
पेइचिंग चीन ने अंतरिक्ष में अमेरिका को टक्कर देने के लिए गुरुवार को खुद का स्पेस स्टेशन के पहले कोर कैप्सूल मॉड्यूल को लॉन्च किया है। आने वाले दिनों में ऐसी ही कई लॉन्चिंग के जरिए स्पेस स्टेशन के बाकी हिस्सों को भी अंतरिक्ष में पहुंचा दिया जाएगा। चीन की योजना इस साल के अंत से अपने पहले स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन को शुरू करने की है। अभी तक केवल रूस और अमेरिका ने ही ऐसा कारनामा किया है। हालांकि, इस समय केवल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ही सक्रिय है। लॉन्ग मार्च-5 बी रॉकेट के जरिए की गई लॉन्चिंग चीन ने वेन्चांग स्पेस लॉन्च सेंटर से लॉन्ग मार्च-5 बी रॉकेट के जरिए स्पेस स्टेशन के कोर कैप्सूल को अंतरिक्ष में लॉन्च किया। यह लॉन्ग मार्च-5बी की दूसरी उड़ान थी। चाइना एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी (सीएएसटी) में अंतरिक्ष के उप मुख्य डिजाइनर बाई लिन्होउ ने कहा कि तियांहे मॉड्यूल अंतरिक्ष केंद्र तियानगोंग के प्रबंधन एवं नियंत्रण केंद्र के रूप में काम करेगा और इसमें एक साथ तीन अंतरिक्ष यान खड़ा करने की व्यवस्था है। चीन ने अपने स्पेस स्टेशन का रखा यह नाम चीन ने अपने स्पेस स्टेशन को टियोंगॉन्ग (Tiangong) नाम दिया है। चीनी भाषा में इसका मतलब जन्नत का महल होता है। यह मल्टीमॉडल स्पेस स्टेशन मुख्य रूप से तीन पार्ट से मिलकर बना होगा, जिसमें एक अंतरिक्ष कैप्सूल और दो लैब होंगी। इन सभी का कुल भार 90 मीट्रिक टन के आसपास होगा। स्पेस स्टेशन के कोर कैप्सूल का नाम तियान्हे (Tianhe) रखा गया है, जिसका मतलब स्वर्ग का सद्भाव होता है। अंतरिक्ष में 15 साल तक करेगा काम चीनी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह स्पेस स्टेशन इस साल के अंत से काम करना शुरू कर देगा। इसकी जीवन अवधि 15 साल आंकी गई है। चीनी कोर कैप्सूल की लंबाई 4.2 मीटर और डायामीटर 16.6 मीटर है। इसी जगह से पूरे अंतरिक्ष स्टेशन का संचालन किया जाएगा। अंतरिक्ष यात्री इसी जगह पर रहते हुए पूरे स्पेस स्टेशन को कंट्रोल कर सकेंगे। इस मॉड्यूल में साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट करने की भी जगह होगी। इस कैप्सूल में कनेक्टिंग सेक्शन के तीन हिस्से होंगे, जिसमें एक एक लाइफ-सपोर्ट, दूसरा कंट्रोल सेक्शन और तीसरा रिसोर्स सेक्शन होगा। 'T' के आकार का होगा चीनी स्पेस स्टेशन चीन के अंतरिक्ष केंद्र का आकार अंग्रेजी के वर्ण टी (T) की तरह होगा जिसके मध्य में मुख्य मॉड्यूल होगा, जबकि दोनों ओर प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कैप्सूल होंगे। प्रत्येक मॉड्यूल का वजन 20 टन होगा और जब अंतरिक्ष केंद्र पर, अंतरिक्ष यात्री और सामान लेकर यान पहुंचेंगे तो इसका वजन 100 टन तक पहुंच सकता हैं। इस अंतरिक्ष केंद्र को पृथ्वी की निचली कक्षा में 340 से 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जा रहा है।
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