Wednesday 28 April 2021

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वॉशिंगटन अमेरिकी राष्ट्रपति ने साफ कर दिया है कि वह चीन को लेकर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक नीति पर ही चलेंगे। अपने प्रशासन के 100 साल पूरा होने के बाद कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए बाइडन ने कहा कि अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत सैन्य उपस्थिति बनाए रखेगा। बाइडन के इस बयान से चीन को मिर्ची लगना तय माना जा रहा है, जिससे एशिया में तनाव फिर से बढ़ सकता है। दूसरे देशों को संघर्ष से रोकने के लिए बढ़ा रहे सेना बाइडन ने परोक्ष रूप से चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि हिंद प्रशांत में अमेरिकी सेना की उपस्थिति कोई संघर्ष शुरू करने के लिए नहीं है, बल्कि दूसरे देशों को ऐसा करने से रोकने के लिए है। गौरतलब है कि चीन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा हैं। इस कारण पूरे क्षेत्र में कई देशों के साथ चीन का तनाव बना हुआ है। अमेरिका प्रतिस्पर्धा का स्वागत करता है, लेकिन संघर्ष नहीं अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र में बाइडन ने कहा कि उन्होंने शी को यह भी बताया कि अमेरिका प्रतिस्पर्धा का स्वागत करता है लेकिन संघर्ष नहीं चाहता। उन्होंने कहा कि मैंने राष्ट्रपति शी को बता दिया कि हमारी सेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति बनाई रखेगी जैसा कि हमने यूरोप में नाटो के साथ किया लेकिन यह कोई संघर्ष शुरू करने के लिए नहीं बल्कि संघर्ष रोकने के लिए है। बाइडन बोले- मैं अमेरिकी हितों की रक्षा करूंगा बाइडन ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति शी को यह भी बताया कि हम प्रतिस्पर्धा का स्वागत करते हैं लेकिन टकराव नहीं चाहते। लेकिन मैंने यह पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है कि मैं पहले अमेरिकी हितों की रक्षा करूंगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका व्यापार के अनुचित तरीकों के खिलाफ खड़ा रहेगा जिससे अमेरिकी कामगारों और उद्योगों में कटौती तथा अमेरिकी प्रौद्योगिकियों तथा बौद्धिक संपदा की चोरी होती है। कई मुद्दों पर अमेरिका और चीन में है तनाव अमेरिकी राष्ट्रपति ने शी से यह भी कहा कि अमेरिका मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता की अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटेगा। कोई भी जिम्मेदार अमेरिकी राष्ट्रपति ऐसे समय में चुप नहीं बैठ सकता जब मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। अमेरिका और चीन के बीच के रिश्ते अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, विवादित दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के आक्रामक सैन्य कदम और हांगकांग तथा शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकारों समेत कई मुद्दों को लेकर टकराव है।


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