सहारा रेगिस्तान के बीच उत्तरपश्चिमी मॉरीशियाना एक ऐसी गोलाकार आकृति है जिसे देखना बेहद रोचक होता है। यह इतना विशाल है कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। दुनियाभर के अजूबे नजारों में से एक यह आकृति फटॉग्रफर्स से लेकर वैज्ञानिकों तक के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। रेगिस्तान के बीच जहां दूर-दूर तक जमीन एक सी नजर आए, वहां इस विशाल आकृति की मौजूदगी एक अहम भूमिका भी निभाती है। आसमान की ऊंचाई से इसे देखने वाले प्रकृति की रचना की तारीफ करने से खुद को रोक नहीं सकते। ऐसे में यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि यह आकृति कैसे बनी और क्यों इसकी इतनी अहमियत है?Eye of Sahara के आकार और बनावट की वजह से काफी वक्त तक यह माना जाता रहा कि किसी उल्कापिंड की टक्कर के कारण यह बनी है।

सहारा रेगिस्तान के बीच उत्तरपश्चिमी मॉरीशियाना एक ऐसी गोलाकार आकृति है जिसे देखना बेहद रोचक होता है। यह इतना विशाल है कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। दुनियाभर के अजूबे नजारों में से एक यह आकृति फटॉग्रफर्स से लेकर वैज्ञानिकों तक के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। रेगिस्तान के बीच जहां दूर-दूर तक जमीन एक सी नजर आए, वहां इस विशाल आकृति की मौजूदगी एक अहम भूमिका भी निभाती है। आसमान की ऊंचाई से इसे देखने वाले प्रकृति की रचना की तारीफ करने से खुद को रोक नहीं सकते। ऐसे में यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि यह आकृति कैसे बनी और क्यों इसकी इतनी अहमियत है?
जमीन से नहीं दिखती

रेगिस्तान के बीच यह आकृति लंबे वक्त तक अदृश्य रही। इसे जमीनी स्तर से देखा जाना मुश्किल था। दिलचस्प बात यह है कि यह स्पेस से बेहद साफ और किसी विशाल आंख जैसी दिखती है। इसीलिए इसे यह नाम दिया गया है। इसे नैविगेशन लैंडमार्क के तौर पर भी इस्तेमाल किया गया और ऐस्ट्रोनॉट्स ने खूब तस्वीरें भी लीं। इसके आकार और बनावट की वजह से काफी वक्त तक यह माना जाता रहा कि किसी उल्कापिंड की टक्कर के कारण यह बनी है।
अलग-अलग क्यों हैं रंग?

अब जियॉलजिस्ट्स का मानना है कि यह काफी सिमेट्रिकल है। इसे ऐसा जियॉलजिकल गुंबद माना जाता है जिसकी ऊपरी परतें हवा और पानी के संपर्क में आने से नष्ट हो गई हैं। इसमें कुछ बेहतरीन सिलिका से भरे हाइड्रोथर्मल फीचर भी हैं। इस कारण इसे सुरक्षित रखकर इसकी उत्पत्ति के बारे में और ज्यादा स्टडी की जरूरत समझी गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह गुंबद अलग-अलग तरह की चट्टानों से बना है और हर चट्टान पर हवा और पानी के अलग असर के कारण ऐसी आकृति उभरकर आई है। जहां ज्यादा असर नहीं हुआ, वे नीले और बैंगनी रंग के हिस्से ऊपर की ओर हैं और जहां erosion ज्यादा है, वहां पीले रंग की गहराई बन गई।
अलग-अलग हैं चट्टानें

आसपास का अंधेरा इलाका सेडिमेंटरी चट्टानों की पठारी का है जो रेगिस्तान की रेत से 200 मीटर ऊपर है। बाहरी हिस्सा समुद्रतल से 485 मीटर ऊपर है। तमाम स्टडी के बाद जियॉलजिस्ट्स ने पाया है कि इसके केंद्र में जो चट्टानें वे बाहरी चट्टानों से ज्यााद पुरानी हैं। अंदर की ओर रियोलिटिक वॉल्कैनिक चट्टानें, गैबरोस, कार्बनेटाइट्स और किंबरलाइट्स हैं। बाहरी हिस्सा इग्नेशियस और सेडिमेंटरी चट्टानों से बना है। बाहरी हिस्से में कुछ दरारे भी हैं।
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