Tuesday, 1 June 2021

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पांच महीने के आर्थर मॉर्गन को एक ऐसी बीमारी है जिससे उसकी मांसपेशियां खत्म होती रहती हैं। इस घातक बीमारी से हर साल दुनियाभर में सिर्फ 60 बच्चे पीड़ित होते हैं। स्पाइनल मस्क्युलर ऐट्रफी (Spinal Muscular Atrophy) नाम की इस बीमारी से पीड़ित आधे से ज्यादा बच्चे दो साल से ज्यादा जीवित नहीं रह पाते लेकिन कुछ साल पहले इस पर जीत हासिल करने की एक उम्मीद जगी और आज इसका इलाज दुनिया की सबसे महंगी दवाई से मुमकिन हो गया है। इसकी एक खुराक से ही बच्चों में काफी बेहतरी देखी गई है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वक्त में इसके और फायदे और भी ज्यादा होंगे...

Most Expensive Drug: पांच महीने के आर्थर Spinal Muscular Atrophy से पीड़ित हैं। इसकी वजह से वह चल नहीं सकते थे। उन्हें दुनिया की सबसे महंगी दवा Zolgensma दी गई है जो gene therapy पर आधारित है।


Most Expensive Drug: दुनिया की सबसे महंगी दवा बचाएगी 5 महीने के बच्चे की जान, पहली बार इस्तेमाल ₹17 Cr का इंजेक्शन

पांच महीने के आर्थर मॉर्गन को एक ऐसी बीमारी है जिससे उसकी मांसपेशियां खत्म होती रहती हैं। इस घातक बीमारी से हर साल दुनियाभर में सिर्फ 60 बच्चे पीड़ित होते हैं। स्पाइनल मस्क्युलर ऐट्रफी (Spinal Muscular Atrophy) नाम की इस बीमारी से पीड़ित आधे से ज्यादा बच्चे दो साल से ज्यादा जीवित नहीं रह पाते लेकिन कुछ साल पहले इस पर जीत हासिल करने की एक उम्मीद जगी और आज इसका इलाज दुनिया की सबसे महंगी दवाई से मुमकिन हो गया है। इसकी एक खुराक से ही बच्चों में काफी बेहतरी देखी गई है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वक्त में इसके और फायदे और भी ज्यादा होंगे...



जान बचा सकती है यह दवा
जान बचा सकती है यह दवा

रीस और रोजी के बेटे आर्थर को सीधे बैठने और सिर सीधा रखने में भी दिक्कत होती थी। तीन हफ्ते बाद उन्हें जीन थेरेपी Zolgensma दी गई। अमेरिका में बनी इस दवा को दुनिया की सबसे महंगी दवा माना जाता है। इसकी एक खुराक की कीमत £17 लाख यानी करीब 16.9 करोड़ रुपये से भी ज्यादा होती है। स्टडीज में पाया गया है कि यह पैरैलेसिस से बचा सकती है। यह IV ड्रिप से दी जाती है और ऐसा प्रोटीन बनाती है जो SMA पीड़ितों में नहीं बनता है।



क्या होती है यह बीमारी?
क्या होती है यह बीमारी?

ब्रिटेन के नैशनल हेल्थ सिस्टम (NHS) ने Novartis Gene Therapies के साथ इसके लिए डील की है। SMA ऐसी बीमारी है जिसके टाइप-1 में मांसपेशियां खत्म होती रहती हैं। इसमें शरीर में SMN नाम का प्रोटीन बनना बंद हो जाता है जो मांसपेशियों के विकास और मूवमेंट के लिए जरूरी होता है। समय के साथ सीने की मांसपेशियां खत्म होने लगती हैं जिससे सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है और बच्चे का दो साल से ज्यादा जीना मुश्किल हो जाता है।



3 साल पहले मिला इलाज
3 साल पहले मिला इलाज

करीब तीन साल पहले 2017 में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी स्टडी में पाया गया था कि जिन 15 बच्चों को यह इंजेक्शन दिया गया, वे सभी 20 महीने तक जीवित रह सके जबकि इससे पहले की रिसर्च में सिर्फ 8 प्रतिशत बच्चे जीवित बच सके थे जिनक कोई इलाज नहीं किया गया था। 15 में से 12 बच्चों को ज्यादा खुराक दी गई थी और 20 महीने की उम्र में 11 बच्चे बिना किसी की मदद के बैठ सकते थे और दो बच्चे चल भी सकते थे। सबसे बड़ी बात है कि इससे उन्हें वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह इलाज हाल ही में इजाद हुआ है इसलिए आगे चलकर इसके नतीजे देखने होंगे।





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