Monday, 1 March 2021

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भारत और अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों से जारी तनाव के बीच चीन तेजी से अपने मिसाइल ट्रेनिंग एरिया को विकसित कर रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीनी सेना इस एरिया में मिसाइलों को रखे जाने वाले स्टोरेज कंटेनर्स (साइलो), सुरंग और सपोर्ट फैसिलिटी का विस्तार कर रहा है। चीन की इन तैयारियों से यह अंदेशा जताया जा रहा है कि वह आने वाले दिनों में अपनी मारक क्षमता को बढ़ाने और दुश्मनों पर हावी होने के लिए मिसाइलों को मुख्य हथियार बनाएगा। चीन के पास कई ऐसी घातक मिसाइलें हैं जिनका तोड़ अमेरिका के पास भी नहीं है।(Photo- Federation of American Scientists)

China Expanding Missile Training Area: भारत और अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों से जारी तनाव के बीच चीन तेजी से अपने मिसाइल ट्रेनिंग एरिया को विकसित कर रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीनी सेना इस एरिया में मिसाइलों को रखे जाने वाले स्टोरेज कंटेनर्स (साइलो), सुरंग और सपोर्ट फैसिलिटी का विस्तार कर रहा है।


मिसाइलों के जरिए दुनिया फतह करने की तैयारी में चीन, सैटलाइट तस्‍वीरों से बड़ा खुलासा

भारत और अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों से जारी तनाव के बीच चीन तेजी से अपने मिसाइल ट्रेनिंग एरिया को विकसित कर रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीनी सेना इस एरिया में मिसाइलों को रखे जाने वाले स्टोरेज कंटेनर्स (साइलो), सुरंग और सपोर्ट फैसिलिटी का विस्तार कर रहा है। चीन की इन तैयारियों से यह अंदेशा जताया जा रहा है कि वह आने वाले दिनों में अपनी मारक क्षमता को बढ़ाने और दुश्मनों पर हावी होने के लिए मिसाइलों को मुख्य हथियार बनाएगा। चीन के पास कई ऐसी घातक मिसाइलें हैं जिनका तोड़ अमेरिका के पास भी नहीं है।

(Photo- Federation of American Scientists)



मिसाइल और लॉन्चर्स के लिए स्टोरेज साइट बना रहा चीन
मिसाइल और लॉन्चर्स के लिए स्टोरेज साइट बना रहा चीन

चीनी रक्षा मामलों के बड़े जानकार और फेडरेशन ऑफ अमेरिकी साइंटिस्ट में न्यूक्लियर इंफॉर्मेशन प्रोजक्ट के डॉयरेक्टर हेंस एम क्रिस्टेंस ने अपने ब्लॉग में खुलासा किया है कि सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, चीन कम के कम 16 साइलो का निर्माण कर रहा है। इन तस्वीरों से यह भी पता चला है कि वह मिसाइल लॉन्चिंग की नई फैसिलिटी और लोडिंग ऑपरेशन को छिपाने के लिए सुरंगे बना रहा है। इनर मंगोलिया प्रांत के जिलंताई शहर के पूर्व में स्थित इस प्रशिक्षण क्षेत्र में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना रॉकेट फोर्स (PLARF) अपने मिसाइल क्रू को ट्रेनिंग देती है। इसमें ट्रक या ट्रेन के ऊपर लगीं मिसाइलें और सपोर्टिंग गाड़ियां शामिल होती हैं। जिलंताई ट्रेनिंग एरिया रेगिस्तानी और पहाड़ी क्षेत्र को मिलाकर कुल 2,090 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसकी इसकी लंबाई लगभग 140 किलोमीटर के आसपास है।

(Photo- Federation of American Scientists)



चीन ने बनाए 140 मिसाइल लॉन्चिंग पैड्स
चीन ने बनाए 140 मिसाइल लॉन्चिंग पैड्स

चीन ने यहां 2013 के बाद से काफी ज्यादा डेवलपमेंट का काम किया है। जिसमें 140 लॉन्चिंग पैड्स बनाए गए हैं। इन्हीं के जरिए चीनी सेना की मिसाइल फोर्स समय समय पर ट्रेनिंग करती रहती है। इसके अलावा यहां 25 से अधिक कैंप ग्राउंड्स को भी बनाया गया है। जहां लॉन्च यूनिट वापस जाने से पहले रहती है। पांच हाई-बे गैरेज सर्विसिंग लॉन्चर और सपोर्टिंग गाड़ियां इस क्षेत्र में ऑपरेट की जाती हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र में उत्तर से दक्षिण तक निर्माण काम किया जा रहा है। मिसाइलों को लॉन्चर्स को संभालने वाले साइलो का निर्माण किया जा रहा है। यहां कैंपिंग क्षेत्रों और लॉन्चरों को छिपाने और सुरक्षित रखने के लिए भूमिगत सुविधाओं का बड़ी संख्या में निर्माण किया जा रहा है।

(Photo- Federation of American Scientists)



गूगल अर्थ की तस्वीरें काफी पुरानी
गूगल अर्थ की तस्वीरें काफी पुरानी

हेंस एम क्रिस्टेंस ने इस क्षेत्र की सैटेलाइट तस्वीरों को लेकर भी निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में इस क्षेत्र की मैपिंग का काम काफी धीमी स्पीड से किया गया है। गूगल अर्थ पर तो केवल कुछ क्षेत्रों की और सीमित मात्रा में तस्वीरें ही उपलब्ध हैं। केवल उत्तर पूर्वी इलाके की तस्वीर ही 2019 की है। यहां की बाकी तस्वीरें तो 2013 और 2014 में ली गई थीं। ऐसे में चीन ने इस क्षेत्र में जो भारी विकास किया है, उसकी जानकारी कम ही लोगों को है। इस हाई रिज्योलूशन तस्वीरों को मैक्सार की सैटेलाइट्स ने खींचा है।

(Photo- Federation of American Scientists)



11 नए मिसाइल बैरक बना रहा चीन
11 नए मिसाइल बैरक बना रहा चीन

रिपोर्ट में बताया गया है कि यहां जितने भी साइलो का निर्माण किया गया है उनकी लंबाई डीएफ-5 आईसीबीएम की तुलना में छोटी है। जिससे यह अंदेशा जताया जा रहा है कि इस साइट से डीएफ-41 जैसी मिसाइलों का संचालन किया जा सकता है। यहां 2016 में मिसाइलों को रखने के लिए पहले साइलो का निर्माण किया गया था। बाद में साल 2018-2020 रूसी टाइप के चार अन्य साइलो का निर्माण किया गया। चीन अब 2020 के अंत में अतिरिक्त 11 साइलो का निर्माण कर रहा है, जो अभी पूरे नहीं हुए हैं। ये सभी साइलो 10 गुणे 20 किलोमीटर की एरिया में स्थित हैं, जिनमें एक की दूसरे से दूरी लगभग 2.2-4.4 किलोमीटर के आसपास है।

(Photo- Federation of American Scientists)





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