुत ज्यादा तेजी से फैलने वाला होगा।' शोधकर्ताओं ने तत्काल तेजी से कदम उठाने के लिए कहा है।
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