वॉशिंगटन पिछले साल सितंबर में एक खोज ने की संभावनाओं को बल दिया था। एक रिसर्च में दावा किया गया था कि शुक्र ग्रह पर फॉस्फीन (Phosphine) गैस पाई गई है जिससे वहां जीवन मुमकिन होने की चर्चा तेज हो गई थी। हालांकि, हाल में छपे दो नए रिसर्च पेपर में इस दावे को चुनौती दी गई है। अब शुक्र के डेटा को फिर से रिकॉर्ड कर इस दिशा में फिर से रिसर्च करने की बात कही जा रही है ताकि सटीकता से आकलन किया जा सके कि वाकई में शुक्र पर फॉस्फीन है या नहीं। नहीं मिली फॉस्फीन सिएटल की यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन की ऐस्ट्रोबायॉलजिस्ट विक्टोरिया मेडोज ने इन ताजा स्टडीज के बारे में बताया है, 'हम इस बारे में एक विस्तृत विचार लाए हैं, इस डेटा को समझाने का दूसरा तरीका कि यह फॉस्फीन नहीं है।' जिस टेलिस्कोप से मिले डेटा के आधार पर फॉस्फीन पाए जाने का दावा किया गया था, उसे फिर से स्टडी किया गया और उन्हें फॉस्फीन नहीं मिली। नहीं? दूसरी स्टडी में शुक्र ग्रह पर गैसों के व्यवहार को स्टडी किया गया और पाया गया कि जिसको फॉस्फीन समझा गया, वह दरअसल सल्फर डाइऑक्साइड थी। यह शुक्र पर सामान्य गैस है और जीवन की संभावना नहीं दर्शाती है। दूसरी ओर, यूनिवर्सिटी ऑफ लेडेन के ऐस्ट्रोनॉमर इगनस स्नेलन का कहना है कि ताजा स्टडी से शुक्र पर जीवन की संभावना खारिज हो गई है। डेटा को लेकर आशंका पहले फॉस्फीन पाए जाने का दावा करने वाली यूनिवर्सिटी ऑफ कार्डिफ की ऐस्ट्रोनॉमर जेन ग्रीव्स का कहना है कि नए पेपर पढ़ने के बाद वह इस बारे में कुछ कह सकेंगी। दरअसल, पहले ALMA (Atacama Large Millimeter/submillimeter Array) की मदद से रिकॉर्ड किए गए डेटा के आधार पर फॉस्फीन की खोज का दावा किया गया था। हालांकि, बाद में पता चला कि यह डेटा गलत तरीके से प्रोसेस किया गया था। जेन और उनकी टीम ने फिर से अपनी कैलकुलेशन की और माना कि पहले के मुकाबले उन्हें कम फॉस्फीन मिली है जबकि दूसरे रिसर्चर्स को फॉस्फीन नहीं मिली। फॉस्फीन मिलना क्यों अहम? फॉस्फोरस और हाइड्रोजन से बने इस कंपाउंड को जीवन से जोड़ा जाता है। धरती पर फॉस्फीन या तो ऐसे जीव बनाते हैं जिन्हें ऑक्सिजन की जरूरत नहीं होती या लैब में बनाई जाती है। इसलिए जीवन के संभावित निशानों से ऐस्ट्रोनॉमर्स और स्पेस साइंटिस्ट्स के बीच वीनस के बारे में और ज्यादा जानने की जिज्ञासा बढ़ गई थी।
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