जिनेवा हरियाणा के में लोगों के विस्थापन वाले विवाद में अब भी कूद गया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भारत से आग्रह किया है कि उसे 1 लाख लोगों के विस्थापन को रोकना चाहिए। इन विशेषज्ञों का दावा है कि विस्थापित लोगों में कम से कम 20 हजार बच्चे शामिल हैं। इन विशेषज्ञों ने दावा किया है कि संरक्षित वन भूमि पर बने हरियाणा के खोरी गांव में बुधवार से घरों को तोड़ना शुरू कर दिया गया है। इससे पहले मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त का कार्यालय जम्मू कश्मीर और किसान आंदोलन को लेकर भारत पर मनमाने आरोप लगा चुका है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दखल दे रहा OHCHR इसी साल सात जून को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद जंगल की जमीन को पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त बनाने का आदेश दिया था। जिसके बाद प्रशासन ने यहां रह रहे लोगों के पुनर्वास की नीति जारी करते हुए उन्हें घरों को छोड़ने का निर्देश दिया था। हालांकि, बड़ी संख्या में लोग सरकार की पुनर्वास नीति से सहमत नहीं हैं। नगर निगम के अनुसार, दिल्ली-फरीदाबाद बॉर्डर पर बसे खोरी गांव में 125 एकड़ जमीन है। इसमें से 80 एकड़ जमीन पर लोगों ने कब्जा कर मकान बनाए हुए हैं। यहां करीब 10 हजार परिवार रहते हैं। OHCHR का दावा- बिना जंगल वाली जमीन को भारत ने बनाया संरक्षित इन विशेषज्ञों का दावा है 'हरियाणा के फरीदाबाद जिले के खोरी गांव में दशकों पहले भारी खनन के कारण इस इलाके के संरक्षित वन खत्म हो चुके हैं। उसके बावजूद उस भूमि को 1992 में संगक्षित वन के रूप में नामित किया गया। यहां पहले भी कोई जंगल नहीं था। हम भारत सरकार से अपने स्वयं के कानूनों और 2022 तक बेघरों को खत्म करने के अपने लक्ष्य का सम्मान करने का आग्रह करते हैं।' इन विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि पलायन करने वाले परिवारों में ज्यादातर अल्पसंख्यक और हाशिए पर रहने वाले समुदाय हैं। हम इन एक लाख लोगों के घरों को बख्शने की अपील करते हैं। लोगों को तकलीफों पर दिया 'ज्ञान' मानवाधिकार परिषद के इन विशेषज्ञों ने कहा कि यहां के निवासी पहले ही कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में बेदखली का आदेश उन्हें अधिक जोखिम में डाल देगा। यह 20000 बच्चों के लिए और भी ज्यादा तकलीफदेह होगा। इनमें से कई बच्चों के स्कूल छूट सकते हैं। इन लोगों में 5000 गर्भवती और बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाएं भी शामिल हैं। हरियाणा सरकार ने जारी की पुनर्वास नीति सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खोरी वन क्षेत्र से अवैध मकानों को हटाने के विरोध और पुनर्वास की मांग को देखते हुए हरियाणा सरकार ने मंगलवार को पुनर्वास पॉलिसी जारी कर दी। हरियाणा अर्बन लोकल बॉडी ने नगर निगम के पास पुनर्वास पॉलिसी भेज दी है। नगर निगम कमिश्नर डॉ. गरिमा मित्तल, डीसी यशपाल यादव व पुलिस उपायुक्त एनआईटी अंशु सिंगला ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पॉलिसी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि खोरी के लोगों को डबुआ कॉलोनी व बापू नगर में खाली पड़े कुल 2545 फ्लैट दिए जाएंगे। लेकिन, उससे पहले उन्हें कुछ शर्तों का पालन करना होगा। साथ ही पैसा भी चुकाना होगा। भारत के मामले में क्यों कूदा यूएनएचआरसी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय पहले भी भारत के कई आंतरिक मामलों में कूद चुका है। संयुक्त राष्ट्र के इस कार्यालय ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे को लेकर भारत पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के झूठे आरोप लगाए थे। इतना ही नहीं, किसान आंदोलन को लेकर भी बिना सच्चाई जाने यूएनएचआरसी ने बयान जारी किया था। भारत ने समय समय पर इस कार्यालय के बयानों का भारी विरोध भी किया है।
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