पेइचिंग दुनियाभर में कोरोना संक्रमण की जांच के लिए नाक के स्वैब का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं, इस खतरनाक महामारी का जन्मदाता चीन दो कदम आगे बढ़ते हुए लोगों के एनल यानी गुदा के स्वैब को जांच के लिए इकट्ठा कर रहा है। चीन के कई स्थानीय विशेषज्ञों ने भी इस तरीके की तारीफ करते हुए इसे सटीक जांच पद्धति करार दिया है। बता दें कि कोरोना पर जीत का दावा करने वाला चीन इस समय दूसरी लहर के संक्रमण से बुरी तरह घिरा हुआ है। कोरोना के नए स्ट्रेन के बाद चीन में सख्ती अमेरिकी मीडिया न्यूयॉर्क पोस्ट ने न्यूजवीक के हवाले से लिखा कि ब्रिटेन में मिले कोरोना का नया स्ट्रेन चीन पहुंच चुका है। चीन में ब्रिटेन से आए एक 9 साल के लड़के में कोरोना के अत्याधिक संक्रमण फैलाने वाले स्ट्रेन मिला था। जिसके बाद से उस इलाके के पूरे लोगों का फिर से टेस्ट किया जा रहा है। हॉटस्पॉट और क्वारंटीन क्षेत्र में हो रहा इस्तेमाल इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन में पिछले साल से ही एनल स्वैब का इस्तेमाल कोरोना की जांच के लिए किया जा रहा है। यह तरीका अधिकतर शंघाई जैसे कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट बने क्षेत्रों में किया जा रहा है। इसके अलावा लोगों के गले और नाक के स्वैब का नमूना भी लिया जा रहा है, क्योंकि यह एनल स्वैब की तुलना में अधिक आसान पद्धति है। चीनी विशेषज्ञ ने की तरीके की तारीफ न्यूजवीक के अनुसार, पेइचिंग के You’an अस्पताल के ली तोंगजेंग ने कहा कि बेशक एनल स्वैब गले और नाक से स्वैब के नमूने लेने की तुलना में अधिक कठिन है, लेकिन इसका इस्तेमाल केवल क्वारंटीन एरिया में ही लोगों की जांच के लिए किया जा रहा है। यह गलत तरीके से पॉजिटिव पाए जा रहे लोगों की संख्या को कम करेगा। इससे कोरोना की पहचान सटीक तरीके से हो सकेगी। चीन में लगाता बढ़ रहे कोरोना के मामले दिसंबर 2019 में वुहान में पहली बार कोरोना वायरस संक्रमण का मामला आने के बाद से देश में 88 हजार से ज्यादा लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। वहीं संक्रमण से अभी तक कुल 4,600 से अधिक लोगों की मौत हुई है। चीन का लक्ष्य फरवरी के मध्य तक देश के पांच करोड़ लोगों को कोविड-19 का टीका लगाने का है। इसबीच सरकार ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे चीनी नववर्ष के दौरान घरों में ही रहें और बाहर जाने, यात्रा करने से बचें।
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