Monday, 1 March 2021

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पेइचिंग चीन के बिजली उपकरणों के बल चल रहे भारत के लिए आंखें खोलने वाला शोध सामने आया है। एक ताजा शोध में पता चला है कि लद्दाख में चल रहे तनाव के बीच चीन ने पिछले साल भारत के बिजली संयंत्रों को निशाना बनाया था। चीन के हैकरों की कोशिश थी कि भारत को अंधेरे में डुबो दिया जाए। यही नहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल अक्‍टूबर महीने में मुंबई में भीषण बिजली संकट के पीछे भी चीन के हैकरों का हाथ हो सकता है। मुंबई में बिजली गुल जाने से ट्रेनें रुक गई थीं, हॉस्पिटल से बिजली गायब हो गई थी और स्‍टॉक एक्‍सचेंज भी कुछ घंटे के ल‍िए बंद हो गया था। चीनी हैकर्स की फौज ने अक्टूबर में मात्र पांच दिनों के अंदर भारत के पॉवर ग्रिड, आईटी कंपनियों और बैंकिंग सेक्टर्स पर 40500 बार साइबर अटैक किया था। शोध में कहा गया है कि गलवान घाटी में खूनी झड़प के बाद चीन के मालवेयर भारत में बिजली की आपूर्ति करने वाले सिस्‍टम में घुसने लगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन से जुड़े समूह रेडइको ने संभवत: सबसे पहले भारत के बिजली संयंत्रों में मालवेयर प्‍लांट किया था। भारत के नैशनल इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर चीनी हैकरों के निशाने पर न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स में सबसे पहले प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई में बिजली संकट से जुड़े तार यह बताते हैं कि भारत में बिजली की आपूर्ति करने वाले संगठनों को निशाना बनाया गया। इस अध्‍ययन में संकेत दिया गया है कि भारत के कुछ बेहद संवेदनशील नैशनल इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर चीनी हैकरों के निशाने पर हैं जो सिस्‍टम को हैक करने के लिए बेहद अत्‍याधुनिक वायरस का इस्‍तेमाल कर रहे हैं। ऑनलाइन खतरे का आकलन करने वाली कंपनी रेकॉर्डेड फ्यूचर ने चीनी मालवेयर का पता लगाया है। उसने पाया है कि ज्‍यादा मालवेयर को सक्रिय नहीं किया गया है। संगठन ने पाया कि चीन सरकार की ओर संचालित इन साइबर हैकर्स ने वर्ष 2020 के शुरुआती महीनों में अपने हमले तेज कर दिए थे। भारत के बेहद अहम इंफ्रास्‍टक्‍चर को निशाना बनाने के लिए 10 संगठनों को चुना गया था जिसमें 4 से 5 क्षेत्रीय लोड डिस्‍पैच सेंटर शामिल हैं। इसके अलावा भारत के दो समुद्री बंदरगाह भी चीनी हैकरों के निशाने पर थे। 12 अक्टूबर को क्या हुआ था मुंबई में? 12 अक्टूबर 2020 की सुबह मुंबई में अचानक से बिजली सप्लाई बंद होने से हड़कंप मच गया था। कभी न रुकने वाली मुंबई अचानक थम सी गई थी। बिजली जाने से कोरोना की मार झेल रहे मुंबई के अस्पतालों में वेंटिलेटर्स काम करना बंद कर दिए थे। ऑफिसों में बिजली चले जाने से अंधेरा हो गया था। हालांकि, 2 घंटे के मशक्कत के बाद फिर से पावर सप्लाई को चालू कर दिया गया था। क्‍या भारत को अंधेरे में डूबो सकता है चीन? चीन पर इस बड़े खुलासे के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि क्‍या ड्रैगन भारत को अंधेरे में डुबो सकता है? पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव कहती हैं कि भारत ने बड़े पैमाने पर चीन से बिजली पैदा करने वाले उपकरण और ट्रांसफॉर्मर खरीदे हैं। इन उपकरणों में चीनी हार्डवेयर के अलावा साफ्टवेयर भी लगा हुआ है। यह बेहद घातक है। हमने पिछले दो दशक में चीन पर अपनी निर्भरता बना रखी है और इसकी अब भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। आज मेक इन इंडिया की जरूरत है। निरुपमा राव की आशंका गलत नहीं है। भारत ने वर्ष 2020 में 71 हजार करोड़ रुपये ऊर्जा के उपकरण खरीदे हैं जिसमें से 21 हजार करोड़ रुपये के उपकरण केवल चीन से खरीदे गए हैं। इसी खतरे को देखते हुए केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने पिछले साल कहा था कि राज्‍यों के डिस्‍कॉम को चीनी कंपनी को अपने ऑर्डर नहीं देने चाहिए। उन्‍होंने कहा कि जो देश हमारे जमीन पर कब्‍जा करना चाहता है, उससे इतना बिजली उपकरण खरीदने को हम बर्दाश्‍त नहीं कर सकते हैं।


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