काबुल अफगानिस्तान में एक-एक कर शहरों पर अपना कब्जा करते जा रहे तालिबान ने पाकिस्तानी आतंकी गुटों से संबंध पर सफाई दी है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि पाकिस्तान में पनप रहे आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के साथ उसका कनेक्शन नहीं है। सुहैल शाहीन ने दावा किया कि लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल दूसरे देशों के खिलाफ करने नहीं दिया जाएगा। 'पाक आतंकियों से संबंध नहीं' DNA को दिए इंटरव्यू में तालिबान के प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने कहा है कि उनका पाकिस्तान के संगठनों से संबंध नहीं है। कुछ दिन पहले सामने आईं रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि पाकिस्तान के आतंकी और खुफिया एजेंसियों के अधिकारी तालिबान के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं। यह भी दावा किया गया था कि तालिबानी लड़ाकों को पाकिस्तान के हैदराबाद में ट्रेनिंग दी जा रही है। गनी ने किया था पाक की ओर इशारा इन रिपोर्ट्स को अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के उस बयान से बल मिला था, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान और तालिबान के बीच कनेक्शन का इशारा किया था। उन्होंने तालिबान से यह तक कहा था कि अगर वह अफगानिस्तान से प्यार करता है तो डूरंड लाइन को नहीं मानेगा। यह सीमारेखा ब्रिटेन ने दोनों देशों के बीच खींची थी जिसे काबुल नहीं मानता। 'निष्पक्ष रहे भारत' शाहीन ने भारत के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की बात को भी खारिज किया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत इस मुद्दे पर निष्पक्ष रहेगा। वहीं, महिलाओं के अधिकारों को भी सुरक्षित रखने का दावा किया है। शाहीन का कहना है कि इस्लाम के नियमों के आधार पर शिक्षा और काम करने की आजादी महिलाओं को मिलेगी। अफगान सरकार को हथियार दे रहा भारत: तालिबान इससे पहले एक अन्य इंटरव्यू में तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि भारत विदेशियों द्वारा स्थापित अफगान सरकार का पक्ष ले रहा था। वे हमारे साथ नहीं हैं। अगर वे अफगानों पर थोपी गई सरकार का समर्थन करने की अपनी नीति पर कायम रहते हैं, तो शायद उन्हें चिंतित होना चाहिए। वह एक है गलत नीति जो उनकी रक्षा नहीं करेगी। भारत शुरू से ही अफगानिस्तान में किसी भी सैन्य संगठन या मिलिशिया का समर्थन करने में चौकन्ना रहा है। नॉर्दन अलायंस को दी गई रक्षा मदद से भी भारत को बड़ी सीख मिली है। शाहीन ने कहा, 'हमें अपने कमांडरों से रिपोर्ट मिली है कि भारत दूसरे पक्ष को हथियार मुहैया करा रहा है। यह कैसे संभव है कि वे तालिबान से बात करना चाहते हैं लेकिन व्यावहारिक रूप से वे काबुल को हथियार, ड्रोन, सब कुछ उपलब्ध करा रहे हैं? यह विरोधाभासी है।'
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