Thursday 4 March 2021

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इस्लामाबाद पाकिस्तान में सरकार के वित्त मंत्री को सीनेट चुनाव में मिली हार के बाद से राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं। संयुक्त विपक्ष इमरान खान के इस्तीफे की मांग पर अड़ा हुआ है। उधर, दावा यह किया जा रहा है कि इस चुनाव में इमरान खान की कुछ नीतियों से नाखुश ने अपना हाथ खींच लिया था। इसी कारण न केवल उनके वित्त मंत्री अब्दुल हफीज शेख को हार का सामना करना पड़ा, बल्कि ऐन मौके पर विपक्ष के उम्मीदवार घोषित किए गए पूर्व प्रधानमंत्री को जीत मिली। अब, इमरान खान आज शाम को देश को संबोधित करने वाले हैं। आज शाम अवाम को संबोधित करेंगे इमरान पाकिस्तानी मीडिया में सेना और सरकार के बीच खटपट और विपक्ष के इस्तीफे की मांग को लेकर इमरान खान ने आज सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और आईएसआई चीफ जनरल फैज हमीद से मुलाकात की है। इसके बाद वह आज ही शाम को पाकिस्तानी समयानुसार शाम 7.30 बजे अवाम को संबोधित करेंगे। माना जा रहा है कि इस संबोधन में इमरान खान न केवल विपक्ष को घेरेंगे, बल्कि इसमें भी भारत का ऐंगल देकर जनता को गुमराह करने की कोशिश करेंगे। इमरान खान ने साजिद संजरानी को बनाया सीनेट अध्यक्ष का उम्मीदवार इमरान खान ने वर्तमान सीनेट अध्यक्ष साजिद संजरानी को फिर से सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में संसद के ऊपरी सदन की अध्यक्षता के लिए नामित किया है। वे विपक्षी पार्टियों के गठबंधन की तरफ से घोषित उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ंगे। सूचना प्रसारण मंत्री शिबली फ़राज़ ने गुरुवार को ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने सीनेट की अध्यक्षता के लिए संजरानी ने नाम की घोषणा की है। इमरान खान के लिए चुनावी हार क्यों है बड़ा झटका किसी भी लोकतांत्रिक देश में वित्त मंत्री को नंबर 3 की हैसियत का नेता माना जाता है। ऐसे में अगर इमरान खान कैबिनेट के वित्तमंत्री सरकार गठन के तीन साल बाद चुनाव हार जाते हैं तो इससे सरकार की बेइज्जती होती है। इमरान खान ने व्यक्तिगत रूप से मंत्रिमंडल के अपने सहयोगी के लिए प्रचार किया था। सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) ने दावा किया था कि उसे 182 सदस्यों का समर्थन मिला, जबकि सीनेटर को चुनने के लिए 172 वोटों की आवश्यकता थी। पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने घोषणा की कि यूसुफ रजा गिलानी को 169 मत मिले जबकि शेख को 164 मत मिले। सात मत खारिज हुए। कुल मतों की संख्या 340 थी। पाकिस्तानी सेना ने छोड़ा साथ बताया जा रहा है कि इमरान खान सरकार और सेना के बीच अभी हालात समान्य नहीं है। पाकिस्तानी सेना ने भी अपने ऊपर बढ़ते दबावों को देखते हुए इमरान खान की मदद करने से इनकार कर दिया है। इसी कारण पाकिस्तान आर्मी चीफ के निर्देश पर हाल में ही चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के चेयरमैन और पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा ने भ्रष्टाचार के आरोपों पर अपना इस्तीफा दे दिया था। अब जल्द ही पाकिस्तानी सेना अपने अधिकतर जनरलों को सरकार की सेवा से हटाने जा रही है। पाकिस्तान में कट्टर धार्मिक पार्टियों की ताकत बढ़ी पाकिस्तान में इस्लामी पार्टियों का अस्तित्व हमेशा ही दोयम दर्जे का रहा है। ये पार्टियां किसी न किसी बड़ी पार्टी के पीछे लगकर उसके लिए धार्मिक वोटों को बटोरने का काम करती हैं। लेकिन पिछले साल इस्लामाबाद को घेरने के लिए मौलाना डीजल ने जो मोर्चेबंदी की थी, इससे उनकी लोकप्रियता चरम पर पहुंच गई है। वहीं, इस समय पाकिस्तान की मुख्यधारा की विपक्षी पार्टियां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) नेतृत्व विहीन हैं। प्रमुख विपक्षी पार्टियां नेतृत्व विहीन पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष नवाज शरीफ इस समय सजा के डर से लंदन में छिपे हुए हैं। पाकिस्तानी कोर्ट तो लंदन तक उनके गिरफ्तारी का वारंट भेज चुकी है। जबकि उनके भाई और प्रमुख विपक्षी नेता शहबाज शरीफ मनी लॉन्ड्रिंग के केस में जेल में हैं। रही बात पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की तो बेनजीर भुट्टो की मौत के बाद इस पार्टी में कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो वोट खींच सके। बिलावल भुट्टो को लोग हल्के में लेते हैं, जबकि आसिफ अली जरदारी पर भ्रष्टाचार का केस चल रहा है।


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